पित्र दिवस (HAPPY FATHER'S DAY) पर विशेष

पित्र दिवस (HAPPY FATHER'S DAY) पर विशेष

पित्र दिवस (HAPPY FATHER'S DAY) पर विशेष


पी पी एन न्यूज


रिपोर्ट,  कमलेन्द्र सिंह

फतेहपुर।


धरती सा धीरज दिया और आसमान सी उंचाई है

जिन्दगी को तरस के खुदा ने ये तस्वीर बनाई है

हर दुख बच्चों का खुद पे वो सह लेतें है

उस खुदा की जीवित प्रतिमा को हम पिता कहते है”


वैसे तो पूरी दुनियां में जून माह का तीसरा रविवार फारर्स डे के रूप में मनाया जाता है हर पिता अपना सारा जीवन अपने बच्‍चों के खुशी के लिए समर्पित कर देते हैं।


फादर्स डे की शुरूआत अमेरिका के वाशिंगटन से हुई थी।


सबसे पहले फादर्स डे को 19 जून 1910 मनाया गया था।

सोनोरा डॉड (Sonora Dodd) ने अपने पिता की याद में वॉशिंगटन के स्पोकेन शहर में इस दिन की शुरुआत की थी। सोनोरा डॉड के पिता एक किसान थे और सेना में अपनी भूमिका निभा चुके थे। सोनोरा डॉड की माँ की मृत्‍यु उनके बचपन में हो गई थी। इसके बाद उनके पिता ने उन्‍हें माता और पिता दोंनों का प्‍यार दिया था। फादर्स डे (Father’s Day) को मनाने की बात सोनोरा डॉड के दिमाग में मदर्स डे के दिन से आई थी।


अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन (Woodrow Wilson) सन 1916 में ने फादर्स डे को मनाने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी।


अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने 1966 में इसे जून के तीसरे रविवार को मनाने का फैसला किया।

राष्ट्रपति निक्सन ने पहली बार 1972 में इस अवसर पर छुट्‌टी की घोषणा की थी।

पिताओं के सम्मान में एक व्यापक रूप से मनाया जाने वाला पर्व है जिसमें पितृत्व (फादरहुड), पितृत्व-बंधन तथा समाज में पिताओं के प्रभाव को समारोह पूर्वक मनाया जाता है। विश्व के अधिकतर देशों में इसे जून के तीसरे रविवारको मनाया जाता है। कुछ देशों में यह अलग-अलग दिनों में मनाया जाता है। यह माता के सम्मान हेतु मनाये जाने वाले मातृ दिवस का पूरक है। पिता एक ऐसा शब्द जिसके बिना किसी के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। एक ऐसा पवित्र रिश्ता जिसकी तुलना किसी और रिश्ते से नहीं हो सकती। बचपन में जब कोई बच्चा चलना सीखता है तो सबसे पहले अपने पिता की उंगली थामता है। नन्हा सा बच्चा पिता की उँगली थामे और उसकी बाँहों में रहकर बहुत सुकून पाता है। बोलने के साथ ही बच्चे जिद करना शुरू कर देते है और पिता उनकी सभी जिदों को पूरा करते हैं। बचपन में चॉकलेट, खिलौने दिलाने से लेकर युवावर्ग तक बाइक, कार, लैपटॉप और उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजने तक आपकी सभी माँगों को वो पूरा करते रहते हैं लेकिन एक समय ऐसा आता है जब भागदौड़ भरी इस ज़िंदगी में बच्चों के पास अपने पिता के लिए समय नहीं मिल पाता है। इसी को ध्यान में रखकर पितृ दिवस मनाने की परंपरा का आरम्भ हुआ।

पितृ दिवस सभी पिताओं को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। 

पितृ दिवस' (फ़ादर्स डे), समाज में पिता के प्रभाव को सम्मानित करने का दिवस है। वैसे तो यह दिवस सम्पूर्ण विश्व में मनाया जाता है किन्तु विभिन्न देशों में पितृ दिवस मनाने की तिथियां भिन्न-भिन्न हैं। भारत में, प्रति वर्ष जून माह के तीसरे रविवार को पितृ दिवस मनाया जाता है।

यह दिन पितृत्व के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। भारत के अलावा, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, जापान और पाकिस्तान जैसे अन्य देश भी जून महीने के तीसरे रविवार को पितृ दिवस मनाते हैं।

