उपेक्षा का शिकार बनी खजुहा की प्राचीन धरोहरें

उपेक्षा का शिकार बनी खजुहा की प्राचीन धरोहरें

पी पी एन न्यूज

उपेक्षा का शिकार बनी खजुहा की प्राचीन धरोहरें


कमलेन्द्र सिंह/ प्रदीप सिंह

बिन्दकी/ फतेहपुर 

फ़तेहपुर मुख्यालय से लगभग 34 किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा में स्थित लगभग पन्द्रह हजार से ऊपर की आबादी वाले ऐतिहासिक कस्बे खजुहा में सैंकड़ों से अधिक प्राचीन धरोहरें मन्दिर, शिवालय, तालाब, विशाल फाटक जर्जर कुँए प्रशासनिक उपेक्षाओं का शिकार बन बदहाली के आँसू बहा रहे हैं। जो की रखरखाव के अभाव में पूरी तरह जर्जरता की ओर अग्रसर है। बल्कि इन बेशकीमती धरोहरों में पूरी तरह अवैध अतिक्रमण कारियों ने अपना कब्जा भी जमा रखा है।

जो की शासन प्रशासन के आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए अपना ब्यवसाय कर रहे हैं। लेकिन ना तो प्रशासनिक जिम्मेदारों का और ना ही पुरातत्व विभागीय जिम्मेदारों का इस ओर ध्यान जा रहा है। इन प्राचीन धरोहरों की कस्बे वासियों ने जीर्णोद्धार कराये जाने की माँग की है। बताते चलें तहसील मुख्यालय बिन्दकी से महज छः किलोमीटर दूर स्थित खजुहा कस्बा जो कि ना सिर्फ अपनी ऐतिहासिकता को दर्शाता है। बल्कि छोटी काशी के नाम से भी प्रशिद्ध है। किन्तु प्रशासनिक व विभागीय अनदेखी के कारण कस्बे स्थित सैकड़ो प्राकृतिक धरोहरें देखरेख के अभाव में ना सिर्फ बदहाली के आँसू बहा रही हैं। बल्कि इन धरोहरों में पूरी तरह अवैध अतिक्रमण कारी भी काबिज हैं। जिस ओर ना तो विभागीय जिम्मेदारों का ध्यान जा रहा है। और ना ही प्रशासनिक जिम्मेदारों का।


फ़तेहपुर जनपद का दुर्भाग्य है कि यहाँ पर केंद्र व प्रदेश की सत्ता में काबिज चार विधायक, दो राज्य मंत्री एवं सांसद केंद्रीय मंत्री के होते हुए भी देखरेख व उपेक्षा का शिकार बन सैकड़ो ऐतिहासिक धरोहरें अस्तित्व समाप्ति की ओर अग्रसर हैं। जिनमे कस्बे के उत्तर दिशा में स्थित तुलाराम तालाब, दक्षिण दिशा में स्थित प्राचीन शक्तिपीठ धाम व माँ पँथरी के तालाब जिनमें सरकारी योजनाओं के तहत आज तक पानी ही नहीं भरा गया।

ये जरूर है की प्रत्येक नवरात्र में समाजसेवियों द्वारा उक्त तालाबों में पानी भरवा दिया जाता है। जिससे कुछ हद तक इनका अस्तित्व आज भी बरकरार है। इसी क्रम में पूरब दिशा में 52 बीघे के रकबे में बना तालाब आज अतिक्रमण कारियों के शिकंजे में कैद है। इसी प्रकार फ़तेहपुर आगरा मुगल मार्ग पूरब और पश्चिम दिशा में स्थित विशाल फाटक हर वर्ष बारिश के मौसम में थोड़ा थोड़ा छतिग्रस्त होता रहता है। जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। इसी प्रकार दर्जनों प्राचीन मंदिर भी देखरेख के अभाव में जर्जरता की ओर अग्रसर हैं।

हलांकि कस्बे वाशियों द्वारा इन मंदिरों के अस्तित्व को बचाने के लिये कस्बे वासियों द्वारा चन्दा करके इनके आस पास उगी झील झंखाडों की साफ सफाई के अलावा रँगाई पुताई भी कराई जाती है। लेकिन पुरानी धरोहरें होने के कारण खर्च अधिक होने से मंदिरों का जीर्णोद्धार भी ठीक तरीके से नहीं हो पा रहा है। जिनके जीर्णोद्धार व अतिक्रमण मुक्त कराए जाने के लिये कस्बे के सामजसेवी चमन लाल गुप्ता, सौरभ,सुमन, गोपाल, नयन सिंह आदि लोगों ने प्रशासनिक समेत विभागीय जिम्मेदारों से भी मांग कर चुके हैं।

लेकिन इस ओर किसी भी जिम्मेदार ने आज तक अपना ध्यान लगा इनका जीर्णोद्धार कराया जाना मुनाशिब नहीं समझा। नतीजतन यथा स्थित आज भी बरकरार है।

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