शिक्षा विभाग का फर्जीवाड़ा हुआ उजागर, घर बैठे दो शिक्षक बिना काम किए आहरित कर रहे हैं वेतन।
- Posted By: MOHD HASNAIN HASHMI
- राज्य
- Updated: 17 October, 2020 09:00
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प्रतापगढ
17.10.2020
रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी
शिक्षा विभाग का फर्जीवाड़ा हुआ उजागर, घर बैठे दो शिक्षक बिना काम किए आहरित कर रहे हैं वेतन।
प्रतापगढ जनपद के विकास क्षेत्र कुण्डा के हौदेश्वर नाथ धाम में शिक्षा विभाग का फर्जीवाड़ा हुआ उजागर, ग्रामीणों का आरोप है कि लगभग 20--25 वर्षों पहले यहां पर एक विद्यालय खुला था, जिसका नाम संत शिरोमणि श्री गोस्वामी तुलसीदास जी उत्तर माध्यमिक संस्कृत विद्यालय हुआ करता था। जिसमें 2 शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी प्रधानाचार्य गुलाब एवं सहायक अध्यापक रामप्यारे तिवारी की। आज यह विद्यालय जो की अब पूरी तरह खंडहर में परिवर्तित हो चुका है। आप तस्वीरों में देख सकते हैं कि कितनी बदतर हालत हो चुकी है इस विद्यालय की। ग्रामीणों का आरोप है कि यह विद्यालय आज कई सालों से बंद पड़ा है न ही कोई शिक्षक इसमें पढ़ाने आते हैं और न ही कोई विद्यार्थी पढ़ने आता है ।शिक्षक आज भी विद्यालय के नाम पर लगभग एक एक लाख रुपये की तनख्वाह का आहरण कर रहे हैं। यह विद्यालय सिर्फ कागजों पर चल रहा है। आपको बता दें कि इस विद्यालय के रखरखाव के लिए भी कई बार सरकार से पैसों की उगाही की गई और रखरखाव के नाम पर गांव के किनारे दो कमरे बना दिए गए जहां पर सारे गांव के नाली का पानी एकत्र होता है और उस जगह की बाउंड्री भी अब गिर चुकी है। यह इमारत हौदेश्वर नाथ धाम के महावीर के पुरवा में स्थित है। इस विषय में जब मीडिया की टीम ने उन अध्यापकों से बात करनी चाही तो उन्होंने अपने मोबाइल बंद कर लिए और रामप्यारे तिवारी से बात भी हुई तो हीला हवाली बताने लगे और कहा कि जो करना है आप कर लीजिए। ऐसे लापरवाह शिक्षकों के ऊपर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए ऐसे में जहां एक ओर योगी जी सुशासन की बात करते हुए भ्रष्टाचार को खत्म करने की बात करते हैं वही प्रदेश के सबसे सम्मानित विभाग में हो रहा फर्जीवाड़ा यदि इस विद्यालय की गहनता से जांच हुई तो कई बड़े अधिकारियों के नाम भी आ सकते हैं सामने।शासन, प्रशासन से अनुरोध है कि इस विद्यालय की जांच कर इसको बंद करा दिया जाए। ऐसे भ्रष्ट अध्यापकों और उन जिम्मेदार अधिकारियों के ऊपर भी उचित कार्यवाही होनी चाहिए जिन लोगों ने जनता के पैसों को लूटने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है ।
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