पुरानी पेंशन के लिए यह अंतिम मौका है,तय कर लीजिए क्या करना है आपको--रीना त्रिपाठी

पुरानी पेंशन के लिए यह अंतिम मौका है,तय कर लीजिए क्या करना है आपको--रीना त्रिपाठी

प्रतापगढ


15.02.2022


रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी



पुरानी पेंशन के लिए यह अंतिम मौका है,तय कर लीजिए क्या करना है आपको---रीना त्रिपाठी



सर्वजन हिताय संरक्षण समिति महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष एवं भारतीय नागरिक परिषद की महामंत्री रीना त्रिपाठी ने कहा है कि पुरानी पेंशन क्यों जरूरी है और इस चुनावी दांव के क्या मायने हैं,इसे सिलसिलेवार समझते हैं।वर्ष 2005 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने उस वर्ष से भर्ती कर्मचारियों के लिए नई पेंशन योजना बिना कर्मचारी संगठनों से चर्चा किये लागू की थी। इस नई पेंशन योजना में सरकार पुरानी पेंशन की तरह कर्मचारियों के वेतन से पैसा काटती है और उसमें अपना हिस्सा मिलाकर शेयर बाजार में निवेश करती है। पहले सरकार अपना अंशदान 10% देती थी,जो बाद में बढ़ाकर 14% कर दिया गया।चूंकि नई पेंशन योजना में कर्मचारियों और सरकार के अंशदान को शेयर बाजार में निवेश किया जाता है, इसलिए इसके जोखिम भी बाजार के उतार चढ़ाव पर निर्भर हो जाते हैं। घाटा हुआ तो वो भी कर्मचारी के हिस्से जाता है। ऐसे में इस बात की कोई गारंटी नही होती कि अमुक कर्मचारी सेवानिवृत्त होने के पश्चात कितनी रकम पायेगा। ऐसे उदाहरण भी हैं कि रिटायर्ड अधिकारी की पेंशन मात्र 4 हजार बनी। रिटायर्ड कर्मचारी की पेंशन 700- 800 रुपये ही तय हो पाई।पुरानी पेंशन योजना लागू करने का वायदा कांग्रेस और बीजेपी दोनो के गले की हड्डी है,क्योंकि यूपी में ऐसा कोई वायदा इन दोनों दलों के शाषित प्रदेशों में भी सर उठाएगा। इसलिए कर्मचारियों को इन दोनों पार्टियों पर भरोसा नही है।जो लोग इसे अखिलेश यादव का चुनावी स्टंट मान रहे हैं वो ये जान लें कि पुरानी पेंशन बहाल करना कोई मुश्किल काम नही है।  सनद रहे एक आरटीआई से ये पता चला है कि राज्य सरकार पुरानी पेंशन को अपने स्तर से लागू कर सकती है, अतः केंद्र सरकार की मंजूरी की भी कोई आवश्यकता नही है।

           कर्मचारी संगठनों ने लगभग सभी राजनीतिक दलों को अपनी इस मांग के सम्बंध में पत्र लिखा था लेकिन सिर्फ सपा ने ही इसे अपने घोषणा पत्र में शामिल किया है। निश्चित ही इस चुनावी वायदे का लाभ समाजवादी पार्टी को होने जा रहा है। फिलहाल जो कर्मचारी 2005 के बाद भर्ती हुए हैं उनमें से अधिकांश लगभग 10 साल बाद रिटायर होने शुरू होंगे इसलिए सरकार पर मौजूदा समय मे कोई वित्तीय बोझ नही पड़ने जा रहा है। 

        कुछ लोग ये सवाल भी उठा रहे हैं किअखिलेश यादव  जब सत्ता में थे तब इसे क्यों लागू नही किया ? असल मे ये भी देखना महत्वपूर्ण है कि उस समय इसके लिए कितने संगठनों ने आंदोलन किया था,मांग कितनी जोर पकड़ी थी,वगैरह वगैरह। सगठन अब जितना मुखर हैं पहले नही थे। मांग का असर हुआ दो पार्टियों ने घोषणा पत्र में पुरानी पेंशन बहाली लिखा क्योंकि पुरानी पेंशन कर्मचारियों की सामाजिक, आर्थिक सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है।अब सब इस प्रदेश की जनता और सरकारी कर्माचारियों के हाथ में है या तो नई पीढी और 01.04.2004 के बाद नियुक्त लोगों के भविष्य सुरक्षित करिये या हमेशा हमेशा के लिए अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार लीजिए।जितने छात्र अभी विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं वह भी सोच लें,यह लड़ाई आपकी भी है।सेवानिवृत्त कर्मचारियों को उनके हाल पर नही छोड़ा जा सकता । हम सब का नैतिक जिम्मेदारी है की पुरानी पेंशन बहाली हेतु मतदान करें। अफवाहों में न उलझें अपने परिवार और उन्नत समाज के निर्माण में एकजुट हो जाइए।इसके लिए मौका मत गवांइये,वरना पछताने का मौका नहीं मिलेगा।पुरानी पेंशन के लिए यह अंतिम मौका है,तय कर लीजिए क्या करना है आप लोगों को।

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