केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट मे बोली किसी को भी सिर्फ दो बच्चे पैदा करने को मजबूर नहीं कह सकते।

प्रकाश प्रभाव न्यूज़
रिपोर्टर :ज़मन अब्बास
दिनांक :13/12/2020
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में आज फैमिली प्लानिंग से संबंधित एक याचिका से जुड़े मामले में केन्द्र सरकार ने अपना हलफनामा दाखिल किया है जनसंख्या नियंत्रण पर केंद्र सरकार का कहना है कि किसी को भी जबरन फैमिली प्लानिंग के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है सिर्फ दो बच्चे पैदा करने की बाध्यता का विरोध करते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में आज हलफनामा दाखिल किया केंद्र सरकार ने अपने हलाफनमे में कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिस देश ने भी बच्चे पैदा करने की बाध्यता के लिए कानून बनाया गया है उसका नुक़सान ही हुआ है।
ऐसा करने पर पुरुष और महिला की आबादी में संतुलन बनाना बहुत मुश्किल होता है।
सुप्रीम कोर्ट में बढ़ती जनसंख्या पर परेशानी जताते हुए एक याचिका दाखिल की गई है याचिका में मांग की गई है कि देश में हर दम्पत्ति को सिर्फ दो बच्चे पैदा करने की इजाज़त होनी चाहिए इससे देश की जनसंख्या को नियंत्रित किया जाए लेकिन केंद्र सरकार इस सुझाव का विरोध कर रही है।
केंद्र सरकार ने हलफनामे में कहा है कि पिछले दो सेंसस के डेटा से पता चलता है कि लोग खुद ही दो बच्चे का ही परिवार रखना चाहते हैं केंद्र सरकार का कहना है कि भारत में फैमिली प्लैनिंग के लिए लोगों को अपने हालात और ज़रूरत के हिसाब से नियंत्रित करने की आज़ादी दी गई है इसे किसी पर जबरन लागू नहीं किया जा सकता।
अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन के बाद जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर भी मांग होने लगी थी राज्यसभा सदस्य डॉ. अनिल अग्रवाल ने देश में लगातार बढ़ रही आबादी को काबू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आगामी संसद सत्र में जनसंख्या नियंत्रण विधेयक पेश करने की अपील की थी और डॉक्टर अग्रवाल ने 7 अगस्त को पत्र लिखकर भी प्रधानमंत्री से ये अपील भी की थी ।
डॉक्टर अग्रवाल ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा, 'आपने 15 अगस्त 2019 के अवसर पर देश में जनसंख्या नियंत्रण की जो जरूरत बताई थी, अब उस संकल्प को पूरा करने का समय आ गया है मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप आगामी संसद सत्र में इस संबंध में उचित विधेयक लाने पर विचार करें।
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