बिजलीकर्मियों ने निजीकरण के खिलाफ 300 दिन पूरे होने पर भरी हुंकार

बिजलीकर्मियों ने निजीकरण के खिलाफ 300 दिन पूरे होने पर भरी हुंकार

PPN NEWS

टेंडर निकलते ही सामूहिक जेल भरो आंदोलन की चेतावनी।

आरएफपी डॉक्यूमेंट गोपनीय रखने पर उठे सवाल, भ्रष्टाचार की आशंका।

लखनऊ: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने चेतावनी दी है कि यदि बिजली के निजीकरण का टेंडर जोर-जबरदस्ती से निकाला गया तो पूरे प्रदेश में बिजली कर्मचारी सामूहिक जेल भरो आंदोलन शुरू कर देंगे। यह घोषणा निजीकरण के विरोध में चल रहे उनके आंदोलन के 300 दिन पूरे होने के मौके पर की गई।

​आज प्रदेश के सभी जिलों में बिजली कर्मचारियों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। लखनऊ में शक्ति भवन मुख्यालय पर हुए प्रदर्शन का नेतृत्व संघर्ष समिति और राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन के पदाधिकारियों ने किया। उन्होंने कहा कि कर्मचारी झूठे घाटे के आँकड़ों और उत्पीड़न के आधार पर निजीकरण की साजिश को कामयाब नहीं होने देंगे।

​संघर्ष समिति ने यह भी कहा कि उन्हें यह जानकारी मिली है कि टेंडर की पूरी प्रक्रिया गोपनीय रखी जाएगी। इसमें पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को पाँच भागों में बाँटकर अलग-अलग टेंडर निकाले जाएँगे। टेंडर डालने वाली कंपनियों को पाँच लाख रुपये का भुगतान करना होगा और यह शपथ पत्र देना होगा कि वे आरएफपी डॉक्यूमेंट (प्रस्ताव के लिए अनुरोध) को सार्वजनिक नहीं करेंगी।

​समिति ने ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोसिएशन पर निजी घरानों के साथ नियमित मुलाकात करने और इस मामले में बिचौलिए की भूमिका निभाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि इस तरह की गोपनीयता से भ्रष्टाचार की बू आ रही है, जो कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति के खिलाफ है।

​कर्मचारियों ने कहा कि यह देश के इतिहास में पहली बार होगा जब लाखों करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों को इतने गोपनीय तरीके से बेचा जा रहा है। उन्होंने कहा कि वे निजीकरण का निर्णय वापस होने तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे। लखनऊ में हुए विरोध प्रदर्शन को शैलेन्द्र दुबे, जितेंद्र सिंह गुर्जर, अजय कुमार, बलबीर सिंह यादव और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने संबोधित किया।

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