राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम को पूरी गंभीरता एवं ईमानदारी से संचालित किया जाए-- जिलाधिकारी

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम को पूरी गंभीरता एवं ईमानदारी से संचालित किया जाए-- जिलाधिकारी

प्रतापगढ 


28.09.2022



रिपोर्ट-- मो.हसनैन हाशमी



राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम को पूरी गम्भीरता एवं ईमानदारी से संचालित किया जाये-जिलाधिकारी



प्रतापगढ़। जिलाधिकारी डा0 नितिन बंसल की अध्यक्षता में कल सायंकाल कलेक्ट्रेट सभागार में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम एवं जन्म मृत्यु पंजीकरण की समीक्षा की गयी। बैठक में मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा अवगत कराया गया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत जनपद के सभी विकास खण्डों में 02-02 टीमे जिसमें डाक्टर एवं पैरामेडिकल तथा नर्स कार्यरत है। वर्तमान में कुल 53 मेडिकल आफिसर, 37 पैरा मेडिकल स्टाफ एवं 23 ए0एन0एम0 के माध्यम से विकास खण्डों में माइक्रोप्लान के अनुसार प्रति विद्यालय एवं 02 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर टीम द्वारा बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। जिलाधिकारी ने विकास खण्डवार तैनात टीमों के द्वारा किये गये स्वास्थ्य परीक्षण एवं उनके द्वारा उपचारित तथा रेफर किये गये बच्चों की समीक्षा की। जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्साधिकारी को निर्देशित किया कि विकास खण्डवार तैनात टीमों में यह सुनिश्चित करें कि प्रत्येक टीम में डाक्टर एवं पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती अवश्य हो, अपने स्तर से इसकी समीक्षा कर अवगत कराये। उन्होने मंगरौरा में कार्यरत डाक्टर अरूण गुप्ता जिनका स्थानान्तरण मानधाता किये जाने से मंगरौरा की टीम में मेडिकल आफिसर न होने पर नाराजगी जतायी और डाक्टर अरूण गुप्ता को पुनः मंगरौरा में तैनात करने का निर्देश दिया। डीपीएम द्वारा अवगत कराया गया कि अगस्त तक कुल 12 हजार बच्चों का परीक्षण आरबीएसके टीम द्वारा किया गया है जिनमें 06 बच्चों में जन्मजात रोग पाया गया है। इसी तरह टीमों द्वारा किये गये रेफरल की समीक्षा की जिसमें पाया गया कि सांगीपुर में तैनात दोनो टीमों द्वारा 300 बच्चों को रेफर किया गया जबकि लालगंज में मात्र 85 तथा कुण्डा में मात्र 37 बच्चों को रेफर किया गया है। जिलाधिकारी ने इन टीमों में तैनात डाक्टरों से इस सम्बन्ध रेफर किये गये बच्चों के स्वास्थ्य के सम्बन्ध में जानकारी करने पर कोई उत्तर नही दे सके जिस पर जिलाधिकारी ने नाराजगी व्यक्त तथा निर्देशित किया कि माह अक्टूबर का माइक्रोप्लाइन बीएसए को उपलब्ध करा दिया जाये। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, आरबीएसके टीम द्वारा विद्यालयों के भ्रमण के समय अपने अध्यापकों के माध्यम से अवगत करायेगें तथा उन्हें जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को विद्यालयों में बच्चों के स्वास्थ्य रजिस्टर बनाने का निर्देश दिया जिसमें बच्चों की ऊॅचाई, वजन एवं अन्य पायी गयी बीमारियों का उल्लेख किया जाये, जिस पर आरबीएसके टीम द्वारा की गयी कार्यवाही का भी उल्लेख किया जाये। जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्साधिकारी से अपेक्षा करते हुये कहा कि आरबीएसके टीम के भ्रमण की रेण्डम जांच करायी जाये एवं जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की जाये। आरबीएसके टीम द्वारा भ्रमण एवं उनके द्वारा मौके पर उपचारित बच्चों की शून्य संख्या पर नाराजगी व्यक्त की तथा सीएमओ को निर्देश दिया कि आरबीएसके टीम की लक्ष्य से कम प्रगति करने वाली सभी डाक्टर एवं पैरामेडिकल स्टाफ को नोटिस निर्गत की जाये कि यदि उनके द्वारा लक्ष्य के अनुरूप प्रगति में सुधार न लाया गया तो उनकी संविदा समाप्त करने की कार्यवाही की जायेगी। जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि शासन के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम को पूरी गम्भीरता एवं ईमानदारी से संचालित किया जाये। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम का उद्देश्य है कि विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाये तथा शुरूआती रोगों के लक्षण आते ही उनकी पहचान की जाये तथा लक्षण के आधार पर उनका उपचार किया जाये ताकि बच्चे स्वस्थ्य रह सके। डाक्टरों को विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण के साथ ही विद्यालय में साफ-सफाई एवं मिड-डे-मील की पोषकता का भी परीक्षण करना चाहिये तथा बच्चों के छोटी-छोटी परेशानियों जैसे दांत, आंख की रोशनी, विटामिन की कमी, स्कीन रोग आदि का परीक्षण कर मौके पर इनका उपचार किया जाये, यदि कोई गम्भीर रोग पाया जाता है तो ऐसे बच्चों को सीएचसी/पीएचसी हेतु रेफर किया जाये एवं उन बच्चों का फालोअप भी किया जाये। 

