बाट-माप विभाग के कर्मचारियों की आम सभा, बायोमैट्रिक व्यवस्था और नए आदेशों पर जताई नाराजगी

बाट-माप विभाग के कर्मचारियों की आम सभा, बायोमैट्रिक व्यवस्था और नए आदेशों पर जताई नाराजगी

लखनऊ। बाट-माप (विधिक माप विज्ञान) विभाग के कर्मचारियों ने सोमवार को एक बड़ी आम सभा आयोजित कर विभागीय व्यवस्थाओं और नए आदेशों पर तीखी आपत्तियां दर्ज कराईं। कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि विभाग के नियंत्रक द्वारा लगातार ऐसे स्वेच्छाचारी आदेश जारी किए जा रहे हैं जो नियमावली के विरुद्ध हैं और निरीक्षक संवर्ग व व्यापारियों दोनों को अनावश्यक रूप से परेशान कर रहे हैं।


बैठक में कर्मचारियों ने कहा कि विभाग में ऑफलाइन के साथ-साथ ऑनलाइन सत्यापन प्रक्रिया लागू कर दी गई है, लेकिन इसके लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध नहीं कराए गए। निरीक्षण व सत्यापन में दो फोटो जियो-टैगिंग के साथ अनिवार्य कर दी गई है, जबकि विभाग ने न तो फोन दिया है और न ही कोई अन्य उपकरण। दूर-दराज के क्षेत्रों में नेटवर्क समस्या भी बड़ी चुनौती बनी हुई है। कई व्यापारिक संस्थानों और पेट्रोल पंपों पर मोबाइल के उपयोग की अनुमति भी नहीं होती, जिससे निरीक्षकों को असहज स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।

कर्मचारियों ने बायोमेट्रिक अटेंडेंस पर भी कड़ा विरोध जताया। उनका कहना है कि निरीक्षक का कार्य क्षेत्राधारित है, ऐसे में बायोमेट्रिक उपस्थिति व्यावहारिक नहीं है और कार्यप्रकृति के विपरीत है।

सभा के दौरान महासचिव विजय कुमार मिश्रा ने कहा कि विभाग में चार प्रमुख मुद्दों पर असंतोष है—

पहला, बायोमेट्रिक अटेंडेंस व्यवस्था स्वीकार नहीं है।

दूसरा, सत्यापन में फोटो की अनिवार्यता तो तय कर दी गई है लेकिन आज तक विभाग ने न फोन दिया, न कोई संसाधन।

तीसरा, 15/4 के अनुसार निरीक्षकों को सीआरपीसी के तहत काम करना है, पर नियंत्रक द्वारा अनावश्यक हस्तक्षेप किया जा रहा है।

चौथा, कर्मचारी जब भी आम सभा करना चाहते हैं, उन्हें कार्रवाई और वेतन रोकने की धमकी दी जाती है, जो आर्थिक शोषण के समान है।

मिश्रा ने विभागीय रवैये को उत्पीड़क बताते हुए कहा कि जब तक समस्याओं का समाधान नहीं होता, तब तक विभागीय कर्मचारियों का आंदोलन जारी रहेगा।

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