मोदी सरकार अक्टूबर से बदलने वाली है काम करने का नियम, सप्ताह में 4 दिन काम 3 दिन छुट्टी

मोदी सरकार अक्टूबर से बदलने वाली है काम करने का नियम, सप्ताह में 4 दिन काम 3 दिन छुट्टी

PRAKASH PRABHAW 

नई दिल्ली

मोदी सरकार अक्टूबर से बदलने वाली है काम करने का नियम, सप्ताह में 4 दिन काम 3 दिन छुट्टी


केन्द्र सरकार 1 अक्टूबर से शाय़द नया श्रम कानून का नियम लागू कर सकती है। अगर ऐसा हुआ तो लोगों को सप्ताह में सिर्फ चार दिन ही काम करने होंगे। वहीं इस नए कानून की वजह से पीएफ बैलेंस भी बढ़ने की संभावना है। पहले सरकार ये नियम 1 अप्रैल को ही लागू करने वाली थी।लेकिन कई राज्यों की सहमति ना मिलने के कारण इसकी घोषणा नहीं कर सके।

लेकिन अब इसे 1अक्टूबर से लागू किया जा सकता है। आपको बता दें कि अगर नया श्रम कानून लागू हुआ तो इससे कर्मचारी क्या पड़ेगा असर। हर सप्ताह में मिलेगी तीन दिन की छुट्टी. 

भारत सरकार के श्रम एंव रोजगार मंत्रालय के अनुसार कर्मचारियों को इस नियम के लागू होने के बाद 9 के बजाए 12 घंटे कार्य करना पड़ सकता है।  जिसमें हर पांच घंटे पर आधा घंटा का रेस्ट मिलेगा और कर्मचारियों को सप्ताह में 48 घंटे काम करना होगा। अगर कोई व्यक्ति रोजना 8 घंटे काम करता है तो उसे सप्ताह में 6 दिन काम करना होता है।  वहीं दिन में 12 घंटे काम करने वाले व्यक्ति को सप्ताह तीन दिन की छुट्टी मिलेगी। 

बढ़ेगा पीएफ घटेगी इन हैंड सैलरी 

इस नए कानून के मुताबिक सैलरी स्ट्रक्चर में भी बदलाव आएगा। इस नियम के मुताबिक कर्मचारियों की बेसिक सैलरी 50 प्रतिशत से अधिक होनी चाहिए। अगर ऐसा हुआ तो जहां प्रोविडेंट फंड बढ़ जाएगा। लेकिन वहीं इन हैंड मिलने वाली सैलरी में कटौती हो सकती है। नए श्रम कानून के नियमानुसार देश के कर्मचारियों को अब मिनिमम सैलरी देनी होगी। 

इस नियम को खासतौर पर प्रवासी मजदूरों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इससे कर्मचारियों को सोशल सिक्योरिटी मिलेगी। देश भर में आर्गेनाइज्ड और अनआर्गेनाइज्ड सेक्टर के कर्मचारियों को इम्प्लाॅयज स्टेट इंश्योरेंस कवर भी मिलेगा।साथ ही इस नए कानून में महिलाओं को नाइट शिफ्ट करने की भी अनुमति मिल सकती है। अधिकतर लोगों को हमेशा अपनी रिटायरमेंट की चिंता रहती है। 

लेकिन अब इस नए श्रम कानून की वजह से पीएफ बढ़ेगा। नियमों के अनुसार नियोक्ता को भी कर्मचारी के बराबर पैसे जमा करना होता है। ऐसे पीएफ बैलेंस बढ़ने जा रहा है। जहां इससे एक तरफ कर्मचारियों को सीधा फायदा होगा। वहीं दूसरी तरफ निजी कंपनियों पर बोझ बढ़ेगा।

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