शासन प्रशासन की बेरुखी के चलते मुंबई से पैदल निकल पड़े हजारो मजदूर

शासन प्रशासन की बेरुखी के चलते मुंबई से पैदल निकल पड़े हजारो मजदूर

प्रकाश प्रभाव न्यूज

कौशाम्बी

अपने परिवार के भरण पोषण वाले इन मजदूरों की रोटी रोटी छिन जाने के बाद सरकार इनसे क्यो कर रही है इतना दूर्यव्यवहार

रिपोर्टर अनिल कुमार

शासन प्रशासन की बेरुखी के चलते मुंबई से पैदल निकल पड़े हजारो मजदूर


कौशांबी रोजी रोटी के चक्कर में कौशांबी छोड़कर हजारों मजदूर मुंबई सहित अन्य बड़े शहरों में टिके हुए थे जहाँ वह मेहनत कर अपने परिवार का पेट पालते थे लेकिन कोरोना वायरस की फैली महामारी के बाद महानगरों में उद्योग धंधे फैक्ट्रियां बंद हो गई जिससे उन्हें वेतन मिलना बंद हो गया और फिर फैक्ट्री मालिक ने मजदूरों को काम से निकाल दिया मजदूरों को काम से ना हटाये जाने का मोदी सरकार का निर्देश इन फैक्ट्री मालिको पर नही लागू हो सका जिसके चलते कुछ दिन तक तो मजदूरों की रोटी जुगाड़ से चलती रही लेकिन उसके बाद उनकी रोजी रोटी भी बंद हो गई है और किसी तरह से आधा पेट भोजन कर मजदूर जिंदा रहने का प्रयास कर रहे है.

कौशांबी के हजारों मजदूर मुंबई में भूखों मरने लगे इस बात की गुहार बीते सप्ताह ट्विटर फेसबुक के माध्यम से मजदूरों ने प्रधानमंत्री राष्ट्रपति तक भी लगाई थी  लेकिन कौशाम्बी के इन मजदूरों को घर तक लाने की ठोस कार्ययोजना नही बन सकी और जिम्मेदारों की बयानबाजी केवल बकवास साबित हुई.  दुख भरी कहानी बताने के एक सप्ताह बाद भी उन मजदूरों को मुंबई से कौशांबी वापस लाने के कोई कारगर प्रयास नहीं हो सके हैं जिससे कौशांबी के मुम्बई में पड़े हजारों भूखे प्यासे मजदूरों का सब्र टूट गया और इन मजदूरों ने हजारो किलोमीटर पैदल चल कर मुंबई से अपने घर पहुंचने की ठान ली है और हजारों मजदूर मुंबई से पैदल सफर कर कौशांबी के लिए गुरुवार को निकल पड़े हैं.

इन मजदूरों के पास खाने-पीने की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं है वही रास्ते रास्ते में इन्हें पुलिस के जवान इनका सहयोग कर इन्हें घर पहुंचाने के बजाय इनसे इस तरह का ब्यवहार कर रहे हैं जैसे यह देश की सीमा पार कर आतंकवाद फैलाने देश में घुस आए हो. अब सवाल उठता है कि देश के नागरिक को अपने ही देश में आने जाने में तमाम जलालत से जूझना पड़ेगा यह बड़ा सवाल है.

दो जून की रोटी मेहनत मजदूरी से एकत्रित करने वाले मजदूरों की रोटी तो केंद्र सरकार ने लॉक डाउन की घोषणा कर छीन ली है अब उन्हें घर पहुंचना भी मुश्किल हो गया है इन स्थितियों में विवश मजदूर क्या करें कल महाराष्ट्र में ट्रेन के सामने जिन 15 मजदूर लोगों की मौतें हादसे में हुई हैं कहीं यह सरकार के उत्पीड़न के चलते उन्होंने जानबूझकर ट्रेन लाइन पर लेट कर मौत को तो गले नहीं लगा लिया है इस पर सरकार को मंथन करने की जरूरत है अचानक इस तरह के हादसे संभव नहीं दिखाई देते हैं कहीं ना कहीं इन हादसों के पीछे कुछ बड़ी वजह है जो जांच का बड़ा विषय है. 

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