भारत पंप्स एंड कंप्रेशर लिमिटेड (BPCL) तीसरी नीलामी में आखिरकार बिक ही गई.
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- Updated: 11 April, 2022 10:26
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PPN NEWS
प्रयागराज नैनी औद्योगिक क्षेत्र की मानी जानी कंपनी भारत पंप्स एंड कंप्रेशर लिमिटेड (BPCL) तीसरी नीलामी में आखिरकार बिक ही गई.
* 1970 में हुई थी BPCL की स्थापना
वहीं, प्रयागराज के यमुनापार औद्योगिक क्षेत्र में करीब 6 दशक पहले बीपीसीएल कंपनी को बसाया गया. जहां पर प्रदेश सरकार की 231 एकड़ जमीन पर सन 1970 में बीपीसीएल कंपनी की स्थापना की गई. यहां पर सरकारी के अलावा प्राइवेट क्षेत्र के कंपनियां लगवाई गई. इस कंपनी के खुलने से हजारों लोगों को रोजगार मिला. यही नहीं यहां काम करने के लिए प्रदेश व देश के कोने-कोने से लोग रोजगार की तलाश में आते थे. इस कंपनी के अंदर दो प्लांट्स लगाए गए थे. देशभर में सप्लाई किए जाने वाला रसोई गैस तक यहां बनता था. जब रसोई गैस बनाने का काम प्राइवेट सेक्टर में शुरू हुआ तो यहां से सप्लाई बंद हो गई. उसके बाद में यहां पर ऑक्सीजन सिलेंडर बनाने का काम शुरू हुआ. काफी साल तक यह काम चला.
इटली जर्मनी अमेरिका तक की है मशीनें
बता दें कि बीपीसीएल के अंदर पंप और कंप्रेसर विश्व…
साल 2020 में बंद होने की हुई थी घोषणा
इस बीपीसीएल कंपनी को भारत सरकार ने सन 2020 में बंद करने की घोषणा की थी. जहां पर कंपनी बंद होने की घोषणा सुनते ही यहां के कर्मचारी से लेकर अफसर तक के हाथ पांव फूल गए थे. उन्हें जबरन रिटायर कर दिया गया. इसके बाद यहां के कर्मचारी से लेकर अफसर तक इस कंपनी को बचाने की कवायद में जुट गए. लेकिन आखिरकार इस कंपनी को कर्मचारी व अफसर नहीं बचा पाए. इसको बचाने के लिए एक संगठन भी तैयार किया गया, जिसके जरिए बीच-बीच में आवाज उठाई जाती है. इस मशीनरी पार्ट्स को छोड़कर यह जमीन राज्य सरकार की है. इस कंपनी के अंदर लगे मशीनरी सामानों व कबाड़ मेटल स्क्रैप ट्रेड कारपोरेशन के जरिए शुक्रवार को ऑनलाइन बोली लगाई गई.
मशीनरी की बोली के लिए मंत्रालय ने साध रखी चुप्पी
गौरतलब है कि इस कंपनी के अंदर लगे मशीनरी व कबाड़ के सामानों को ऑनलाइन नीलामी के लिए 54 और 58 करोड़ की बेस बोली लगाई गई, मगर बेस्ट कीमत ज्यादा होने के चलते नीलामी नहीं हो पाई. जिसके चलते दो बार नीलामी टल गई. वहीं शुक्रवार को इसका बेस प्राइस 44.85 करोड रुपए रखा गया, जिसके बाद देश प्रदेश के बड़े व्यापारियों ने बोली लगाई और इन मशीनरी व कबाड़ के सामानों को खरीद लिया, लेकिन किसने कितने बोली पर खरीदा उस नाम को लेकर मंत्रालय ने अपनी चुप्पी साध रखी है
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