जिसके हिस्से में रात आई है, यकीनन उसके हिस्से में "चाँद" भी होगा

जिसके हिस्से में रात आई है, यकीनन उसके हिस्से में "चाँद" भी होगा

प्रतापगढ 


04.04.2021


रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी 



"जिसके हिस्से में रात आई है,यक़ीनन उसके हिस्से में"चाँद"भी होगा 



उपरोक्त इन्ही पंक्तियों की तर्ज़ पर विचार एवं संवाद के स्तर पर उत्तर-प्रदेश त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2021 परवान चढ़ रहा है।ज़मीनी स्तर पर लोकतन्त्र की स्थापना करने के लिए 73 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1992 के माध्यम से पंचायतीराज संस्थान को संवैधानिक स्थिति प्रदान की गई।हम लोग बहुत भाग्यशाली है कि लोकतान्त्रिक देश में रहते हैं।इस बात का सम्मान करते हुए हम सभी को मतदान करने के लिए सजग एवं जागरूक होने की आवश्यकता है।चुनाव और मतदान हमारी ही भलाई के लिए हैं।इसको लेकर सजग होना प्रत्येक नागरिक के लिए बेहद ज़रूरी है।गाँव की ज़मीनों में अफ़ीम,चरस,गाँजा,जहरीली शराब और धुँआ बोने वालों से सावधान रहना होगा?समाज़ को बांटने वाली नीतियों,आपसी वैमनस्य पैदा करने वाली नीतियों,विखण्डनकारी और तानाशाही प्रवृत्तियों के खिलाफ़ गाँव के सम्मानित मतदाताओं को सजग एवं जागरूक रहना होगा।विकेन्द्रीकरण व्यवस्था को पूरी तरह ज़िम्मेदार एवं जवाबदेह बनाने की दिशा में सकारात्मक सोच और सटीक क़दम बढ़ाना होगा।ग्राम पंचायतें हमारे समाज़ एवं देश के जनजीवन का अहम हिस्सा बन गई हैं।इस व्यवस्था की क़ामयाबी के लिए जनजागरूकता,शिक्षा एवं विवेकशीलता व्यावहारिक एवं महत्वपूर्ण हैं।निःसन्देह ग्राम पंचायतों की भूमिका अब इतनी संकीर्ण एवं सीमित नहीं है।पंचायतों को ज़रूरी अधिकार और धन दोनों चीजें मिल रही हैं,जिसका व्यापक असर अब ज़मीनी-स्तर पर देखने को मिलता है।पंचायत-स्तरीय जनप्रतिनिधियों के चुनाव में सावधानी आवश्यक है,तभी मज़बूत एवं जीवन्त लोकतन्त्र का सपना साकार होगा।

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