इसी के साथ ही जिलाधिकारी द्वारा जन्म मृत्यु पंजीकरण कार्यक्रम की भी समीक्षा की गयी। समीक्षा के दौरान अवगत कराया गया कि गत माह 3492 बच्चों का जन्म हुआ है जिनमें 542 बच्चों का जन्म महिला अस्पताल में हुआ है। जिलाधिकारी द्वारा निर्देश दिया गया कि निजी अस्पतालों में जन्म लेने वाले बच्चों की सूचना पंजीयन इकाई को आनलाइन उपलब्ध कराने का दायित्व निजी अस्पताल का है जो अस्पताल इसका अनुपालन नही कर रहे है उनके विरूद्ध कार्यवाही की जाये। जिलाधिकारी ने शासनादेश के अनुसार नोटीफायर अधिसूचक के रूप में नामित ए0एन0एम0, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकत्री एवं सफाई कर्मियों को जन्म-मृत्यु की सूचना रजिस्ट्रार को दी जानी है इसके लिये जिला कार्यक्रम अधिकारी, जिला पंचायत राज अधिकारी एवं मुख्य चिकित्साधिकारी अपने अधीनस्थ स्टाफ को सचेत करें ताकि उनके क्षेत्र में होने वाले जन्म एवं मृत्यु की सूचना तत्काल रजिस्ट्रार को उपलब्ध करायी जाये ताकि आनलाइन जन्म-मृत्यु पंजीकरण निर्गत किये जाने की सुविधा का आम जनता को लाभ प्राप्त हो सके। जिलाधिकारी ने सीएमओ को निर्देशित किया कि इस सम्बन्ध में शासन द्वारा निर्गत शासनादेश की प्रति सभी उपजिलाधिकारी एवं सम्बन्धित विभागीय अधिकारियों को उपलब्ध करायी जाये तथा अगली बैठक में स्पष्ट सूचना प्रस्तुत की जाये कि कुल कितने बच्चों का जन्म हुआ सरकारी अस्पताल एवं निजी असप्तालों में हुआ एवं कितने का जन्म घरों में हुआ, उनमें से कितने बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र निर्गत किया गया। इसी तरह होने वाली मृत्यु एवं उनका निर्गत प्रमाण पत्र की स्पष्ट सूचना प्रस्तुत की जाये। इस सम्बन्ध में लापरवाही बरतने वाले अधिकारी/कर्मचारी के विरूद्ध आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जाये। बैठक में अपर जिलाधिकारी (वि0/रा0) त्रिभुवन विश्वकर्मा, मुख्य चिकित्साधिकारी जीएम शुक्ला, जिला सूचना अधिकारी विजय कुमार, डीपीएम राज शेखर, नोडल अधिकारी डा0 आर0के0 राम, आरबीएसके टीम में कार्यरत मेडिकल आफिसर सहित अन्य सम्बन्धित अधिकारी उपस्थित रहे।

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