नबी का फरमान अली के जैसा कोई नहीं है: शजर अली

नबी का फरमान अली के जैसा कोई नहीं है: शजर अली

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नबी का फरमानय अली के जैसा कोई नहीं है: शजर अली

–मौला अली के यौम ए शहादत पर खानकाहे अबुल वकार में इफ्तार और फातेहाख्वानी का आयोजन

–मरकजी इमाम कारी महजर अली ने मौला अली पर रौशनी डाल अमन, इंसानियत और भाईचारा आम करने की अपील की


बिल्हौर/कानपुर। हजरत मौला अली की शहादत पर शनिवार को अबुल वकार सैयद कल्बे अली की मकनपुर स्थित खानकाह में इफ्तार और फातेहाख्वानी का आयोजन हुआ। इसमें दर्जनों लोगों ने शिरकत कर मौला अली की शहादत का गम मनाया।

आयोजन मे जिंदा शाह मदार दरगाह के सज्जादानशीन व जामा मस्जिद के मरकजी इमाम कारी महजर अली ने बताया कि इस्लाम के उदय से प्रसार तक पैगंबर मुहम्मद साहब का हर लम्हा साए की तरह साथ निभाने वाले मौला अली की विलादत काबा शरीफ में हुई।

उन्होंने पैदाइश के बाद सबसे पहले आंख खोलते ही पैगम्बर के नूरानी चेहरे का दीदार किया। पैगम्बर साहब ने हजरत अली को अपने दामाद के साथ कौम का चौथा खलीफा मुकर्रर किया। हजरत अली को लेकर पैगम्बर साहब ने कहा कि जिसका मैं मौला, उसका अली मौला… मैं और अली एक नूर के बने है।

इस तरह पैगंबर ने कयामत तक जिंदा रहकर मौला अली की शान बयान करने वाले तमाम उपदेश दिए। मुकद्दस रमजान की 21वीं तारीख को सुबह फज्र नमाज की पहली रकअत में मौला अली को शहीद कर दिया गया। लेकिन जख्म खाकर सुर्ख दाढ़ी को देख मौला अली ने रब की राह में शहीद होने पर खुशी जाहिर की और मुस्कुरा कर कातिल को माफ कर ये संदेश दिया कि मारने वाले से बड़ा, माफ करने वाला होता है।

कारी महजर अली ने हमेशा अहिंसा का रास्ता दिखाने वाले हजरत अली से सीख हासिल कर लोगों से अमन, इंसानियत और भाईचारगी को आम करने की अपील की। उनके बेटे मशहूर नातख्वान मुफ्ती शजर अली ने बताया कि खानदानी शिजरा के मुताबिक वह मौला अली की औलादों में शरीक हैं।

वह अपने बुजुर्गों के पदचिन्हों पर चलते हुए उनके उद्देश्यों को जारी रखकर इंसानियत की भलाई को आम करते हैं। उन्होंने अपने कलाम नबी का पैगाम बोलता है, अली के जैसा कोई नहीं है, की मुख्य पंक्तियों का जिक्र कर मौला अली की अजमत का मुख्तसर बयान कर खिराज ए अकीदत पेश की। आयोजन मे इफ्तार के बाद फातेहख्वानी का आयोजन हुआ।

इसमें मुल्क के अमन, सुकून और तरक्की की दुआ की गई। इस मौके पर मुख्य रूप से शानदार हुसैन, एडवोकेट असद हुसैन, डॉ यासिर अली, अजहर अली, हुसैन उल अनवार, हयात उल इस्लाम, अरकम अली आदि मौजूद रहे।

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