मित्रता से बड़ा कोई संबंध नहीं-- श्याम सुंदर शास्त्री

मित्रता से बड़ा कोई संबंध नहीं-- श्याम सुंदर शास्त्री

प्रतापगढ 




20.05.2022




रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी




मित्रता से बड़ा कोई संबंध नहीं : श्यामसुंदर शास्त्री




 प्रतापगढ़।मित्रता अब मात्र स्वार्थ पर टिक गई है, लेकिन मित्रता से बड़ा कोई संबंध नहीं है। मित्रता अपने आप में एक परिपूर्ण रिश्ता है। भागवत में श्रीकृष्ण व सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने इस संसार को सच्ची मित्रता का पाठ पढ़ाया है। उक्त बातें प्रतापगढ जनपद के विकास खंड कुंडा के सरैया प्रवेश पुर में राममिलन विश्वकर्मा के यहां आयोजित सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा में वृंदावन से आए आचार्य पंडित श्याम सुंदर शास्त्री जी ने कही।कथावाचक ने कहा कि सुदामा गरीबी की मार झेल रहे थे। उनकी पत्नी सुशीला ने कहा स्वामी द्वारकाधीश आपके बचपन के मित्र है। आप उनके यहां जाएंगे, तो श्रीकृष्ण आपकी मदद जरूर करेंगे। पत्नी की बात सुन सुदामा ने कहा विपत्तियों में कहीं नहीं जाना चाहिए। अगर मैं वहां जाता हूं, तो मेरे पास कुछ ले जाने के लिए नही है। सुशीला पड़ोस के घर से दो मुठ्ठी चावल लेकर आती है और अपने आंचल में बांधकर सुदामा को देकर श्रीकृष्ण के पास भेजती है। द्वारपाल श्रीकृष्ण को बताते हैं कि एक भिखारी आया है। कह रहा है कि कृष्ण मेरा मित्र है और अपना नाम सुदामा बता रहा है। यह सुनते ही श्रीकृष्ण नंगे पांव दौड़ते हुए सुदामा के पास पहुंचे और गले लगा लिया। यह प्रसंग सुनकर कथा प्रांगण में बैठे श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। इस अवसर पर आचार्य जगदेव, आचार्य राम मिलन, आचार्य हरीओम, बृजेश विश्वकर्मा, राजेश विश्वकर्मा, अनिल विश्वकर्मा, अमित कुमार आदि लोग मौजूद रहे।

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