ब्रेस्ट कैंसर में अब स्तन खोने का भय नहीं, सर्जरी से हो सकता है पुनर्निमाण

ब्रेस्ट कैंसर में अब स्तन खोने का भय नहीं, सर्जरी से हो सकता है पुनर्निमाण

PPN NEWS

ब्रेस्ट कैंसर में अब स्तन खोने का भय नहीं, सर्जरी से हो सकता है पुनर्निमाण

एसजीपीजीआई में तीन दिवसीय 10वां वार्षिक ब्रेसकाॅन कल से शुरू

लखनऊ। महिलाओं में विशेषकर भारतीय महिलाओं में ब्रेस्ट या स्तन कैंसर (Breast Cancer) की बीमारी में लगातार वृद्धि हो़ रही है। यह एक ऐसी समस्या है, जिसका अगर समय रहते पता न चले तो यह पूरे स्तन में फैल जाती है और मरीज को बचाने के लिए डॉक्टरों को पूरे स्तन को ही शरीर से हटाना पड़ जाता है। टाटा मेमोरियल हाॅस्पिटल मुंबई के प्रोफ़ेसर एवं हेड प्लास्टिक एवं पुनर्निमाण सर्जरी के डाॅ विनय कांत शंखधर ने बृहस्पतिवार को लखनऊ के प्रतिष्ठित संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट ऑफ़ मेडिकल सांइस एवं आर्युविज्ञान संस्थान में एक प्रेसवार्ता को संबोधित कर यह बातें कहीं।

उन्होंने बताया कि आज से कुछ वर्ष पहले की यदि बात करें तो ब्रेस्ट कैंसर को लेकर जागरुकता की कमी और डर के कारण महिलाएं अपनी बीमारी के बारे में खुलकर नहीं बता पाती थीं। इसका असर ये होता था कि कैंसर स्तन के ज़्यादा बड़े हिस्से में फैल जाता था या गंभीर स्थिति में पहुंच जाता था और इलाज के रूप में सर्जरी कर उनके स्तन को निकाल दिया जाता था। लेकिन आज ब्रेस्ट कैंसर मरीज़ों की संख्या बढ़ने के बावजूद आधुनिक तकनीकि से सर्जरी कर ब्रेस्ट पुनर्निमाण से महिलाओं में ब्रेस्ट खोने का भय ख़त्म हो गया है। 

प्रो. विनय ने बताया कि आज देश में नई उम्र की महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित हैं और उनकी तादाद लगातार बढ़ रही है लेकिन आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं में आई जागरूकता के कारण उनकी मृत्यु दर काफ़ी कम हुई है। साथ ही सर्जरी के बाद दोबारा ब्रेस्ट पाने के उपायों जैसे ब्रेस्ट रीकन्स्ट्रक्शन (Breast Reconstruction) या ब्रेस्ट इम्प्लांट के चलते आत्मविश्वास भी बढ़ा है। 

फ़िल्म अदाकार महिमा चैधरी तथा छवि मित्तल होंगी विशिष्ट अतिथि

प्रो. विनय ने बताया कि शुक्रवार 17से 19 नवंबर तक चलने वाले 10वें ब्रंेसकाॅन में मशहूर फ़िल्म अदाकार महीमा चैधरी तथा टीवी आर्टिस्ट छवि मित्तल भी विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित होंगी। उन्होंने बताया कि दोनों का ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन हो चुका है और इस समय दोनों एक सामान्य एवं स्वास्थ जीवन व्यतीत कर रहीं हैं। दोनों एक फ़िल्म अदाकार होने के कारण परिचित चेहरा हैं इसलिए 10वें ब्रेसकाॅन में उन्हें विशेषतौर पर आमंत्रित किया गया है ताकि इस बीमारी के प्रति लोगों के अंदर जागरूकता बढ़े।

ब्रेस्ट रीकंस्ट्रक्शन या इंप्लांट से मानसिकतौर पर महिलाओं में सुधार आया है

प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए एसजीपीजीआई के निदेशक प्रो. आर के धीमन ने बताया कि ब्रेस्ट रीकंस्ट्रक्शन या इम्प्लांट महिलाओं में बढ़ती स्तर कैंसर के लिए एक बेहतर विकल्प हैं। उन्होंने कहा कि यदि किसी महिला के शरीर का यह अंग जो उसके शरीर को पूरा करता है हम रीकंस्ट्रक्शन द्वारा ठीक कर देते हैं तो ऐसी महिला समाज में एक बार फिर निसंकोच उठ-बैठ सकती है। ऐसी महिलाएं किसी हीन भावना का शिकार होने से बच जातीं हैं और उनकी माध्यम से अन्य महिलाओं में जागरूकता बढती है। ऐसा देखा गया है कि कई मरीज़ ब्रेस्ट कैंसर की सर्जरी के बाद कृत्रिम रूप से दोबारा स्तन बनवाने को लेकर राज़ी नहीं होती हैं। इसके पीछे इलाज में आने वाला ख़र्च भी एक प्रमंुख कारण होता है। 