पितृ दिवस पर, लोग अपने पिता को ग्रीटिंग कार्ड और उपहार देते हैं। यह एक वार्षिक कार्यक्रम है लेकिन देश के आधार पर कैलेंडर में विभिन्न तिथियों पर आयोजित किया जाता है। कुछ लोग अपने पिता के लिए कुछ फूल खरीदते हैं। रेस्तरां में भोजन या पिकनिक या फिल्म के लिए बाहर जाना भारत में फ़ादर्स डे मनाने का एक और आम तरीका है। ऐसे कई तरीके हैं जिनसे आप अपने पिता को प्रसन्न कर सकते हैं। हमें वह सब करना चाहिए। 

एक पिता खुद को सख्त बनाकर हमें बचपन से कठिनाइयों से लड़ना सिखाता है। अपने बच्चों को ख़ुशी देने के लिए वो अपनी खुशियों की परवाह तक नहीं करता। पिता ही हैं जो कभी मां का प्‍यार देते हैं तो कभी शिक्षक बनकर गलतियां बताते हैं तो कभी दोस्‍त बनकर कहते हैं कि 'मैं तुम्‍हारे साथ हूँ'।


 मेरे पापा पर मेरे द्वारा लिखा गया एक छोटा लेख

   मैं अपने पिता जी से बेहद प्यार करता हूँ. मेरे पिता सचमुच मुझे बहुत प्यार करते हैं. मेरे पिता मेरे लिए महान हैं क्योंकि वे एक आदर्श पिता हैं। वे मेरे लिए केवल एक पिता ही नहीं बल्कि मेरे सबसे अच्छे दोस्त भी हैं, जो समय-समय पर मुझे अच्छी और बुरी बातों का आभास कराकर आगाह करते हैं। पिताजी मुझे हार न मानने और हमेशा आगे बढ़ने की सीख देते हुए मेरा हौसला बढ़ाते हैं। पिता से अच्छा मार्गदर्शक कोई हो ही नहीं सकता। हर बच्चा अपने पिता से ही सारे गुण सीखता है जो उसे जीवन भर परिस्थितियों के अनुसार ढलने के काम आते हैं। उनके पास सदैव हमें देने के लिए ज्ञान का अमूल्य भंडार होता है, जो कभी खत्म नहीं होता। मेरे पिता की कुछ प्रमुख विशेषताएं उन्हें दुनिया का सबसे अच्छा पिता बनाती है *जैसे – *धीरज:-* पिताजी का सबसे महत्वपूर्ण गुण है, कि वे सदैव हर समय धीरज से काम लेते हैं और कभी खुद पर से आपा नहीं खोते। हर परिस्थिति में वे शांति से सोच समझ कर आगे बढ़ते हैं और गंभीर से गंभीर मामलों में भी धैर्य बनाए रखते हैं।

*संयम :–* मैने हमेशा पिता से सीखा है कि चाहे कुछ भी हो जाए, हमें अपने आप पर से नियंत्रण कभी नहीं खोना चाहिए। पिताजी हमेशा संयमित व्यवहारकुशलता से हर कार्य को सफलता पूर्वक समाप्त करते हैं। वे कभी मुझ पर या मां पर बिना वजह छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा नहीं करते।

*अनुशासन:-* पिताजी हमेशा हमें अनुशासन में रहना सिखाते हैं और वे खुद भी अनुशासित रहते हैं। सुबह से लेकर रात तक उनकी पूरी दिनचर्या अनुशासित होती है। वे सुबह समय पर उठकर दैनिक कार्यों से नि़वृत्त होकर अपने काम पर जाते हैं और समय पर लौटते हैं। वे प्रतिदिन शाम को मुझे बगीचे में घुमाने भी लेकर जाते हैं। इसके बाद वे मुझे स्कूल के सारे विषयों का अध्ययन करवाते हैं।

*गंभीरता :–* पिताजी घर के सभी कार्यों और परिवार के सभी लोगों और उनके स्वास्थ्य के प्रति गंभीर होते हैं। वे कभी छोटी-छोटी बातों को भी नजर अंदाज नहीं करते बल्कि हर बात को गंभीरता से लेकर उसका महत्व हमें समझाते हैं

*प्रेम :–* पिताजी मुझसे, और परिवार के सभी लोगों से बहुत प्रेम करते हैं, वे घर में किसी भी प्रकार की कमी नहीं होने देते और हमारी जरूरतें और फरमाइशें भी पूरी करते हैं। किसी भी प्रकर की गलती होने पर वे हमें डांटने के बजाए हमेशा प्यार से समझाते हैं और गलतियों के परिणाम बताते हुए दोबारा न करने की सीख भी देते हैं।

