खुली पिस्टल टांग कर क्या दिखाना चाहती हैं यूपी पुलिस

खुली पिस्टल टांग कर क्या दिखाना चाहती हैं यूपी पुलिस

प्रकाश प्रभाव न्यूज़


खुली पिस्टल टांग कर क्या दिखाना चाहती हैं यूपी पुलिस


पीड़ितों की आवाज दबाने, मनमानी कार्यवाही करने, राजनैतिक दबाव के चलते सच्चाई से दूर हट कर जनता का उठा विश्वास


उत्तर प्रदेश में एक समय था जब लाल पगड़ी धारक गांव पहुंच जाए तो लोग पुलिस के नाम से डर जाते थे। आजादी के बाद पुलिस के जवानों को तमाम संसाधनों से लैस कर दिया गया जिससे पुलिस का इकबाल समाज में कायम रहे लेकिन संसाधनों से लैस होने के बाद पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार तो नही हो सका लेकिन पुलिस की कार्य प्रणाली में सवालिया निशान जरूर नजर आता है।


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की फड़ संचालको, हरे पेड़ों की कटान, आरा मशीन संचालक, बालू माफिया नाजायज कारोबार से जुड़े तमाम लोगों को पुलिस के आगे पीछे घूमते जरूर देखे जाते हैं, जिससे पुलिस से जनता का विश्वास उठ रहा है। पुलिस को सुरक्षा के लिए पिस्टल मिलता हैं लेकिन अब खुली पिस्टल लेकर घूमने वाली पुलिस जनता के बीच क्या दिखाना चाहती है, यह बात समझ के बाहर है।


खुली पिस्टल टांग कर दरोगा होने का जज्बा दिखाना चाहती हैं लेकिन ऐसा नहीं है। खुली पिस्टल टांग कर चलने वाली पुलिस अपने इकबाल को नहीं संभाल पा रही हैं। रोज का रोज पुलिस का इकबाल गिरता जा रहा है और पुलिस पीड़ितों की आवाज दबाने, मनमानी कार्यवाही करने, राजनैतिक दबाव के चलते सच्चाई से दूर हट कर जनता का विश्वास खो रही है।


पुलिस को अपने इस आचरण पर सुधार करना होगा खुली पिस्टल टांग कर दरोगा होने का जज्बा केवल दिखाने से पुलिस पर जनता का विश्वास कायम करना कठिन लगता है।

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