प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए डॉ. गौरव अग्रवाल ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर की एक मरीज़ सिर्फ बीमारी से ही नहीं लड़ती, बल्कि समाज, रूढ़विादिता, अंधविश्वास, परिजनों की सोच, हीनभावना से भी साथ-साथ लड़ती हैं। ब्रेस्ट निकाले जाने के बाद सिर्फ सेक्सुअली ही नहीं उसके सामने यह भी परेशानी होती है कि वह ख़ुद को देखकर अपने आप ही असंतुष्ट होती है और भीषण तनाव में आ जाती है, फिर वह क्या कपड़े पहने, वह समाज में सबके सामने खुद को कैसे रखे जैसे विकार पनपने लगते हैं। ऐसे में मास्टेक्टमी यानि कि ब्रेस्ट कैंसर की सर्जरी के बाद स्तनों का पुनर्निमाण ज़रूरी हो जाता है ताकि वह भावनात्मक रूप से मज़बूत रहे और खुद को अन्य की भांति सामान्य समझे। उन्होंने बताया कि जागरूकता एवं तकनीकि के कारण अब हम 60 से 65 फ़ीसद सर्जरी सफ़लतापूर्वक कर रहे हैं। 

जानें, क्या होता है ब्रेस्ट रीकंस्ट्रक्शन या ब्रेस्ट इम्प्लांट-

प्रेसवार्ता में डाॅ अंकुर भटनागर ने बताया कि ब्रेस्ट इम्प्लांट यानि स्तनों का प्रत्यारोपण, ब्रेस्ट रीकंस्ट्रक्शन यानि स्तनों के पुनर्निमाण का ही एक भाग है। ब्रेस्ट रीकंस्ट्रक्शन एक सर्जिकल प्रक्रिया है जो स्तन कैंसर होने पर ऑपरेशन करके स्तन को निकाल देने के बाद शुरू होती है। हालांकि इसमें कई भाग होते हैं. अगर किसी मरीज के ब्रेस्ट में कैंसर का पता चलने पर स्तन के 20-50 फ़ीसदी भाग को निकाला जाता है तो बाकी बचे हिस्से को बचाने और खाली हिस्से को भरने के लिए रीकंजर्विंग सर्जरी की जाती है। 

मुख्य रूप से दो तरह का होता है रीकंस्ट्रक्शन

डाॅ गौरव अग्रवाल ने बताया कि ब्रेस्ट रीकंस्ट्रक्शन दो तरह का होता है। पहला महिला के खुद के शरीर से लिए गए टिश्यू से और दूसरा इम्प्लांट के द्वारा। पहले वाले तरीके में महिला के शरीर के पिछले हिस्से से या उसके पेट से अतिरिक्त चर्बी से टिश्यू को लिया जाता है और उसे स्तन वाली खाली जगह पर लगाया जाता है। वहीं दूसरा तरीका पूरी तरह से बाहरी सिलिकॉन आधारित इम्प्लांट का है। यह उन महिलाओं के लिए है जिनमें अतिरिक्त चर्बी नहीं होती, उनके खुद के मसल और टिश्यू नहीं लिए जा सकते लेकिन कैंसर में निकाले गए उनके ब्रेस्ट को दोबारा बनाना है। ऐसे में बाहर से सिलिकॉन भरे हुए गुब्बारेनुमा इम्प्लांट का इस्तेमाल किया जाता है और उसे उस जगह पर फिक्स किया जाता है। कई बार इसका इस्तेमाल रीकंस्ट्रक्शन में भी होता है।

ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन में आने वाला ख़र्च

डॉ. विनय ने बताया कि स्तन पुनर्निर्माण एक प्रकार की शल्य प्रक्रिया है जो स्तन के आकार को पुनर्स्थापित करती है। स्तन कैंसर सर्जरी के तुरंत बाद स्तन पुनर्निर्माण किया जा सकता है, यानी तत्काल पुनर्निर्माण या इसे महीनों या वर्षों बाद किया जा सकता है, यानी देरी से पुनर्निर्माण किया जा सकता है। स्तन पुनर्निर्माण करने के कई तरीके हैं। ब्रेस्ट कैंसर के पता चलने से लेकर इसकी मास्टेक्टमी यानि सर्जरी और फिर ब्रेस्ट रीकंस्ट्रक्शन में न्यूनतम 50 हज़ार तक का ख़र्च आता है। हांलांकि निजी अस्पताल में इलाज कराने पर यह ख़र्चा 2 से 3 लाख तक भी हो सकता है। उन्होंने बताया कि यह कॉस्मेटिक सर्जरी नहीं है बल्कि बीमारी के बाद की जाने वाली सर्जरी है।

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