लिव-इन रिलेशन के एक मामले में इलाहाबाद HC का अहम फैसला, मूल अधिकार में हस्तक्षेप को बताया गलत।

प्रकाश प्रभाव न्यूज़
रिपोर्टर :ज़मन अब्बास
दिनांक :02/12/2020
प्रयागराज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी को भी बालिग जोड़े के शांतिपूर्ण जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मूल अधिकार में हस्तक्षेप करने का अधिकार नही है. कोर्ट ने लिव-इन-रिलेशन में रह रहे याचियों को छूट दी है कि यदि उनके जीवन की स्वतंत्रता में कोई हस्तक्षेप करे तो एसपी फर्रूखाबाद से शिकायत करे और वह नियमानुसार कार्रवाई करे। यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने जहानगंज,फर्रूखाबाद की कामिनी देवी व अजय कुमार की याचिका पर दिया है।
याची का कहना था कि उसके परिवार वाले उम्र में काफी बड़े आदमी से जबरन शादी कराना चाहते है. वह दूसरे याची अजय कुमार से प्रेम करती है.उसी के साथ लिव-इन-रिलेशन में रह रही है जो परिवार को पसंद नही है. वे परेशान कर रहे है. कोर्ट ने कहा कि अन्य देशों की तरह भारत में लिब-इन-रिलेशन स्वीकार्य नहीं है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसलों मे अनुच्छेद 21के तहत जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मूल अधिकार को संरक्षण प्रदान किया है और कहा है कि किसी को भी दूसरे के जीवन के मूल अधिकार में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है, कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि याचियों ने बालिग होने का दस्तावेजी साक्ष्य फर्जी दिया है तो विपक्षी इस आदेश को वापस लेने की मांग में अर्जी दाखिल कर सकते है।
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