इस बार घोड़े पर आएंगी मां ---पंडित अतुल शास्त्री

इस बार घोड़े पर आएंगी मां ---पंडित अतुल शास्त्री

प्रतापगढ


16.10.2020


रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी



इस बार घोड़े पर आएंगी मां---पंडित अतुल शास्त्री



इस बार दुर्गा पूजा और नवरात्रि की शुरूआत शनिवार से हो रही है ऐसे में मां घोड़े को अपना वाहन बनाकर धरती पर आएंगी. इसके संकेत अच्छे नहीं हैं. माना जाता है कि घोड़े पर आने से पड़ोसी देशों से युद्ध,सत्ता में उथल-पुथल और साथ ही रोग और शोक फैलता है. बता दें कि इस बार मां भैंसे पर विदा हो रही है और इसे भी शुभ नहीं माना जाता है. मां को करें खुश मां इस पर घोड़े पर आ रही हैं औऱ इसके संकेत अच्छे नहीं है, ऐसे में कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. इसलिए नवरात्रि के दौरान पूरे मन से देवी की अराधना करें,व्रत करें ताकि मां आपके सारे दुखों को कम कर दें. शारदीय नवरात्र पर माँ को लुभाने के विभिन्न उपाय 17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र शुरू हो रही है जिसका इंतज़ार साधक पूरे वर्ष करते हैं और विविध पूजन विधान से माँ को लुभाने की कोशिश करते हैं। इसी कड़ी में आज ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री हमें बताने जा रहे हैं इस शारदीय नवरात्र पर माँ को लुभाने के विभिन्न तरीकों सहित शारदीय नवरात्र की पूजन विधि। शारदीय नवरात्रि पूजन विधि 1. शारदीय नवरात्रि के पूजा से एक दिन पहले ही आपको पूजा की सामग्री एकत्रित कर लेनी चाहिए। इसके बाद शारदीय नवरात्रि को स्नान करने के बाद लाल वस्त्र धारण करने चाहिए। 2. इसके बाद एक चौकी पर गंगाजल छिड़क कर शुद्ध करके उस पर लाल कपड़ा बिछाएं और माँ दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें और कलश की स्थापना करें। 3. कलश की स्थापना करने के बाद माँ दुर्गा को लाल वस्त्र, लाल फूल, लाल फूलों की माला और श्रृंगार आदि की वस्तुएं अर्पित करें और धूप व दीप जलाएं। 4. यह सभी वस्तुएं अर्पित करने के बाद गोबर के उपले से अज्ञारी करें। जिसमें घी, लौंग, बताशे, कपूर आदि चीजों की आहूति दें। 5. इसके बाद नवरात्रि की कथा पढ़ें और माँ दुर्गा की धूप व दीप से आरती उतारें और उन्हें प्रसाद का भोग लगाएं।इन पूजन विधियों के साथ आगे ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री जी हमें बता रहे हैं सिद्ध कुंजिका मंत्र के ज़रिए माँ को लुभाने का उपाय: ।ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ऊं ग्लौं हुं क्लीं जूं स: ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री जी के अनुसार सिद्ध कुंजिका मंत्र का गुदगुदाकर जप करें लेकिन आपकी अवाज दूर तक नहीं जानी चाहिए। सिद्ध कुंजिका मंत्र का जाप 15 मिनट तक करें। और इस तरह से इस अभ्यास को 41 दिन तक नियमित रूप से करें। इसके बाद आप देखेंगे कि सिद्ध कुंजिका मंत्र के चमत्कारी प्रभाव से आपकी मनोकामना जल्दी ही पूरी होगी। और इस तरह आश्चर्य जनक परिणाम देखकर आप चकित हो जाएंगे।सिद्ध कुंजिका मन्त्र के अलावा शारदीय नवरात्रि में अखंड ज्योत का भी काफी महत्व होता है। इस विषय में ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री जी कहते हैं, ''शारदीय नवरात्रि पर अखंड ज्योत जलाना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। जो पूरे नौ दिनों तक जलती ही रहनी चाहिए। माना जाता है कि नवरात्रि के नौ दिनों तक माँ दुर्गा का वास घर में होता है और अखंड ज्योत जलाने से माँ दुर्गा प्रसन्न होती है और उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। इसलिए नवरात्रि पर अखंड ज्योत जलाना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।'' शारदीय नवरात्रि की कथा पौराणिक कथा के अनुसार एक समय महिषासुर ने देवलोक पर अपना अधिपत्य कर लिया था। वह सभी देवताओं का अंत करना चाहता था। महिषासुर को भैंसा दानव भी कहा जाता था। महिषासुर तीनों लोक पर अपना कब्जा करना चाहता था। कोई भी देवता उसका सामना नहीं कर सकता था। इसलिए सभी देवता ब्रह्मा जी के पास इस समस्या के समाधान के लिए गए। सभी देवताओं ने ब्रह्मा जी से यह आग्रह किया कि वह इस समस्या का कोई समाधान उन्हें बताएं।इसके बाद सभी देवताओं ने अपनी शक्तियों का उपयोग करके देवी दुर्गा का निर्माण किया। माँ दुर्गा की उत्पत्ति सभी देवताओं की शक्तियों से ही किया जा सकता था। जिससे महिषासुर का अंत किया जा सके। माँ दुर्गा का रूप अत्ंयत ही सुंदर और मोहक था। माँ के मुख से करुणा, दया, सौम्यता और स्नेह झलकता है। माँ की दस भुजाएं हैं और सभी भुजाओं अलग- अलग अस्त्र से सुशोभित हैं। सभी देवताओं की और से उन्हें अस्त्र प्राप्त थे। भगवान शिव ने त्रिशुल, भगवान विष्‍णु ने चक्र, भगवान वायु ने तीर आदि दिए हैं। जिससे वह पापियों का अंत कर सकें और धरती पर पुन: धर्म की स्थापना कर सकें। माँ शेर की सवारी करती हैं। यह शेर हिमावंत पर्वत से लाया गया था। महिषासुर को यह वरदान था कि वह किसी कुंवारी कन्या के हाथों ही मरेगा। जिस समय मां महिषासुर के सामने गई। वह माँ के रूप पर अत्यंत मोहित हो गया और माँ को अपने आधीन के लिए कहा।माँ को उसकी इस बात पर अत्यंत क्रोध आया और माँ ने उसका वध कर दिया। माँ ने अपने शास्त्रों का प्रयोग करके उसे मार डाला तो माँ के शेर ने भी उसके शरीर का रक्तपान किया। इसी वजह से हर साल नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है और माँ के नौ रूपों की पूजा की जाती है।

Comments

Leave A Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *