शिवरात्रि महापर्व पर विशेष
- Posted By: Alopi Shankar
- राज्य
- Updated: 10 March, 2021 20:22
- 1031

प्रकाश प्रभाव न्यूज़ प्रयागराज
संग्रहकर्ता - सुरेश चंद्र मिश्रा "पत्रकार"
।।शिवरात्रि महापर्व पर विशेष।।
जाई जरीं जब दक्ष कुमारि भये तब से त्रिपुरारि बिरागी।
आवति याद प्रिया की सदा बिरहानल अंग जरे बिनु आगी।
कहुं देखि मुनीश्वर ज्ञान सिखावें तजो ममता जग की बड भागी ।
देखि के भक्त समूह कथा बरनें हरि की बनि के अनुरागी।
2।।कैलाश को बास सोहात न किंचित सिंचित भूमि करें दृग धारा।
रूप सती को विलोचन में भरि के भटकें
पुर ग्राम पहारा।
कोऊ न साथ रहे शिव के रहिगै एक चंद्र औ गंग की धारा।
प्राण प्रिया के वियोग महोदधि को कहुं दीखत नाहिं किनारा।
3।।मृत्यु के काल सती हरि सों वरदान लहीं कहि के अस बानी।
कोटिहुं जन्म मिलें पै रहें पति मोर सदाशिव औढर दानी।
याही ते शैल हिमाचल के घर जाइ सुता बनी के प्रगटानी।
शैल सुता के पधारत ही सिधि संपति आइ उतै ठहरानी।
4।।मणि माणिक शैल पे आई लसे फल फूल भरे तरु भूमि नये हैं।
छाइ सुवास रही अलि वृंद पराग के लोभ में पुष्प छये हैं।
सुषमा से भरे गिरि श्रृंग सबैं सुर वृंद हिमाचल वासी भये हैं।
सरिता जल पूरित पुष्पित पंकज चोरि लिए चित जे चितये हैं।
5।।कोष मे आइ कुबेर बसे नभ देव वधू कल मंगल गावें।
भिक्षुक वेष बनाइ के सिद्ध मुनींद्र गिरीश के द्वार पे आवें।
शारद शेष सुरेश सबै मिलि मैना के भाग लखें ललचावें।
हर्षित ह्वैके हिमालय गर्ग बोलाइ के जातक कर्म करावें
।। जै जानकी जीवन।।
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