आवाज़ फाउंडेशन बनेगी उत्तर प्रदेश की महिलाओं की आवाज़

PRAKASH PRABHAW NEWS
लखनऊ।
रिपोर्ट, नीरज उपाध्याय
आवाज़ फाउंडेशन बनेगी उत्तर प्रदेश की महिलाओं की आवाज़
बढ़ते महिला अपराध के प्रति सरकार का उदासीन रवैया अपराध को दे रहा बढ़ावा- बाबू सिंह कुशवाहा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में जिस तरह से आये दिन महिलाओं के प्रति अपराध और बलात्कार की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं यह एक बहुत बड़ी चिंता का विषय है सरकार के लिए भी और हमारे लिए भी। देश का सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में दिनो दिन महिला अपराध में हो रही वृद्धि से जहां लोगों में दहशत का महौल पनपने लगा है वहीं अब महिलाओं की भीतर असुरक्षा की भावना भी बढ़ती जा रही है। महिला सषक्तिकरण की बातें तो की जातीं हैं लेकिन केवल पोस्टर, विज्ञापनों और सभाओं तक ही सीमित रह जातीं हैं। यह बातें उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री तथा जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष बाबू सिंह कुशवाहा ने बृहस्पतिवार को एक निजी होटल में मुंबई की सामाजिक संस्था आवाज़ फाउंडेशन के कार्यक्रम में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहीं।
दरअसल आवाज़ फाउंडेशन ने उत्तर प्रदेश में महिलाओं के सम्मान और प्रतिष्ठा को लेकर उनकी मदद करने और उनके लिए कानूनी लड़ाई लड़ने के इरादे से अपनी संस्था का यूपी चैप्टर शरू किया है। संस्था की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुषमा मौर्या ने पत्रकारों को बताया कि उनकी संस्था चिकित्सा के क्षेत्र में मुफ्त दवा वितरण से लेकर कैंसर तक के रोगियों की सहायता करती है जिसके लिए संस्था दिन रात ऐसे काम को हर समय तैयार रहती है।
श्रीमती ने बताया कि मन विचलित हो उठता है जब हमें पता चलता कि किसी महिला के साथ पहले सामुहिक बालात्कार किया जाता है फिर उसकी निर्मम हत्या कर दी जाती है। उन्होंने बताया कि जब दिल्ली में निर्भया केस हुआ था तब से उनकी संस्था आवाज़ फ़ाउंडेशन ने महिलाओं के अधिकार के लिए काम करने का निर्णय कर लिया था। तब से लेकर आज तक उनकी संस्था ने 50 पुरूषों को सज़ा दिलाने का काम किया है।
श्रीमती सुषमा ने बताया कि जिस तरह से देश के सबसे बड़े सूबे में महिलाओं के प्रति अपराध में बढ़ोतरी हो रही है यह पूरे देष के लिए चिंता की बात है। इसलिए अब उनकी संस्था ने यहां काम करने का दृड़ निष्चय किया।
कोरोना काल में जब मज़दूरों को अपने हाथों से चप्पल पहनाया
आवाज़ फाउंडेशन के बारे में बताते हुए संस्था की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुषमा मौर्या ने बताया कि 21 साल से उनकी संस्था सामाजिक क्षेत्र से जुड़कर लोगों की सेवा निःस्वार्थ भावना से करती आ रही है। कोरोना काल में जब मुंबई से बड़ी संख्या में मज़दूरों का पलायन हो रहा था उस समय उन्होंने देखा कि अधिकतर मज़दूर अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ नंगे पैर पलायन करने पर मजबूर थे।
ऐसे में उनके पैरों पे पड़े छालों को देखकर उनसे रहा न गया और उनकी संस्था ने सैकड़ों मज़दूरों को चप्पल पहनाया। श्रीमती ने बताया कि उनके आंखों में उस समय आंसू छलक पड़े जब उन्होंने अपने हाथों से पैरों में छाले पड़े मज़दूरों को चप्पल पहनाया।
मुंबई की पुलिस मुस्तैद जबकि उप्र की पुलिस का रवैया उदासीन
उन्होंने बताया कि मुंबई में रात दो बजे भी अगर कोई लड़की निकल जाए तो भी व सुरक्षित है क्योंकि मुंबई पुलिस अपने काम को लेकर पूरी तरह से मुस्तैद है जबकि देश की सबसे बड़े राज्य की पुलिस महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध को कम करने की दिशा में काम न करते हुए अपराधियों को बचाने के प्रयास में जुटी रहती है। सीतापुर का ताज़ा उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि किस तरह से स्थानीय भाजपा विधायक हरगोविंद भार्गव के दबाव में पुलिस 10 साल की बच्ची के साथ हुए बलात्कार के बाद निर्मम हत्या को सिर्फ़ हत्या का रूप देकर पूरे केस को शट एंड क्लोज़ करने में लगी है। इस अवसर पर सीतापुर में बालात्कार के बाद हत्या का शिकार हुई बच्ची की बड़ी बहन ने बताया कि किस तरह से पुलिस ने उसकी छोटी बहन के शव को जबरन दफना दिया।
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