*बड़ा दिल :–* पिताजी का दिल बहुत बड़ा है, कई बार उनके पास पैसे नहीं होते हुए भी वे अपनी जरूरत भूलकर हमारी जरूरतों और कभी कभी गैरजरूरी फरमाइशों को भी पूरा करते हैं वे कभी हमें या परिवार के सदस्यों को किसी भी चीज के लिए तरसने नहीं देते। बच्चे कोई बड़ी से बड़ी गलती भी क्यों न कर दें, पिताजी हमेशा कुछ देर गुस्सा दिखाने के बाद उसे माफ कर देते हैं ।

पिताजी कभी अपनी कोई तकलीफ नहीं बताते बल्कि वे घर के लोगों की हर जरूरत और तकलीफ का पूरा ध्यान रखते हैं। इन्हीं सब विशेषताओं के कारण पिता की महानता और अधि‍क बढ़ जाती है और उनकी तुलना दुनिया में किसी से भी नहीं की जा सकती। पिता प्रत्येक बच्चे के लिए धरती पर ईश्वर का साक्षात रूप होते हैं। वे अपनी संतान को सुख देने के लिए अपने सुखों को भी भूला देते हैं। वे रात दिन अपने बच्चों के लिए ही मेहनत करते हैं और उन्हें वे हर सुविधा देना चाहते है जो उन्हें भी कभी नहीं मिली। इसीलिए मेरे पिता दुनिया में सबसे अच्छे पिता हैं ।


अपने पापा को आज मैं क्या उपहार दूँ ?

तोहफे में फूल दूँ या गुलाबो का हार दूँ?

मरी जिंदगी में जो है सबसे प्यारा..

*उस पर तो मैं अपनी जिंदगी ही वार दूँ


इतिहास:- पितृ दिवस की शुरुआत बीसवीं सदी के प्रारंभ में पिताधर्म तथा पुरुषों द्वारा परवरिश का सम्मान करने के लिये मातृ-दिवस के पूरक उत्सव के रूप में हुई. यह हमारे पूर्वजों की स्मृति और उनके सम्मान में भी मनाया जाता है। फादर्स डे को विश्व में विभिन तारीखों पर मनाते है -जिसमें उपहार देना, पिता के लिये विशेष भोज एवं पारिवारिक गतिविधियाँ शामिल हैं।आम धारणा के विपरीत, वास्तव में फादर्स डे सबसे पहले पश्चिम वर्जीनिया के फेयरमोंट में 5 जुलाई 1908 को मनाया गया था। कई महीने पहले 6 दिसम्बर 1907 को मोनोंगाह, पश्चिम वर्जीनिया में एक खान दुर्घटना में मारे गए 210 पिताओं के सम्मान में इस विशेष दिवस का आयोजन श्रीमती ग्रेस गोल्डन क्लेटन ने किया था।

प्रथम फादर्स डे चर्च आज भी सेन्ट्रल यूनाइटेड मेथोडिस्ट चर्च के नाम से फेयरमोंट में मौजूद है। विश्व के अधिकतर देशों की संस्कृति में माता-पिता का रिश्ता सबसे बड़ा माना गया है। भारत में तो इन्हें ईश्वर का रूप माना गया है। यदि हम हिन्दी कविता जगत की कवितायें देखें तो माँ के ऊपर जितना लिखा गया है उतना पिता के ऊपर नहीं। कोई पिता कहता है, कोई पापा, अब्बा, बाबा, तो कोई बाबूजी, बाऊजी, डैडी कहता है। इस रिश्ते के कितने ही नाम हैं पर भाव सब का एक है। सबमें एक सा प्यार सबमें एक सा समर्पण। विश्व पितृ दिवस की शुरुआत 20 वीं सदी के प्रारम्भ में बताई गई है। कुछ जानकारों के मुताबिक 5 जुलाई 1908 को वेस्ट वर्जेनिया के एक चर्च से इस दिन को मनाना आरम्भ किया गया।रुस में यह 23 फरवरी, रोमानिया में 5 मई, कोरिया में 8 मई, डेनमार्क में 5 जून, ऑस्ट्रिया बेल्जियम के लोग जून के दूसरे रविवार को और ऑस्ट्रेलिया व न्यूज़ीलैंड में इसे सितम्बर के पहले रविवार और विश्व भर के 52 देशों में इसे जून माह के तीसरे रविवार को मनाया जाता है। सभी देशों इस दिन को मनाने का अपना अलग तरीका है।

        एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए

जीवन में पिता का स्थान प्रभु से कम नहीं है। पिता सदा हमारा ध्यान रखते है और निस्वार्थ प्यार करते हैं।

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