सर्वपृत्रि अमावस्या को तर्पण एवं करें पिण्डदान --धर्माचार्य ओम प्रकाश पाण्डेय
- Posted By: MOHD HASNAIN HASHMI
- राज्य
- Updated: 17 September, 2020 08:41
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प्रतापगढ़
17. 09. 2020
रिपोर्ट --मो. हसनैन हाशमी
सर्वपृत्रि अमावस्या को तर्पण एवं करें पिंडदान----- धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडेय
आज 17 सितंबर बृहस्पतिवार को पृति पक्ष आश्विन मास की सर्वपितृ अमावस्या है। इसके पश्चात पुरुषोत्तम मास लग जाएगा। जो भी बंधु पृतिपक्ष में अपने पितरों को तर्पण नहीं किए हैं या अपने पिता की मृत्यु की तिथि याद नहीं है तो उन्हें आज अमावस्या के दिन तर्पण एवं पिंड दान करके ब्राह्मणों को भोजन आदि कराना चाहिए ।लेकिन यदि गया में पिंड दान कर नैमिषारण्य और बद्रीनाथ जी के ब्रह्म कपाल पर पिंड दान कर चुके हो तो उन्हें पिंड दान करने की आवश्यकता नहीं है। वह पितरों को तर्पण करके ब्राह्मणों को भोजन कराएं दान दक्षिणा से उन्हें संतुष्ट करें उनके पितर प्रसन्न होंगे और अपना आशीर्वाद प्रदान करेंगे। पुरुषोत्तम मास को मलमास भी लोग कहते हैं। एक बार मलमास भगवान श्रीमन्नारायण के पास गया और कहा कि लोग मुझे सभी मासो का मल समझते हैं। इसलिए मेरी अवहेलना करते हैं तो आपने मुझे क्यों बनाया? भगवान ने कहा तुम चिंता मत करो तुम समस्त मासो में पुरुषोत्तम मास हो। मेरा नाम पुरुषोत्तम है इसलिए मैं अपना नाम तुम्हें प्रदान कर रहा हूं। सूर्य 1 वर्ष में 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है वही चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है इन दोनों वर्षों के बीच में 11 दिवस का अंतर आ जाता है यही अंतर 3 साल में 1 महीने के बराबर हो जाता है इसी अंतर को दूर करने के लिए हर 3 वर्ष में एक चंद्रमास आता है। इसी को पुरुषोत्तम मास कहा जाता है । आषाढ़ मास के महीने में जब यह मलमास या पुरुषोत्तम मास आता है तभी भगवान श्री जगन्नाथ जी नव कलेवर धारण करते हैं। भगवान श्री कृष्ण गीता में कहते हैं हे अर्जुन बहती हुई नदियों में मैं गंगा, जल में समुद्र वृक्षों में पीपल तथा धातुओं में स्वर्ण हूं। पुरुषोत्तम मास में लोग इसीलिए पीपल के वृक्ष में जल डालते हैं और पीपल की पूजा करते हैं। इस मास में भगवान श्रीमन नारायण की पूजा का विशेष महत्व है ।चातुर्मास में ठाकुर जी विश्राम करते हैं और विश्राम करने के लिए सुतल लोक में चले जाते हैं। अतः इस माह में भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। पुरुषोत्तम मास में विवाह गृह प्रवेश मुडंन या मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। इस मास में व्रत उपासना पूजा-पाठ साधना को सर्वोत्तम माना गया है। इस मास में प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि वह आत्म चिंतन करें। मानव कल्याण की चर्चा करें। अपने पूर्वजों तथा भगवान को धन्यवाद करें जिनकी कृपा से आज हम जो कुछ है वह सब आपकी कृपा है। ऐसा करने से आपको शांति मिलेगी।
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