संत शिरोमणि नामदेव की मनाई गई 752 वीं जयंती
- Posted By: Anil Kumar
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- Updated: 5 November, 2022 22:39
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प्रकाश प्रभाव न्यूज़
रिपोर्ट-अनिल कुमार
संत शिरोमणि नामदेव की मनाई गई 752 वीं जयंती
ओसा स्थित सर्किट हाउस में आयोजित हुआ कार्यक्रम
कौशाम्बी। मंझनपुर मुख्यालय के ओसा स्थित सर्किट हाउस में शुक्रवार को संत शिरोमणि नामदेव महराज की 752 वीं जयंती मनाई गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग उत्तर प्रदेश सदस्य राधेश्याम नामदेव रहे। वहीं अध्यक्षता जिलाध्यक्ष सुशील नामदेव ने किया कार्यक्रम का संचालन सतीश नामदेव ने किया। इस दौरान मौजूद लोगों ने संत नामदेव की जीवनी पर प्रकाश डाला। वहीं कार्यक्रम में मंझनपुर तहसीलदार भी मौजूद रहे।
बता दें कि प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी पिछले तीस सितबंर से 10 अक्टूबर तक नामदेव जयंती मनाई जा रही है। वहीं शुक्रवार को ओसा स्थित सर्किट हाउस में बड़ी भब्यता के साथ संत नामदेव की जयंती मनाई गई। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि राधेश्याम नामदेव ने कहा कि संत शिरोमणि नामदेव महराज की जीवनी ऐसे संतो से मिलती है जिनके पास दिब्य दृष्टि होती थी। उन्होंने कहा कि संत किसी जाति के नहीं होते हैं, संत का ऐसा कार्य और ऐसा संदेश होता है जो सर्व समाज का कल्याण करता है। उन्होंने बताया कि महराष्ट्र के पंडरपुर गांव में जन्में संत नामदेव महराज के तमाम ऐसे कार्य थे जो लोगों को चकित कर देते थे। एक दिन बाबा नामदेव भोजन को बैठे थे, उस समय एक कुत्ता आ गया, और वह रोटी लेकर जाने लगा, कुत्ते पर जब संत की दृष्टि पड़ी तो वह हाथ में घी का कटोरा लेकर उसके पीछे दौडने लगे कि सूखी मत चुपड़ी ले जाओ, घी भी लेकर जाओ। इसके पीछे संदेश था कि कुत्ते के अंदर भी संत नामदेव को भगवान की छाया नजर आई। इतना ही नहीं एक बार किसी ने संत नामदेव की परीक्षा लिया तो मंदिर का द्वार जिस तरफ वह पूजा कर रहे थे उस तरफ बदल गया। इस तरह जो संत अपने कार्यों को लेकर संदेश देते हैं उससे कहीं न कहीं समाज के सभी वर्गों को सीख लेनी चाहिए और उनके बताए गए रास्ते पर चलना चहिए। इतना ही नहीं उन्होंने नामदेव दर्जी महासभा संगठन की मजबूती को लेकर भी चर्चा किया। इस मौके पर जिलाध्यक्ष सुशील नामदेव, बुधसेन नामदेव, कमलेश नामदेव, शिवकुमार नामदेव, उरगेश नामदेव, प्रमोद कुमार, गिरधारीलाल, पूर्व अवर अभियंता रामनरेश, लालजी मास्टर, गया प्रसाद, बीरेंद्र कुमार, गोकुल प्रसाद सहित तमाम वक्ताओं ने अपने-अपने विचार रखे।
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