अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल, कानपुर में कैंसर और पीलिया से जंग जीतकर 55 वर्षीय महिला की सफल व्हिपल्स सर्जरी

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कानपुर, 22 सितम्बर: कानपुर के अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल में कैंसर और पीलिया की गंभीर समस्या से ग्रसित महिला की सफलतापूर्वक व्हिपल्स सर्जरी की गई। 55 साल की एक महिला, जिन्हें पीलिया और तेज़ बुखार की समस्या थी, जाँच में पता चला कि उन्हें पेरिअम्पुलरी कार्सिनोमा है। इसके कारण उनकी पित्त नली बंद हो गई थी और गंभीर संक्रमण (एक्यूट कोलेंजाइटिस) हो गया था। इस कठिन परिस्थिति में अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने महिला का इलाज कर उन्हें स्वस्थ कर डिस्चार्ज किया।
डॉक्टरों ने तुरंत सर्जरी करने की बजाय पहले उनका पीलिया और संक्रमण नियंत्रित किया। इसके लिए एंडोस्कोपी के जरिए ई.आर.सी.पी स्टेंटिंग की गई और उन्हें एंटीबायोटिक्स दिए गए। इसके बाद उनका खास ख्याल रखा गया ताकि शरीर मजबूत हो सके। उन्हें पौष्टिक आहार, फिजियोथेरेपी और हल्का व्यायाम कराया गया। चार हफ्तों में उनका वजन 5 किलो बढ़ा और सामान्य स्वास्थ्य में सुधार हुआ।
इसके बाद डॉक्टरों ने उनकी व्हिपल्स सर्जरी (पैंक्रियाटिकोडुओडेनेक्टॉमी) की। यह एक बहुत जटिल ऑपरेशन है, जो लगभग 8 घंटे चला। इसमें पैंक्रियास का सिर, ड्यूडेनम, पेट का एक हिस्सा और जीजूनेम निकाला गया और फिर पैंक्रियास, बाइल डक्ट और शेष पेट को छोटी आंत से जोड़ा गया। सर्जरी के बाद मरीज को आई.सी.यू में रखा गया और चौथे दिन से उन्होंने सामान्य भोजन लेना शुरू किया। उनके स्वास्थ्य में लगातार सुधार हुआ।
डॉ. साद अनवर, कंसल्टेंट, सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड जी. आई कैंसर सर्जरी, अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल, कानपुर ने कहा कि, "व्हिपल्स सर्जरी एक बड़ी और जटिल ऑपरेशन है, जो मुख्य रूप से पैंक्रियाज़ (अग्न्याशय) के कैंसर या आसपास की गंभीर बीमारियों में किया जाता है। इसमें डॉक्टर पैंक्रियाज का आगे का हिस्सा, छोटी आंत का पहला हिस्सा (ड्यूडेनम), पित्त की थैली और कभी-कभी पेट का एक छोटा हिस्सा निकाल देते हैं। इसके बाद बचे हुए अंगों को आपस में जोड़कर नया रास्ता बनाया जाता है ताकि खाना पचने की प्रक्रिया जारी रह सकें। मरीज को पहले शारीरिक और पोषण की दृष्टि से तैयार करने से परिणाम बेहद अच्छे आ सकते हैं। यह सफलता इसी का उदाहरण है कि सही इलाज से मरीज सुरक्षित और जल्दी स्वस्थ हो सकते हैं।"
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