खाद्य एवं रसद विभाग की घोर लापरवाही का शिकार हो रहे हैं किसान
- Posted By: MOHD HASNAIN HASHMI
- राज्य
- Updated: 2 December, 2020 09:03
- 468

प्रतापगढ
02.12.2020
रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी
खाद्य एवं रसद विभाग की घोर लापरवाही का शिकार हो रहे हैं किसान।
धान खरीद में खाद्य एवं रसद विभाग के अधिकारियों द्वारा अपने क्रय केंद्र प्रभारियों से कराया जा रहा बोरा घोटाला। किसानों से बोरे की कराई जा रही है,खरीद। खाद्य एवं रसद विभाग के खरीदे गए बोरे को खुले बाजार में बेंचकर हो जाएगी धन की बंदरबाँट।
किसान विरोधी हैं मोदी और योगी सरकार के नौकरशाह। किसानों के हक पर डाला जाता है,खुलेआम डाका। किसानों के लिए मिलने वाली सुविधाओं में लूट करने के लिए बनाई जाती है,अधिकारियों द्वारा योजना। योजनाबद्ध तरीके से किसानों के हक पर डाली जाती है,डकैती। जबकि सत्ताधारी राजनीतिक दल यानि सरकारें दावा करती हैं कि उनकी सरकार किसानों और जनता की सबसे बड़ी हिमायती है।जूट के बोरे की खरीद के लिए पश्चिम बंगाल में एक RFC स्तर का अधिकारी किया जाता है,तैनात। बोरे की गाँठ की होती है बड़े पैमाने पर खरीददारी। खाद्य एवं रसद विभाग में अनाज के घोटाले के साथ बोरे की खरीद में भी हो चुके हैं,घोटाले। किसी घोटाले में आजतक कुछ न हो सका। जबकि अनाज घोटाले की जाँच देश की सर्वोच्च जाँच एजेंसी CBI कर रही है। वो भी देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में। फिर भी नतीजा वही ढाँक के तीन पात वाला ही रहा।बोरियों का अभाव बताकर क्रय केंद्र प्रभारी किसानों का धान लेने से कर दे रहे हैं,मना। क्रय केंद्र प्रभारी दो ब्यवस्था के साथ खरीद रहे हैं,धान। पहली ब्यवस्था किसान स्वयं बोरी की ब्यवस्था करे। दूसरी ब्यवस्था में धान क्रय करने के लिए उन्हीं किसानों को बोरियाँ क्रय केंद्र से दी जाती है जो बिचौलियों के माध्यम से धान बेंचने के लिए राजी होता है। सवाल उठता है कि ये सारे गोरखधंधे सरकार की नौकरशाही सरकार की मर्जी से करती है अथवा सरकार को किनारे करके सिर्फ विभागाध्यक्ष व विभाग से जुड़े अफसर और जिला प्रशासन मिलकर हजम कर लेते हैं।उ प्र के प्रतापगढ़ जनपद में उसी किसान का धान क्रय केंद्रों पर लिया जा रहा है जो स्वयं बोरियों की ब्यवस्था करके धान क्रय केंद्र पर लाता है। अन्यथा किसान से धान की खरीद नहीं की जाती। सवाल उठता है कि मोदी और योगी की सरकार गला फाड़ फाड़कर किसानों की हिमायती बनने का दम्भ भरती है। जबकि हकीकत में किसानों के साथ खाद्य एवं रसद विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा खुलेआम धान खरीद में छल, कपट, भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के साथ शोषण किया जा रहा है। जिले में बैठे प्रशानिक अफसरों की मिलीभगत से ऐसा कार्य हो रहा है। बिना प्रशासनिक अफसरों और खाद्य एवं रसद विभाग के बड़े हाकिमों की मिलीभगत के धान खरीद में इतना बड़ा घपला और घोटाला सम्भव नहीं है।
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