बघौली प्रताप नगर मार्ग बना उत्तर प्रदेश सरकार के विकास का नजीर
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- खबरें हटके
- Updated: 31 July, 2020 16:37
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prakash prabhaw news
बघौली प्रताप नगर मार्ग बना उत्तर प्रदेश सरकार के विकास का नजीर
रिपोर्ट अरविन्द मौर्या
गंगा घाट से विश्व विख्यात चक्रतीर्थ मातु ललिता धाम एवं दधीच कुंड को जोड़ता है मार्ग
बघौली /हरदोई।
पिछले कई वर्षों से गड्ढों में तब्दील होती जा रही बघौली प्रताप नगर मार्ग धीरे धीरे तालाब का रूप धारण कर चुकी है लेकिन उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद यहां की जनता में एक आत्मविश्वास जागृत हुआ कि अब इस सड़क का निर्माण हो जाएगा परंतु कुछ समय के बाद उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा गड्ढा मुक्त सड़क का फरमान जारी हुआ लेकिन वह भी सपना ही इस सड़क के लिए साबित हुआ इन दिनों जीता जागता हुआ एक उत्तर प्रदेश सरकार के विकास का बघौली प्रताप नगर मार्ग नजीर बना हुआ है।
बताते चलें की कई बार यहां की जनता ने इस सड़क को लेकर आवाज उठाई तथा प्रिंट मीडिया एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की सुर्खियां बनी लेकिन सड़क अपनी जगह पर ज्यों की त्यों पड़ी रह गई किसी अधिकारी अथवा नेता ने इस पर नजर नहीं डाली जिससे इसका पुनरुद्धार हो सके एक बार क्षेत्रीय जनता में जिला अधिकारी पुलकित खरे के द्वारा बघौली चौराहा पर स्थित पर्यावरण चौक का निर्माण कराए जाने से ऐसा प्रतीत हुआ कि अब बघौली चौराहा से लेकर प्रतापनगर तक शायद सड़क के दिन बहुर जाए लेकिन ऐसा भी संभव न हो सका।
बताते चलें कि कन्नौज मेहंदी घाट गंगा तट से सीधे विश्व विख्यात नैमिषारण्य धाम तथा महर्षि दधीचि कुंड जो की ऐतिहासिक धर्मस्थल है यहां पर देश विदेश से टूरिस्ट आते जाते रहते हैं जोकि पलिया लखनऊ राष्ट्रीय राज्य मार्ग सीतापुर हाईवे को भी जोड़ता है यह वह मार्ग है जिस पर मां वैष्णो धाम पूर्णागिरि धाम भव्य तीर्थ स्थलों से श्रद्धालु दर्शन करके नैमिषारण्य धाम को आते हैं तथा इसी सड़क से इनकी गाड़ियां गुजर कर आगे जाती है ऐसे पवित्र धामों को जोड़ने वाली लगभग 17 किमी सड़क की हालात आज तालाब में परिवर्तित हो चुकी है जिसको संज्ञान में नहीं लिया जा रहा है इस सड़क से क्षेत्रीय लोगों को आवागमन करने में वह समस्या हो रही है जिसकी कल्पना आज से 40 वर्ष पूर्व गांव में सड़क न होने से हुआ करती थी ठीक उसी प्रकार से हो गई है।
बताते चलें कि यह लगभग 17 किलोमीटर सिंगल सड़क जोकि चलने नहीं रही सड़क की स्थिति यह हो गई है कि सड़क नीचे और आसपास की भूमि डेढ़ से 2 फीट ऊपर जिसके चलते जलभराव होने से सड़क की गिट्टी एवं डामर का अता पता तक नहीं रहा पिछले वर्ष जब प्रिंट मीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कि यह सड़क सुर्खियां बनी तो जिम्मेदारों के द्वारा खड़ंजा बड़े-बड़े गड्ढों में डाल दिया गया लेकिन वह भी धीरे-धीरे लापता हो गया इस सड़क पर चलना मौत को निमंत्रण देना के समान है गड्ढा और कीचड़ से बचने के लिए आए दिन दुर्घटनाएं घटित होती।
सबसे अहम बात यह है कि इस सड़क में जहां जहां पर जलभराव है वहां पर एक से दो फीट गंदा पानी भरा हुआ है जिसमें गड्ढा एवं ईट के रोड़े पड़े होने का अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि कहां पर है जिसके चलते वाहन पानी में घुसते ही गड्ढे में गिर जाते हैं जिससे दुपहिया वाहन पलट जाते हैं और यात्री चोटिल हो जाते हैं ऐसी दशा में यहां की जनता अब इस सड़क के निर्माण को लेकर उम्मीदें तोड़ चुकी है।
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