10 जनवरी से हर रविवार फिर लगेगा मुख्यमंत्री आरोग्य मेला

10 जनवरी से हर रविवार फिर लगेगा मुख्यमंत्री आरोग्य मेला

Prakash prabhaw news

रिपोर्टर-सुरेंद्र शुक्ला


10 जनवरी से हर रविवार फिर लगेगा मुख्यमंत्री आरोग्य मेला


कोविड-19 महामारी के कारण मार्च के बाद से स्थगित था मुख्यमंत्री आरोग्य मेला


मेले में ड्यूटी करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को मिलेगी शनिवार को छुट्टी


कमजोर आय वर्ग के लोगों को अच्छी चिकित्सा सुविधा देने के लिहाज से वरदान बने मुख्यमंत्री आरोग्य मेले की एक बार फिर शुरुआत हो रही है। कोविड-19 महामारी के कारण बीते मार्च में इस साप्ताहिक मेले का आयोजन स्थगित कर दिया गया था, जिसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अगले माह जनवरी के दूसरे रविवार से फिर से शुरू करने का आदेश दिया है।

मुख्यमंत्री के आदेशानुसार 10 जनवरी से प्रदेश के सभी शहरी और ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर हर रविवार सुबह 10 बजे से अपराह्न 04 बजे तक पहले की तरह आरोग्य मेले का आयोजन होगा। मंगलवार को मुख्यमंत्री कार्यालय ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी।

मेले में कोविड-19 प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखा जाएगा। मेलों के प्रवेश द्वार पर पल्स ऑक्सीमीटर एवं थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था सहित एक कोविड हेल्प डेस्क को सक्रिय किया जाएगा। स्क्रीनिंग के बाद ही लोगों को प्रवेश दिया जाएगा, सैनिटाइजेशन और मास्क अनिवार्य होगा। मेले में आधारभूत पैथालॉजिकल जांचों, विशेष रूप से रैपिड डायग्नोस्टिक किट आधारित जाँच, की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। साथ ही, दवाओं की उपलब्धता भी होगी। मेलों के प्रवेश द्वारा पर भीड़ को नियंत्रित करने एवं व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिये जरूरत के अनुसार स्वैच्छिक संगठनों जैसे एनसीसी, एनएसएस, नेहरू युवा केन्द्र, युवक मंगल दल आदि के स्वयंसेवकों की सहायता भी ली जाएगी। 

सात मेलों में 31 लाख लोगों को मिला था फायदा: कोविड महामारी से पूर्व 02 फरवरी से 15 मार्च तक सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर प्रत्येक रविवार को कुल 07 मेलों का आयोजन किया जा चुका था, किन्तु कोविड -19 महामारी को दृष्टिगत रखते हुए मेलों के अग्रतर कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया था। फरवरी एवं मार्च 2020 में आयोजित मुख्यमंत्री आरोग्य स्वास्थ्य मेलों की महत्ता का आंकलन इन आंकड़ों से किया जा सकता है कि मात्र सात मेलों में ही 31.36 लाख रोगियों ने चिकित्सा लाभ पाया था।32,425 कुपोषित बच्चे चिन्हित किए गए थे, जबकि 76,063 रोगियों को बेहतर उपचार हेतु उच्चतर चिकित्सा इकाइयों में रेफर किया गया था। इसके साथ ही, इन मेलों में आयुष्मान भारत योजना के अन्तर्गत 2,30,890 व्यक्तियों के गोल्डन कार्ड भी बनाए गए थे।

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