सरकार गरीब के साथ मगर खुली लूट में विभागीय अधिकारियों का हाथ

सरकार गरीब के साथ मगर खुली लूट में विभागीय अधिकारियों का हाथ

सरकार गरीब के साथ मगर खुली लूट में विभागीय अधिकारियों का हाथ

पी पी एन न्यूज

फतेहपुर।

कोरोना काल मे लोगो के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। लम्बे समय तक लॉक डाउन रहने से दिहाड़ी मजदूरों व आम आदमी को पेट भरने तक के लाले पड़ गए हैं। ऐसे में सरकार ने पात्र गृहस्थी व अंत्योदय कार्ड धारकों को निःशुल्क अनाज मुहैया कराने की ठानी। बीते वर्ष योगी सरकार ने प्रदेश की जनता को आठ माह निःशुल्क राशन मुहैया कराया।

इस वर्ष भी कोरोना वायरस की विभीषिका को देखते हुए लॉक डाउन होने पर सरकार ने तीन महीने जनता को निःशुल्क खाद्यान उपलब्ध कराने की घोषणा की। सरकार निश्चित ही आम जनता के लिए प्रतिबद्ध है मगर जमीनी स्तर पर योजना को लूटकर कोटेदार व खाद्य एवं रसद विभाग के अधिकारी अपनी जेब भर रहे हैं। ऐसा तब है जब प्रदेश के खाद्य एवं रसद मंत्री जनपद से ही आते हैं और उनका अधिकतर वक्त जनपद में ही बीतता है।

इस भ्रष्टाचार का जीता जागता उदाहरण बिंदकी तहसील के ग्राम सभा हाजीपुर के मजरे होलापुर गांव के कोटे में देखने को मिला जहां कोटा के संचालक ने चिल्ला चिल्ला कर उपभोक्ताओं को बताया कि 5 किलो कटौती करते हैं और करेंगे। जिसको जो करना है करे, पूर्ति निरीक्षक को हजारों रुपये महीना देते हैं तब करते हैं। यह वीडियो देखने के बाद हर किसी के मुंह से यह निकल ही जायेगा कि भ्रष्ट ब्यवस्था के लुटेरे कोटेदार "धत तेरे की"।

   मालूम हो कि जनपद में कुल 1107 उचित दर की दुकानें संचालित हैं जिनमे कई ऐसे कोटेदार हैं जिनके पास दो या तीन कोटे सम्बद्ध हैं। ऐसे में वर्तमान में कुल 928 उचित दर की दुकानों से खाद्यान्न जनपद के लोगो को उपलब्ध हो पा रहा है। इनमे पात्र गृहस्थी के कुल कार्ड धारक 463702 हैं जिनके माध्यम से 1875065 यूनिट के लाभार्थियों को खाद्यान्न मुहैय्या कराया जा रहा है। इसी प्रकार अंत्योदय के कुल 36787 कार्डधारक हैं जिसके माध्यम से 118583 यूनिट के लाभार्थियों को सरकार द्वारा खाद्यान्न मुहैय्या कराये जाने की ब्यवस्था है मगर जमीनी स्तर पर स्थितियां कागजो से इतर हैं। कई दुकानो में तो ये हाल है कि आधे खाद्यान्न की कालाबाजारी कर ली जाती है।

जबकि अधिकतर दुकानो में खुलेआम दबंगई के साथ कटौती की जाती है। होलापुर का भ्रष्टाचार तो वीडियो में कैद हो गया नहीं तो स्थिति इतनी बद्तर है कि जनपद के नब्बे फीसदी उचित दर की दुकानों में यही हो रहा है। इनके भ्रष्टाचार पर कोई ख़ास कार्रवाई होती भी नहीं चूंकि लगभग हर सीट तक इसका सुविधाशुल्क पहुंचता है। बताते तो यह भी हैं कि कोटेदार से लेकर पूर्ति निरीक्षक, एआरओ, पूर्ति अधिकारी, एसडीएम फिर खादी तक ये पूरी भ्रष्ट्राचार की चेन है, यह मजबूत भी इतनी है कि इसको तोड़ने की चक्कर मे ईमानदार अधिकारी का तबादला हो जाये। 2022 में यूपी में नई सरकार का चुनाव होना है ऐसे में सरकार को अगर पुनः वापसी करनी है तो जनता के मुद्दों पर गम्भीर होना होगा और भ्रष्टाचार पर प्रहार कर ऐसे कोटेदारों पर एफआईआर व भ्रष्ट विभागीय अधिकारियों पर कार्रवाई के साथ जबरन सेवानिवृत्ति देनी होगी। साथ ही जनता के हितों को भूल चुके जनप्रतिनिधियों को भी टिकट से मरहूम करना होगा अन्यथा जब जनता जवाब देगी तो किसी के पास कोई जवाब नहीं बचेगा।

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