जिला प्रशासन ने वायु सेना की 400 करोड़ रुपये की 161 एकड़ भूमि रक्षा मंत्रालय के नाम कराई दर्ज

जिला प्रशासन ने वायु सेना की 400 करोड़ रुपये की 161 एकड़ भूमि रक्षा मंत्रालय के नाम कराई दर्ज

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नोएडा

Report - Vikram Pandey 

जिला प्रशासन ने वायु सेना की 400 करोड़ रुपये की 161 एकड़ भूमि रक्षा मंत्रालय के नाम कराई दर्ज


जिला प्रशासन की मदद से वायु सेना तीन साल पहले अपनी 80 एकड़ भूमि भूमाफिया को कब्जे से मुक्त कर चुका है 


नोएडा स्थित यमुना के डूब क्षेत्र के नंगला नंगली और नंगली साकपुर गांवों में जिला प्रशासन ने वायु सेना की 400 करोड़ रुपये की 161 एकड़ भूमि रक्षा मंत्रालय के नाम दर्ज कर दी है। वर्ष 1950 में इस जमीन वायु सेना को बोम्बिंग रेंज और फील्ड फायरिंग के लिए अधिग्रहीत करके दी गई थी। वायु सेना की जमीन पर कब्जा करके भूमाफिया ने फार्म हाउस बनाकर बेच दिए थे। जिला प्रशासन की मदद से वायु सेना तीन साल पहले अपनी 80 एकड़ भूमि भूमाफिया को कब्जे से मुक्त कर चुका है। बची हुई जमीन के लिए वायु सेना की ओर से दायर मुकदमे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जिला प्रशासन को कार्रवाई करने का आदेश दिया था।


हरियाणा के फरीदाबाद जिले से दीक्षित अवार्ड के तहत वर्ष 1971 में गौतमबुद्ध नगर को यह जमीन दी गई थी। इस जमीन पर मालिकाना हक हासिल करने के लिए मुकदमा दायर किया गया था। दूसरा मुकदमा राजस्व अभिलेखों में वायु सेना का नाम दर्ज करने के लिए दायर किया गया है। वायु सेना को भारत सरकार ने वर्ष 1951 में यह जमीन दी थी।  वर्ष 1950 में बुलंदशहर के तत्कालीन जिलाधिकारी ने यह जमीन अधिग्रहित कर के आगरा के रक्षा संपदा अधिकारी को सौंपी थी। दरअसल, तब यह इलाका बुलंदशहर जिले में ही था।


लेकिन शुरू से ही जमीन के राजस्व अभिलेखों पर किसानों के नाम रहे। वायु सेना का नाम दर्ज नहीं किया गया। इसी का फायदा उठाकर वायु सेना की जमीन पर भूमाफिया ने कब्जा किया। इस जमीन पर सैकड़ों फार्म हाउस बनाकर लोगों को बेच दिए गए थे। इस मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया था। वायु सेना की जमीन कब्जा मुक्त करवाने और भू-माफिया व प्रशासनिक अफसरों की मिलीभगत की जांच के लिए हाईकोर्ट ने आदेश दिया था। सहायक अभिलेख अधिकारी रजनीकान्त ने बताया कि रक्षा संपदा अधिकारी की याचिका पर सुनवाई करने के बाद सारे नाम खारिज कर दिए गए हैं। इस जमीन पर रक्षा मंत्रालय का नाम दर्ज कर दिया गया है। मौजूदा समय में इस जमीन की कीमत करीब 400 करोड रुपये आंकी गई है।


हाईकोर्ट इस आदेश के बाद जिला प्राशसन इस कार्रवाही से यमुना खादर में अवैध रूप से प्लॉटिंग कर रहे भू-माफियाओं की गतिविधियों पर प्रभावी अंकुश लगेगा। राजस्व अभिलेखों में नाम दर्ज हो जाने के बाद रक्षा मंत्रालय की ओर से प्रश्नगत भूमि पर कब्जा लिए जाने की तैयारी शुरू कर दी गयी है। जिला अधिकारी सुहास एलवाई का कहना है की जनपद गौतमबुद्धनगर में भू-माफियाओं तथा अवैध अतिक्रमण के खिलाफ अभियान सतत रूप से चलता रहेगा।

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