विभागीय लापरवाही के चलते आए दिन नहर काटने से हो रहा है किसानों को बहुत बड़ा नुकसान

विभागीय लापरवाही के चलते आए दिन नहर काटने से हो रहा है किसानों को बहुत बड़ा नुकसान

लखनऊ। राजधानी के काकोरी-मलिहाबाद क्षेत्र की ज्यादातर माइनर एवं कोलाबे जर्जर अवस्था में है।जिसकी वजह से अधिकतर माइनरों में टेल तक पानी नही पहुचता है।पानी न पहुचने से किसान नहर के पानी की सिंचाई से वंचित है।सिचाई के अभाव में उनकी फसल सुख जाती है।सिंचाई विभाग द्वारा प्रति वर्ष नहरों की सिल्ट सफाई व उनके रखरखाव के लिए लाखो रुपये खर्च किये जाते है।बावजूद इसके ज्यादातर किसानों को नहर का पानी उपलब्ध नही हो पा रहा है।किसान हर सीजन इसकी शिकायत भी करते है।मगर जिम्मेदारों के कानों में जू तक नही रेंगता।इसके इतर सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी अधिकाश माइनरों में टेल तक पानी नही पहुच रहा है।जिसका खमियाजा किसान,बागवान भुगत रहे है।विभागीय अधिकारियों की लापरवाही से कई दिन पहले कटी नहर की खांधी अबतक नहीं बांधी गई है।जिससे आसपास के खेतों में खड़ी फसलें अधिकतर जलमग्न हो गई है।

विकास खण्ड क्षेत्र काकोरी व मलिहाबाद में शारदा नहर खण्ड दो से निकले काकोरी व ससपन रजबहा से निकले माइनरों के माध्यम से किसानों के खेतों में पानी पहुचाने की व्यवस्था की जाती है।सिचाई विभाग किसानों के खेतों की सिंचाई के लिए टेल तक पानी पहुचाने का असफल प्रयास तो हर बार करता है मगर सफल नही हो पाता है।नहर का पानी टेल तक न पहुँचने की मुख्य वजह है कि रखरखाव के अभाव में माइनरों की जर्जर हो चुकी पटरियां।जिन्हें ठीक कराने में जिम्मेदार कोई रुचि नही लेते है और पानी टेल तक पहुचने के बजाय बीच मे ही गुम हो जाता है।इसकी वजह से दिन प्रतिदिन माइनर कहीं न कहीं फट जाते है।किसान नहर के पानी की आस छोड़ता जा रहा जा है।विभाग में बैठे जिम्मेदारों की इस उदासीनता की वजह से हर वर्ष बेवजह रुपयों की बर्बादी तो हो ही रही है।साथ ही साथ भारी मात्रा में जल दोहन भी हो रहा है और किसान दिन ब दिन नहर के पानी मिलने की आस छोड़ रहा है।काकोरी सेक्शन का संचालन 90 डाउन से काकोरी फीडर की सभी 7 नहरों में होता है।जिसमें से अधिकतर में टेल तक पानी नही पहुंच रहा है।काकोरी रजबहा पिछले कई दिन से नई बस्ती गांव के पास कट गया था।जिसकी मरमत अबतक नही हुई है और पानी खेतों से लेकर घरों तक पहुंच गया है।जिससे बाढ़ जैसा माहौल बन गया है।यहां पर 20 दिनों में तीसरी बार कटी है। किसानों का आरोप है कि नहर विभाग के अधिकारियों की अनदेखी और लापरवाही के चलते बार-बार वहीं पर कटना इसका जीता जागता उदाहरण है।

*क्षेत्रीय अधिकारियों ने विभाग को भेजी झूठी रिपोर्ट* सिंचाई विभाग के सूत्रों द्वारा बताया गया कि विभाग के अधिशाषी अभियंता नहर-दो व जेई ने विभाग में उच्चाधिकारियों को गुमराह करते हुए क्षेत्र के रजबहों व माइनरों की रिपोर्ट में डिवीजन की सभी नहरों में टेलतक पानी पहुंचने की बात कही गई है।जबकि हकीकत में ऐसा कुछ भी नही है।

*खेतों में नही पहुचा कई वर्षों से नहर का पानी:किसान*

क्षेत्र के किसानों और बागवानों को अब नहर के पानी से खेती की सिंचाई किये वर्षो बीत गये,अब उन्हें आस भी नही रह गई है कि नहर के पानी से कभी सिचाई होगी।किसान अनरूद्व सिंह का कहना है कि काकोरी रजबा से निकले भुलसी माइनर,गोला कुंआ माइनर से मिलने वाले पानी से सिचाई होती थी।मगर अब नहर की पटरी इतनी खराब हो गयी है।जिसकी वजह से कोलाबे तक पानी ही नही पहुचता है।मलिहाबाद के रवींद्र सिंह यादव बताते है कि क्षेत्र का कुछ हिस्सा तो शारदा नहर से जुड़ा है।वहां तो सिचाई के लिये पानी मिल जाता है।बाकी हिस्से की सिंचाई अन्य माइनरों से होती है।मगर इधर कई वर्षों से पानी ही नही पहुचा।माइनर की जर्जर पटरियों की वजह से पानी बीच मे ही रह जाता है।किसान विजय कुमार मौर्य ने बताया कि काफी दिनों से नहर की सफाई ही सही से नही हुयी।जिससे पानी गांव तक जब भी आता है तो नहर कट जाती है।जब पानी ही नही आता तो फिर सिचाई का क्या मतलब।किसान बृजेन्द्र सिंह चौहान ने बताया कि गांव में अब नहर बस नाम की ही रह गयी।विभाग सफाई के नाम पर सिर्फ खरपतवार काट कर अपनी कागजी खाना पूर्ति कर लेता है।उसके बाद नहर में पानी पहुचा की नही यह देखने वाला कोई नही।माइनर पटरी जगह जगह इतनी खराब हो गयी है पानी गांव तक पहुचता ही नही है।एक क्षेत्रीय अधिकारी इस संबंध में बोले कि विभाग की स्थिति वर्तमान में बहुत खराब है।काम करवाने के बाद ठेकेदार का भुगतान सम्बंधित अधिकारियों द्वारा नही किया जाता है।नई बस्त्री-शाहपुर के पास नहर कटने की जानकारी उसी दिन विभागीय अधिकारियों को लिखित रूप से मेरे द्वारा दी गई थी,जिस पर अभी तक कोई कार्यवाही नही हुई।


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