कैसे होंगे विकास के काम, राजनीतिक गुटबाजी में लटके करोड़ों के काम

कैसे होंगे विकास के काम, राजनीतिक गुटबाजी में लटके करोड़ों के काम

पीलीभीत न्यूज


कैसे होंगे विकास के काम, राजनीतिक गुटबाजी में लटके करोड़ों के काम

पीलीभीत(नीलेश चतुर्वेदी) : राजनीतिक विवाद में जिला पंचायत में 25 करोड़ रुपये के कामों के टेंडर तीसरी बार भी निरस्त होने के आसार बन गए हैं। हाईकोर्ट की अनुमति के बावजूद जिला पंचायत अध्यक्ष अन्य विभागों के पंजीकृत ठेकेदारों को इस टेंडर प्रक्रिया में शामिल होने देने के लिए तैयार नहीं है। बाहरी ठेकेदारों के जिला पंचायत के मानक पूरे न होने की बात को आधार बनाकर उन्होंने अपर मुख्य अधिकारी को टेंडर प्रक्रिया निरस्त करने के लिए आदेश दिए हैं। अभी इस पर फैसला होना बाकी है। मगर बार-बार विवाद से जिले में विकास कार्य रुक रहे हैं।

जिला पंचायत में वित्तीय वर्ष 2019 से ही 25 करोड़ रुपये के काम हथियाने को लेकर भाजपा और सपा नेताओं के बीच खींचतान चल रही है। जिला पंचायत अध्यक्ष सपा की हैं। अधिकांश सदस्य भी उनके समर्थक हैं। मगर, प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद भाजपा से जुड़े ठेकेदारों का एक गुट भी 25 करोड़ के काम हथियाने को लेकर सक्रिय हो गया। ठेकेदारों ने दो भाजपा विधायकों की मदद से लखनऊ जाकर दो बार टेंडर निरस्त करा दिए। इनका मुद्दा यह था कि जिला पंचायत में अन्य विभागों जैसे पीडब्ल्यूडी, आरईएस आदि में पंजीकृत ठेकेदारों को भी टेंडर डालने का मौका मिले। लंबे विवाद के बाद बमुश्किल टेंडर निकाले गए। छह जून को आखिरी तारीख थी। मगर, तब तक हाईकोर्ट ने भी बाहरी विभागों में पंजीकृत ठेकेदारों को टेंडर डालने की अनुमति दे दी।

हाईकोर्ट के आदेश बाद जिला पंचायत में टेंडर डालने की तारीख छह जून से बढ़ाकर 13 जून कर दी गई। मगर, एक दिन पहले जिला पंचायत अध्यक्ष आरती महेंद्र ने 25 करोड़ के कामों के टेंडर निरस्त करने का पत्र अपर मुख्य अधिकारी को जारी कर दिया। जिला पंचायत अध्यक्ष के इस दांव से न केवल विरोधी गुट के ठेकेदार और भाजपा नेता बल्कि अफसर भी चौंक गए। बल्कि अपर मुख्य अधिकारी जागन सिंह तो अध्यक्ष का पत्र मिलते ही अपनी कुर्सी छोड़कर ही दफ्तर से चले गए और अपना मोबाइल भी स्विच ऑफ कर लिया। जाने से पहले हालांकि उन्होंने मामला सीडीओ के पाले में डालने के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष का पत्र सीडीओ को भेज दिया। सीडीओ ने भी राजनीतिक विवाद से हाथ खींच लिए। उन्होंने शासन की वीडीओ कांफ्रेंसिंग में व्यस्तता बताते हुए इस पर कुछ भी कहने से मना कर दिया। इस मामले में अब राजनीतिक ड्रामा होना बचा है, जो 13 जून को देखने को मिल सकता है। इस दिन टेंडर खुलने की तारीख है।

अध्यक्ष बोलीं - बात नहीं बनी तो 25 करोड़ पीएम राहत फंड में दे देंगे

जिला पंचायत अध्यक्ष का कहना है कि संस्था में ठेकेदारों का गुट सक्रिय है। वह विकास के काम नहीं होने दे रहे बल्कि किसी तरह काम हथियाकर उसमें बेईमानी करना चाहते हैं। इसमें कुछ भाजपा नेता भी इन लोगों को अपना समर्थन दे रहे हैं। हम ऐसा बिल्कुल नहीं होने देंगे। अगर यह सब नहीं मानें तो सरकार की 25 करोड़ की धनराशि हम प्रधानमंत्री राहत फंड में कोरोना से लड़ने के लिए दान में दे देंगे।

अन्य विभागों में पंजीकृत ठेकेदारों की श्रेणी जिला पंचायत की अर्हताओं से अलग है। अन्य विभागों में पंजीकृत ठेकेदार उसे पूरा नहीं करते। इससे विवाद की स्थिति बन सकती है। इसलिए मैंने टेंडर निरस्त करने के लिए अपर मुख्य अधिकारी को लिखा है। वह इसमें टालमटोल कर रहे हैं। जिला पंचायत एक्ट में अध्यक्ष को पूरा अधिकार है कि वह जब चाहे तब टेंडर निरस्त कर सकता है।

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