तुलसी दल चयन

तुलसी दल चयन

प्रकाश प्रभाव न्यूज़ प्रयागराज 

संग्रहकर्ता - सुरेश चंद्र मिश्रा "पत्रकार" 

पिछले अंक से आगे...

"तुलसी दल चयन"

स्कन्द पुराण का वचन है कि जो हाथ पूजार्थ तुलसी चुनते हैं, वे भी धन्य हैं-

तुलसी ये विचिन्वन्ति धन्यास्ते करपल्लवाः।

तुलसी का एक-एक पत्ता न तोड़कर पत्तियों के साथ अग्रभाग को तोड़ना चाहिए। तुलसी की मंजरी सब फूलों से बढ़कर मानी जाती है। मंजरी तोड़ते समय उसमें पत्तियों का रहना भी आवश्यक माना जाता है। निम्नलिखित मंत्र पढ़कर पूज्यभाव से पौधे को हिलाए बिना तुलसी के अग्रभाग को तोड़े। इससे पूजा का फल लाख गुना बढ़ जाता है।                       ----------:::×:::----------

तुलसी दल तोड़ने का मंत्र

             तुलस्यमृतजन्मासि  सदा  त्वं  केशवप्रिया।

             चिनोमी  केशवस्यार्थे  वरदा  भव  शोभने॥

             त्वदङ्गसम्भवैः  पत्रैः  पूजयामि यथा हरिम्।

             तथा कुरु पवित्राङ्गि! कलौ मलविनाशिनि॥                      ----------:::×:::----------

तुलसी दल चयन में निषेध समय

          वैधृति और व्यतीपात-इन दो योगों में, मंगल, शुक्र और रवि, इन तीन वारों में, द्वादशी, अमावस्या एवं पूर्णिमा, इन तीन तिथियों में, संक्रान्ति और जननाशौच तथा मरणाशौच में तुलसीदल तोड़ना मना है। संक्रान्ति, अमावस्या, द्वादशी, रात्रि और दोनों संध्यायों में भी तुलसीदल न तोड़ें, किंतु तुलसी के बिना भगवान् पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती, अत: निषेध समय में तुलसी वृक्ष से स्वयं गिरी हुई पत्ती से पूजा करें (पहले दिन के पवित्र स्थान पर रखे हुए तुलसीदल से भी भगवान् की पूजा की जा सकती है)। शालिग्राम की पूजा  के लिए वर्जित तिथियों में भी तुलसी तोड़ी जा सकती है। बिना स्नान के और जूता पहनकर भी तुलसी न तोड़ें।

Comments

Leave A Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *