गांधी जी के विचारों को "भगवन" जी ने कर लिया था आत्मसात--धर्माचार्य ओमप्रकाश पाण्डेय
- Posted By: MOHD HASNAIN HASHMI
- राज्य
- Updated: 20 August, 2020 06:38
- 1206

प्रतापगढ़
20. 08. 2020
रिपोर्ट --मो. हसनैन हाशमी
गांधी जी के विचारों को" भगवन" जी ने कर लिया था आत्मसात --धर्माचार्य ओमप्रकाश पांडेय
प्रतापगढ़ जनपद धार्मिक राजनैतिक एवं पत्रकारिता तथा स्वतंत्रता आंदोलन में अपना विशेष स्थान रखता है। देश की आजादी के लिए जहां अनेकों लोग स्वतंत्रता संग्राम में वीरगति को प्राप्त हुए तथा अंग्रेजों से संघर्ष करते हुए जेलों में जीवन बिताया वही पत्रकारिता के क्षेत्र में राजाराम पाल सिंह ने 1885 में हिंदी का प्रथम दैनिक समाचार पत्र हिंदुस्तान हिंदी क्षेत्र में निकालने का गौरव प्राप्त किया।
इसी कड़ी में जनपद प्रतापगढ़ से अनेक साप्ताहिक समाचार पत्र भी निकले जिसमें श्री राम निरंजन भगवन जी द्वारा संपादित लोक मित्र समाचार पत्र ने निष्पक्ष निर्भीक न्याय प्रियता के क्षेत्र में अपना विशिष्ट स्थान रखता है। भगवान जी द्वारा जनपद की समस्याओं को प्रत्येक सप्ताह नारद जी खबरिया लाए हैं के शीर्षक के नाम से जनमानस में और अधिकारियों के बीच में पहुंचाने का कार्य करते थे ।
उस खबर को अधिकारीगण संज्ञान में लेकर त्वरित कार्यवाही करते थे। आपने जिस तरह से अपना छोटा सा प्रेस आर्थिक तंगी के बावजूद चलाया और वह समाचार पत्र कभी भी बंद नहीं हुआ। भगवान जी अधिकारियों के पास जाते थे तो अधिकारी खड़े होकर आपका सम्मान करते थे ।मुझे कहने में कतई संकोच नहीं हो रहा है आजकल अधिकारियों की चापलूसी में लगभग 50% पत्रकार अपना समय देकर अपने को गौरवान्वित महसूस करते हैं। यही कारण होता है कि आए दिन यह समाचार पत्रों में सूचना मिलती है फला पत्रकार को प्रताड़ित किया जा रहा है ।
आज भी जनपद में अनेक पत्रकार अपनी ईमानदार छवि एवं कर्मठता तथा लेखनी के वजह से जाने जाते हैं। भगवन जी गांधी जी के विचारों को आत्मसात कर लिया था। अंग्रेजों की गुलामी को भी अपने देखा था। मोहनी मुस्कान पान खाए हुए रास्ते में चलते समय भगवन भगवन का उद्घोष करते हुए जब निकलते थे तो बच्चों से लेकर बूढ़े तक भगवन जी भगवन जी कहकर प्रणाम करने लगते थे।
आप ने कभी भी गलत कार्यों के प्रति कोई समझौता नहीं किया। प्रीत पत्रकारिता से दूर रहकर ईमानदारी कर्मठता दयालुता इंसाफ और इंसानियत के लिए आप कार्य करते रहे। आज उनके बताए रास्ते पर चलकर आपके पुत्र संतोष भगवन ईमानदारी और कर्मठता के आधार पर27 मार्च 1956 से निकलने वाला साप्ताहिक समाचार पत्र आज दैनिक लोकमित्र के रूप में संपादित कर रहे हैं, और लोक मित्र परिवार उसी राह पर चलकर समाचार पत्र को प्रकाशित कर रहा है। पाठकों को इस बात की प्रसन्नता है कि भगवन जी की जो इच्छा थी उसी रास्ते पर लोक मित्र परिवार पीत पत्रकारिता से दूर रहकर प्रकाशित हो रहा है।
इस बात से भी जनमानस को प्रसन्नता होती है।
27वीं पुण्यतिथि पर दास ऐसे महामानव को शत शत नमन करता है और ठाकुर जी से प्रार्थना करता है कि ठाकुर जी भगवन जी जहां कहीं भी हो उनकी आत्मा को शांति प्रदान कीजिए तथा उनके सपनों को साकार करने के लिए लोक मित्र परिवार को संबल प्रदान कीजिए।
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