भुखमरी के कगार पर पहुंच चुके प्राइवेट अध्यापक।

प्रकाश प्रभाव न्यूज
संवाददाता देशराज मौर्य
भुखमरी के कगार पर पहुंच चुके प्राइवेट अध्यापक।
तिलोई,अमेठी- तहसील क्षेत्र के अंतर्गत संचालित विभिन्न कालेजों व स्कूलों के प्राइवेट अध्यापकों को परिवार का भरण पोषण करने में लाले पड़ रहे हैं। कोरोना वायरस काल की वजह से क्षेत्र के सभी कॉलेज व स्कूल लगभग 9 महीना से बंद चल रहे हैं। 7 माह के अंदर कक्षा 9 से 12 तक के स्कूल को शासन ने खोलकर प्राइवेट अध्यापकों को कुछ राहत जरूर पहुंचाई। लेकिन अभी भी क्षेत्र के अंतर्गत संचालित दर्जनों प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय बन्द हैं। विद्यालय में पढ़ाई का कार्य न होने की वजह से अध्यापकों को मिलने वाला वेतन संचालकों को अब देने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय बंद हुए लगभग 9 माह हो चुके हैं। और इन 9 माह में बहुत कम ही विद्यालय के संचालक अध्यापकों को कुछ मदद की है। अध्यापक अपने वेतन के भरोसे ही परिवार का भरण पोषण कर रहे थे वैसे ही प्राइवेट अध्यापकों की बहुत कम ही वेतन मिलता था। प्राइवेट अध्यापक पहले से ही परिवार का भरण पोषण करने में दिक्कतों का सामना कर रहे थे। लेकिन जब से कोरोना वायरस की वजह से स्कूल बंद हुए हैं। उनके सामने और अनेक समस्याएं खड़ी हो गई है।प्राइवेट अध्यापक अब भुखमरी के कगार पर पहुंच चुके हैं।शासन प्रशासन भी प्राइवेट अध्यापक की समस्याओं को नजरअंदाज कर रहे हैं। उनकी मदद के लिए शासन स्तर पर भी कोई काम नहीं हो रहा है। जिससे वे अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें।
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