ऋषि पंचमी महोत्सव ऋषियों को नमन है।।

प्रकाश प्रभाव न्यूज़ प्रयागराज
संग्रहकर्ता - सुरेश चंद्र मिश्रा पत्रकार
ऋषि पंचमी महोत्सव ऋषियों को नमन है।।
चरणों में समर्पित कुछ श्रद्धा के सुमन हैं।।
वेदों मे छिपा ज्ञान जिन्होंने किया प्रगट।।
प्यासे जगत को पान कराते जो सुधा घट।।
आवतार ले भगवान जिनके पांव पखारे।।
भवसिंधु जगत तरता है जिनके सहारे।।
फल मूल खाके और अपने तन को सुखा के आष्टांग योग से सभी विकार जलाके।।
जग का विलास त्याग साधना में मगन हैं।।
ऋषि पंचमी महोत्सव ऋषियों को नमन है।। 1।।
आतप में मे सीत मे तथा घनघोर वृष्टि में।।
सुख की न हुई चाह कभी जिनकी दृष्टि में।।
जिनके लिए न कोई कभी रहा पराया।।
सबको मिली है जिनके वात्सल्य की छाया।।
जिनकी नजर में ब्रह्म हरेक कण में समाया।।
संसार के हर जीव को स्नेह लुटाया।।
रसना से जो कभी कठोर बैन न बोले।।
हिमगिर समान जिनकाअटल मन नहीं डोले।।
वैकुंठ द्वार खोलते नित जिनके वचन हैं।।
ऋषि पंचमी महोत्सव ऋषियों को नमन है।। 2।।
बन कर वशिष्ठ राम को यजमान बनाए।।
बन करके भरद्वाज प्रभु के मार्ग बताए।।
आदित्य ह्रदय कुंभज हो हरि को सुनाए।।
बन कर के गर्ग माधव से चरण धुलाए।।
कौशिक के राम लक्ष्मण ने चरण दबाए।।
हो अत्रि त्रिदेवों को लेके अंक खेलाए।।
कश्यप के चरण वामन ने शीश झुकाए।।
गौतम बने विज्ञान का शुभ ज्ञान सिखाए।।
सनकादि नारदादि करते हरि में रमण हैं।।
ऋषि पंचमी महोत्सव ऋषियों को नमन है।। 3।।
वेदो को चार रूप दिया वेद व्यास ने।
मानस बना के मुक्ति दिया तुलसी दास ने।।
वाल्मीकि बनके परिचय राघव का कराये।।
बन करके परशुराम भार भू का मिटाए।।
उपकार हैं अपार इनका कीजिए वंदन।।
अर्पित है इनके पद में तन मन तथा वचन।।
इनकी शरण में आया जो भव पार हो गया।।
उपदेश मान लिया तो उद्धार हो गया।।
निर्मल,, पुनीत स्मृति में सजल नयन है ।।
ऋषि पंचमी महोत्सव ऋषियों को नमन है।। 4।। जै जानकी जीवन।।
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