प्रशासन ने माना भूमाफिया तो सिविल कोर्ट ने माना भूस्वामी,सिविल कोर्ट ने स्टे जारी कर प्रशासन को किया निषेधित

प्रकाश प्रभाव न्यूज़
पीलीभीत न्यूज
रिपोर्ट:- नीलेश चतुर्वेदी
पीलीभीत। शहर के रामलीला मैदान के निकट स्थित प्रशासन द्वारा कथित तालाब का बैनामा कराकर उसको पाटकर कालोनी बनाने से रोकने के मामले कॉलोनाइजर द्वारा सिविल कोर्ट से प्रशासन के विरुद्ध स्टे आदेश पारित कराकर प्रशासन को हस्तक्षेप करने के लिए निषेधित करा दिया गया।
ध्यान रहे कि विगत वर्ष रामलीला मैदान के निकट ग्राम पकड़िया नौगवां चक मुस्तिकिल बाहर चुंगी के गाटा संख्या 627क, 628क व 629क को योगेन्द्र सहाय आदि से देवांश अग्रवाल व वेदप्रकाश ने बैनामा कराया था मौके पर सम्पत्ति में कुछ गड्ढे आदि होने के कारण रॉयल्टी से मिट्टी लेकर उसका पटान किया जाने लगा था व कालोनी काटने का प्लान बनाया जिसकी भनक पर सदर विधायक ने मौके पर पहुँचकर प्रशासनिक अधिकारियों व पुलिस बल को बुलाकर उसको तालाब बताते हुए पटान कर रही जेसीबी को कब्जे में लेकर कॉलोनाइजर देवांश अग्रवाल व वेदप्रकाश के खिलाफ थाना सुनगढ़ी में मुकदमा पंजीकृत कराया एसडीएम न्यायालय में सुमोटो वाद दायर कर उक्त सम्पत्ति की बिक्री व आकार परिवर्तित करने पर रोक लगा दी थी। कॉलोनाइजर देवांश अग्रवाल व वेदप्रकाश ने प्रशासन के इस रवैये के खिलाफ अपने अधिवक्ता पीयूष सक्सेना व राजेश शर्मा के माध्यम से जुलाई 2020 में उत्तर प्रदेश सरकार व डीएम, एसडीएम, सिटी मजिस्ट्रेट को पार्टी बनाते हुए न्यायालय सिविल जज अवर खण्ड में सिविल सूट फाइल किया जिसमें प्रशासन की ओर से अपर जिला शासकीय अधिवक्ता हर्षवर्धन पांडे व जिला शासकीय अधिवक्ता राजश्व देशदीपक मिश्रा ने अपना पक्ष रखा विगत तिथि पर स्टे प्रार्थनापत्र पर बहस सुनने के बाद आज न्यायालय ने अपना आदेश पारित किया जिसमें न्यायालय के उक्त सम्पत्ति को तालाब ना मानकर संक्रमणीय भूमिधर मानते हुए स्टे आदेश पारित करते हुए जिला प्रशासन व उत्तर प्रदेश सरकार को निषेधित किया कि वह वादीगण के कब्जे व दखल में किसी प्रकार से हस्तक्षेप ना करे। आज यह मामला शहर में पूरे दिन चर्चा का विषय रहा क्योंकि पहली बार जिला प्रशासन के विरुद्ध सिविल न्यायालय ने स्टे आदेश पारित किया इससे पूर्व भी अनेक मामले तालाब के सम्बंध में व सरकारी सम्पत्ति के सम्बंध में सिविल न्यायालय में दाखिल हुए परन्तु किसी मे स्टे आदेश पारित नही हुआ।
लेखपाल द्वारा दर्ज कराई रिपोर्ट में पुलिस ने भी लगाई एफआर
उक्त प्रकरण में प्रशासन की ओर से तत्कालीन लेखपाल कृष्ण कुमार सागर ने कॉलोनाइजर वेदप्रकाश व देवांश के विरुद्ध थाना सुनगढ़ी में अवैध उत्खनन के मामले में मुकदमा पंजीकृत कराया था जिसमे भी विवेचक द्वारा 4 माह पूर्व ही एफआर लगाई जा चुकी है
कॉलोनाइजर बोले हमें तो भूमाफिया का नाम दिया था
कॉलोनाइजर देवांश अग्रवाल व वेदप्रकाश ने आज सिविल न्यायालय के फैसले का स्वागत किया व कहा कि हम व्यापारी वर्ग के लोगो को प्रशासन ने भूमाफिया बना दिया था लेकिन हमें न्यायालय के ऊपर पूर्ण भरोसा था कि हमे न्याय अवश्य मिलेगा
प्रशासन ने बताया था उक्त भूमि को तालाब
विवादित भूमि को प्रशासन ने तालाब का नाम दिया था जबकि वर्तमान खसरा खतौनी में उक्त भूमि 1-क संक्रमणीय भूमि दर्ज थी परन्तु प्रशासन उसको गलत करार देते हुए तालाब बता रहा था ।
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