धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है कुओं का अस्तित्व

धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है कुओं का अस्तित्व

प्रतापगढ


09.11.2020


रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी


धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है कुओं का अस्तित्व।


जल ही जीवन, जल के बिना मनुष्य के जीवन की कल्पना करना भी बेमानी सा होगा क्योकि जल है तो कल है । बीते कुछ वर्षों पूर्व तक लोग कुएं के पानी का इस्तेमाल करते थे उसके जल को पीने से लेकर के कपड़ा धोने,सिचाई करने आदि के लिए उपयोग करते थे किन्तु समय बीतता गया और मशीनीकरण के युग मे कुएं का अस्तित्व समाप्त होता चला गया, लोग जिस कुएं का कल तक पानी पीते थे उसी कुएं को नही बचा सके । ग्रामीणांचल मे लोग पूर्व काल मे कुएं के द्वारा अपने अनेकों कार्य करते थे किन्तु आज भी कभी कदार कुएं की आवाश्यकता और महत्व बढ़‌जाता है जब गांव मे कहीं दुर्भाग्यवश आग जल जाता है जब तक फायर ब्रिगेड की गाड़ी नही पहुंचता तब तक लोग नल आदि से पानी भरकर आग पर काबू पाने का प्रयास करते हैं किन्तु कभी कभी नल बंद पड़ जाते हैं ऐसे मे कुएं ही सहारा बनते हैं बावजूद इसके लोग कुएं के अस्तित्व को बचाने व उसके मरम्मत आदि को लेकर चिंतित नही दिखाई दे रहे हैं हलांकि प्रतापगढ़ के कई गावों मे लोगों ने कुएं के उपयोगिता एंव मरम्मतीकरण पर ध्यान जरुर दिया‌ हैं ,सूबे कि सरकार ने सत्ता मे आते ही कुएं के मरम्मती करण पर ध्यान देते हुए बेकार या गिर रहे कुओं को एक योजनान्तर्गत दुरुस्त कराने के लिए आदेश पारित किया था किन्तु अधिकारियों की शिथिलता एंव जिम्मेदारों के लापरवाहपूर्ण रवैये के चलते योजना के लाभ से कई गांव व कुएं वंचित रह गए। हन्डौर के रहने वाले शास्त्री मनोज दुबे ,राकेश शुक्ल उर्फ नान बाबू, राजकुमार द्विवेदी एडवोकेट, लालगंज क्षेत्र के अधिवक्ता दीपक पान्डेय, सुरजीत तिवारी, वरिष्ठ समाजसेवी पं. शारदा प्रसाद मिश्र, लक्ष्मीकान्त दुबे, राजेश दुबे, लालजी दुबे सहित कई लोगों ने बताया कि ग्रामीणांचल मे आज भी कुएं की महत्वा है और जनपद के ज्यादातर गावों मे लोग कुएं के पानी का किसी न किसी कार्य मे उपयोग करते हैं, जब आज भी गर्मियों मे नल पानी देना बंद कर देते हैं ऐसे मे कुएं ही हमारा सहारा बनते हैं‌। ग्राम प्रधान पति हन्डौर मनोज‌ सिंह ने बताया‌ कि उनके द्वारा गांव मे अधिकांश कुओं की मरम्मत का कार्य कराया गया‌ था‌ जिन कुओं का इस्तेमाल ग्रामीणों द्वारा किया‌ जा रहा था उनके कायाकल्प के प्रति पूर्ववत भी रहा और आज भी हूं । कुआं हमारे पूर्वजों की विरासत है जिसे जीवांत रखना हम सबका नैतिक कर्तव्य एंव दायित्व है और जल को भी बचाने तथा व्यर्थ बहने से बचाने के प्रति संकल्पित होना होगा क्योंकि जल है तो‌ कल है ।

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