अंतर्राष्ट्रीय शायर राहत इंदौरी के निधन पर दी गयी भावभीनी श्रद्धांजलि

अंतर्राष्ट्रीय शायर राहत इंदौरी के निधन पर दी गयी भावभीनी श्रद्धांजलि

प्रतापगढ़

16. 08. 2020

रिपोर्ट --मो. हसनैन हाशमी

अंतर्राष्ट्रीय शायर राहत इंदौरी के निधन पर दी गयी भावभीनी श्रद्धांजलि । -

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अंतर्राष्ट्रीय शायर राहत इंदौरी के 11 अगस्त 2020 को हुए निधन पर 15 अगस्त 2020 को प्रतापगढ़ मुख्यालय में एंजिल्स इंटर कॉलेज के सभागार में एक श्रद्धांजलि सभा एवं गोष्ठी का आयोजन कोविड-19 विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देशों का पालन करते हुए शारीरिक दूरी के साथ शाम 4:00 बजे से 7:00 बजे तक हुई गोष्ठी का संयोजन डा शाहिदा एवं अध्यक्षता हेमन्त नन्दन ओझा ने किया | डा शाहिदा ने स्वागत करते हुए कहा कि डॉ राहत इंदौरी आज हमारे बीच नहीं रहे उनके इस तरह चले जाने से कोई मामूली नुकसान नहीं हुआ बल्कि साहित्य और अदब की दुनिया का कीमती हीरा हम सबने खो दिया जिसके दिल में हमेशा हिंदुस्तान धड़कता था अपने कैरियर की शुरुआत पेंटिंग से करने वाले डॉ राहत ने फिल्मी दुनिया में बतौर गीतकार भी एक मुख्य स्थान बनाया देश ही नहीं विदेश में भी उनकी प्रतिभा को सम्मान मिला राहत साहब की विशेषताओं को लफ्जों में बयान नहीं किया जा सकता उन्होंने शायरी की दुनिया को एक नया मोड़ दिया हम उनकी गजलों का सही मतलब,सही अर्थ,निकाले,समझे,यही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी| उक्त अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण राहत साहब के जीवन पर पुस्तक लिखने वाले उर्दू अदब के प्रसिद्ध साहित्यकार दीपक रूहानी ने उनके साथ अपने अनुभव को एवं उनके जीवन के संदर्भ में संगोष्ठी में कहा कि- राहत साहब का जाना अदबी दुनिया की अपूर्णीय क्षति तो है ही, साथ ही मेरी व्यक्तिगत क्षति है। "राहत साहब : मुझे सुनाते रहे लोग वाक़या मेरा" लिखने के दौरान मैंने राहत साहब से बहुत कुछ सीखा, जाना, समझा। आगे और बहुत कुछ सीखने को मिलता। राहत साहब हमें इसीलिए इतने प्रिय हैं और इसीलिए इतने प्रासंगिक हैं कि हमारे और उनके मुद्दे एक हैं। जब तक हम लोकतांत्रिक मूल्यों की लड़ाई लड़ते रहेंगे, जब तक साम्प्रदायिकता के ख़िलाफ़ जंग जारी रहेगी, जब तक सामाजिक सरोकारों के लिए संघर्ष जारी रहेगा, तब तक राहत साहब हमारे बीच उपस्थित रहेंगे। आज उनके न रहने पर केवल हम ही एकत्र होकर श्रद्धांजलि नहीं दे रहे हैं, बल्कि पूरा हिंदुस्तान, पूरी दुनिया उन्हें श्रद्धांजलि दे रही है। हमारे मुद्दों के आंदोलन को जब-जब शेरों और ग़ज़लों को ज़रूरत होगी तब-तब राहत साहब हमारे साथ खड़े मिलेंगे इस अवसर पर साहित्यकार सुनील प्रभाकर ने कहा कि- डॉ राहत इंदौरी जैसे लोग जैसे रोज़ पैदा नहीं होते।एक दिन में कोई राहत इन्दौरी बनता भी नहीं है।अपने कालखण्ड के अद्भुत शायर थे राहत साहब , प्रतापगढ़ में 53 वर्षो से अखिल भारतीय कवी सम्मेलन व् मुशायरा कराने वाले दया शंकर शुक्ल ने राहत इन्दौरी के साथ अपने अनुभव याद किया एवं कहा कि कि राहत साहब बहुत ही जिंदादिल और खुले ख्याल के व्यक्ति थे और उनकी सोच बहुत ही ऊंचा दर्जे की थी ,साहित्यकार श्याम शंकर शुक्ला श्याम ने कहा कि शायरी की दुनिया के बादशाह थे राहत, एक एक अल्फाज़ पे वाह वाह थे राहत| जहां खड़े हुए लूट लिया सारी महफ़िल, अपने अन्दाज के तो शहंशाह थे राहत || मरहूम डॉ राहत इंदौरी साहब एक नेकदिल इन्सान थे देखने भले कठोर दिखते थे परन्तु वे बहुत ही सरल व्यक्ति थे | इसका अनुभव मैंने अपने कवि मंच से नजदीक से देखा | आल इंडिया तंजीम ए इंसाफ के मंत्री एवं शायर सलीमुद्दीन एडवोकेट ने कहा कि राहत साहब शायरी की दुनिया में सदा अमर रहेगे। वो हमारी तहज़ीब के अटूट अंग थे। उनके चलेजाने पर पता चला कि राहत जैसे लोग सदियों में जन्म लेते हैं। खुदा बक्से बहुत सी खूबियाँ थी मरने वाले में। साहित्यकार संगम लाल भवर ने अपनी रचना पढ़ कर श्रधांजलि दिया एवं राहत के साथ बिताये पलो को याद किया |नाजिश प्रतापगढ़ी के पुत्र अनीश नाजिस ने कहा कि राहत साहब के साथ हमारे पारिवारिक संबंध थे और मेरे पिता के नाते वह मुझे बहुत प्यार करते थे उनके जाने से मेरे व्यक्तिगत नुकसान के साथ-साथ साहित्यिक जगत का और समाज का भारी नुकसान हुआ है| इस अवसर पर भा0क0पा0 के जिला मंत्री रामबरन सिंह , राजमणि पांडे आलोक सिंह ने अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त की कार्यक्रम में अध्यक्षीय संबोधन में हेमंत नंदन ओझा ने राहत जैसे शायर की जरूरत समाज को हर समय होती है लेकिन राहत साहब अपने आप में एक अनोखे शायर थे वे निर्भीक रूप से समाज को दिशा दे रहे थे इस समय उनकी बहुत जरूरत थी वे लोकतंत्र ,धर्म निरपेक्षता ,न्याय व् जनवाद के हद दर्जे के हिमायती थे वे चले गये फिर भी राहत साहब की शायरी हमें ताकत और हिम्मत देती रहेगी कार्यक्रम के अंत में दो मिनट का मौन रख श्रधांजलि दी गयी सभी उपस्थित ने राहत इन्दौरी के चित्र पर माल्यार्पण व पुष्प अर्पित किये |

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