युवाओं की मेहनत और सहयोग से दंडी आश्रम का हो रहा कायाकल्प

युवाओं की मेहनत और सहयोग से दंडी आश्रम का हो रहा कायाकल्प

युवाओं की मेहनत और सहयोग से दंडी आश्रम का हो रहा कायाकल्प

संवादाता अरविन्द मौर्या

हरियावां हरदोई

कस्बे में सैकड़ों बर्ष पुराने दंडी स्वामी आश्रम का स्थानीय लोगों की मेहनत से पुनः कायाकल्प शुरू हो गया है। काशीनाथ महात्मा की अगुवाई में जर्जर हो चुके शिव मंदिर का जीर्णोद्धार कर आश्रम को पहले जैसी खुबसूरती में लाने का प्रयास जोरों पर है। पांच दशक पूर्व यहां दूर-दूर से छात्र आश्रम में संचालित संस्कृत पाठशाला में विद्याज्ञान करने और दंडी महात्मा स्वामी महेशराश्रम जी के दर्शन के लिए आते थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि दंडी स्वामी जी बड़े ही ज्ञानी और तपस्वी महात्मा थे। उन्होंने इस आश्रम का निर्माण कर यहां पर  संस्कृत पाठशाला की स्थापना की थी जहां गुरुकुल परंपरा के अनुसार दूर दराज के इलाकों के छात्र संस्कृत की शिक्षा ग्रहण करते थे। तकरीबन पांच दशक पहले दंडी स्वामी के शरीर छोड़ने के बाद देख रेख के अभाव में आश्रम दिन प्रतिदिन जर्जर हालत में पहुंच गया।

समय के साथ आश्रम की इमारत ढह गई, अधिकांश पेड़ सूख गए और शिव मंदिर भी देख रेख के अभाव में जर्जर हो चुका था ।संत के न होने से आश्रम पूरी तरह सूना पड़ गया। लेकिन आखिर समय बदला और  कुछ स्थानीय युवकों की पहल से जर्जर हो चुके आश्रम में एक बार फिर से खोई हुई रौनक पुनः लौट रही है।  युवाओं के  श्रमदान से  आश्रम की सुंदरता में दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। जनसहयोग से शिव मंदिर का जीर्णोद्धार  तथा आश्रम के भव्य द्वार का निर्माण कार्य जोरों पर  है।

आश्रम के उत्थान के लिए क्षेत्रीय भक्तों जनों का उत्साह और सहयोग लगातार बढ़ रहा है । सैकड़ों बर्ष पुराना यह दंडी आश्रम पूरे क्षेत्र के लोगों की शिक्षा, दीक्षा और आस्था का केंद्र रहा है। आसपास के क्षेत्रों से भी लोगों का आनाजाना होता था। लोगों के उत्साह से आश्रम फिर जागृति की ओर बढ़ रहा है।

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