किसानों पर अंग्रेजी हुकूमत से भी ज्यादा क्रूर और बर्बर साबित हो रही है मोदी सरकार--प्रमोद तिवारी

किसानों पर अंग्रेजी हुकूमत से भी ज्यादा क्रूर और बर्बर साबित हो रही है मोदी सरकार--प्रमोद तिवारी

प्रतापगढ 


14.12.2020



रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी 



किसानों पर अंग्रेजी हुकूमत से भी ज्यादा क्रूर और बर्बर साबित हो रही मोदी सरकार- प्रमोद तिवारी



 कांग्रेस वर्किग कमेटी के सदस्य एवं यूपी आउटरीच तथा को-आर्डिनेशन कमेटी के इंचार्ज प्रमोद तिवारी ने किसान आंदोलन को लेकर मोदी सरकार पर ब्रिटिश हुकूमत से भी क्रूर तथा बर्बर दमनकारी रूख की तल्ख आलोचना की है। प्रमोद तिवारी ने कहा है कि सरकार किसानों की सही और कानूनी मांग पूरा करने के बजाय रोज पैतरेबाजी से उनके आंदोलन को दबाने के लिए देशहित के खिलाफ जिद पर अडी हुई है। सोमवार को मीडिया को यहां जारी बयान मे प्रमोद तिवारी ने कहा कि जिस तरह से बीजेपी नीति सरकार के इशारे पर हरियाणा की राज्य सरकार किसानो को दिल्ली कूच करने से रोकने के लिए लाठियां बरसा रही है और उनके शांतिपूर्ण आंदोलन को कुचलने का शर्मनाक हथकण्डा पेश कर रही है। उससे देश भर के किसानो के साथ अब सभी तबके के लोगों मे भी आक्रोश बढ़ता जा रहा है। उन्होने कहा कि किसान आंदोलन की उपज से लेकर इसके लगातार जारी रहने के लिए सिर्फ केंद्र सरकार की हठधर्मिता तथा कुछ पंूजीपतियो के प्रति ज्यादा वफादारी ही जिम्मेदार साबित हो रहा है। सीडब्लूसी मेंबर प्रमोद तिवारी ने सरकार को याद दिलाया हेै कि वह जिद छोडे और उन्नींस सौ सात के लाला लाजपत राय की अगुवाई मे ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ नौ माह के किसान आंदोलन से सबक ले। बकौल प्रमोद तिवारी अंग्रेजी सरकार ने भी उस समय देश के किसानो पर तीन काले कानून थोपे थे, और तब अविभाजित पंजाब से उठा किसान आंदोलन सिर्फ नौ महीने तक चला ही नही बल्कि अंग्रेजी सरकार को नौ महीने के बाद लालफीताशाही से तैयार अपने उस समय के तीन के तीनो किसानो पर आबादकारी बिल के नाम पर थोपे गये काले कानूनो को उन्नींस सौ सात मे वापस लेते हुए घुटने टेकने पडे थे। कांग्रेस वर्किग कमेटी के सदस्य प्रमोद तिवारी ने मोदी सरकार को आगाह किया कि इतिहास दोहराने से वह किसानो को रोक नही सकती इसलिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तथा किसानो की फसल का शत प्रतिशत लाभांश किसानो के ही हाथों सुरक्षित रखने के लिए वह इन तीनो कृषि विधेयको को फौरन वापस ले ले। प्रमोद तिवारी ने कहा कि ब्रिटिश हुकूमत ने भी धनाड्य अंग्रेजो तथा देश के उस समय के कुछ चंद पूंजीपतियो के लिए किसानो की फसल की पैदावार की कीमत को उनके हवाले करने की बदनीयती से तीन-तीन काले कानून जबरिया थोपने का दुस्साहस किया था। श्री तिवारी ने स्पष्ट किया कि तब पगड़ी संभाल जट्टा आंदोलन तथा भारत माता संगठन के जरिए किसानों ने अपने हक की लडाई को मुकाम पर पहुंचाने के लिए नौ महीने मे अंग्रेजी सत्ता के होशफाख्ता कर दिये थे। श्री तिवारी ने यह भी स्पष्ट किया है कि कांग्रेस किसान आंदोलन को न केवल नैतिक समर्थन दे रही है बल्कि वह एमएसपी को कानून की गारण्टी देने तक किसानो की जायज मांग पर अपना भरपूर समर्थन जारी रखेगी। प्रमोद तिवारी ने किसान आंदोलन और सरकार की वार्ता की विफलता के पीछे भी केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि वह किसानो की सही मांग नही सुन रही है बल्कि उन पर जबरिया अपनी शर्तो तथा असंवैधानिक तानाशाही थोपने पर अड़ी है। सीडब्लूसी मेंबर ने मोदी सरकार से फौरन देशहित मे तीन के तीनों कृषि विधेयको को वापस लिये जाने की कडी मांग भी की है। उन्होने सरकार से कहा है कि वह अब समझे कि यह सिर्फ किसानो का आंदोलन नही रह गया है बल्कि अन्नदाता के हक की लडाई मे यह आंदोलन अब भारत बचाओ आंदोलन बनकर खड़ा हो गया है। मीडिया प्रभारी ज्ञानप्रकाश शुक्ल के हवाले से जारी बयान मे वहीं सीडब्लूसी मेंबर प्रमोद ने पेट्रोलियम पदार्थो के दामों मे भी लगातार दिन प्रतिदिन बढोत्तरी को भी सरकार की विफलता करार दिया है। उन्होने कहा कि आर्थिक क्षेत्र मे जिस तरह से पेट्रोल के दामों के सौ रूपये प्रति लीटर तक बढोत्तरी की ताजा आशंका व्यक्त की जा रही है, वह चिंताजनक है। उन्होनें अर्न्तराष्ट्रीय बाजार मे कीमत कम होने के बावजूद घरेलू एलपीजी गैस के दामों मे भी एकाएक पचास रूपये की बढोत्तरी को भी दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। सीडब्लूसी मेंबर प्रमोद तिवारी ने विद्युत आपूर्ति मे भी विफलता को लेकर सरकार की कडी घेराबंदी की। उन्होने कहा कि सरकार विद्युत बिल 2020 के जरिये किसानों को तो मंहगी बिजली थोप रही है और उद्योग तथा कल-कारखानों को सरकारी रेट पर सस्ती बिजली मुहैया करा रही है। श्री तिवारी ने पंजाब सरकार का उदाहरण देते हुए यूपी सरकार से भी किसानो को बिजली बिल के नाम पर उत्पीड़न से बाज आते हुए पंजाब की तरह ही प्रदेश के किसानो को भी फ्री बिजली दिये जाने की भी मंाग उठाई है।

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