शहीद राजा राव राम बक्श सिंह के बलिदान दिवस पर लखनऊ में उमड़ा जनसैलाब, राष्ट्रभक्तों ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि

शहीद राजा राव राम बक्श सिंह के बलिदान दिवस पर लखनऊ में उमड़ा जनसैलाब, राष्ट्रभक्तों ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि

शहीद राजा राव राम बक्श सिंह के बलिदान दिवस पर लखनऊ में उमड़ा जनसैलाब, राष्ट्रभक्तों ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि

डौडिया खेड़ा के लाल की वीरता को किया गया नमन।

कलम और क्रांति की धरती उन्नाव का बढ़ा मान।

लखनऊ। लखनऊ के हृदय स्थल हजरतगंज स्थित जी.पी.ओ. पार्क के काकोरी स्तंभ पर आज एक भव्य पुष्पांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। राष्ट्रवादी युवा अधिकार मंच (एन.वाई.आर.एम.) एवं जनसत्ता पार्टी ऑफ इंडिया (जे.पी.आई.) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में 1857 की क्रांति के महानायक, महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और माँ चंद्रिका देवी के अनन्य भक्त अमर शहीद राजा राव राम बक्श सिंह को उनके शहादत दिवस पर याद किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रीय अध्यक्ष शशांक शेखर सिंह पुष्कर ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि जनपद उन्नाव की धरती ने हमेशा से देश को क्रांतिकारी और साहित्यकार दिए हैं। उन्होंने प्रताप नारायण मिश्र, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' और डॉ. शिव मंगल सिंह 'सुमन' जैसे महान लेखकों का स्मरण करते हुए कहा कि जहाँ एक ओर इन विभूतियों ने अपनी लेखनी से क्रांति की अलख जगाई, वहीं राजा राव राम बक्श सिंह जैसे वीरों ने अपने शौर्य से अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी।

​पुष्कर ने भावुक होते हुए कहा कि डौडिया खेड़ा स्टेट के राजा राव राम बक्श सिंह के पास विकल्प था कि वह अंग्रेजों से समझौता कर अपना राजपाठ और वैभवशाली जीवन बचा लेते, लेकिन उन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए कांटों भरा रास्ता चुना। उन्होंने निडरता का परिचय देते हुए अंग्रेजों के सामने झुकने के बजाय फांसी के फंदे को गले लगाना बेहतर समझा। इतिहास गवाह है कि 28 दिसंबर 1859 को इस वीर योद्धा को फांसी दी गई थी। उनकी शहादत के बाद अंग्रेजों ने उनके परिवार और विश्वासपात्रों पर अमानवीय अत्याचार किए, जिसके कारण उन्हें विस्थापित होना पड़ा, परंतु इसके बावजूद उन्होंने भूमिगत रहकर स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी सक्रिय भूमिका जारी रखी। वक्ताओं ने कहा कि अवध क्षेत्र के क्रांतिकारियों को एकजुट करने में राजा साहब की युद्ध नीति का बड़ा योगदान था, जिससे ब्रिटिश सेना भी भयभीत रहती थी। इस मौके पर संजय सिंह, अजमत उल्ला खान, योगेन्द्र मौर्य, अंश सिंह चौहान, शिवांश सिंह, कुनाल दीक्षित, देवव्रत सिंह, अतुल सिंह, गौरव वर्मा, पंकज सिंह, दुर्गेश कुमार और नागेंद्र प्रताप सिंह सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं और गणमान्य नागरिकों ने शहीद की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया और उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।

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