कहीं संक्रमण फैलने की बड़ी वजह न बन जाएं पलायन कर गांवों में लौटे प्रवासी

कहीं संक्रमण फैलने की बड़ी वजह न बन जाएं पलायन कर गांवों में लौटे प्रवासी

प्रकाश प्रभाव न्यूज़

फ़तेहपुर 

कहीं संक्रमण फैलने की बड़ी वजह न बन जाएं पलायन कर गांवों में लौटे प्रवासी

 

कमलेन्द्र सिंह

 

विश्व मे भारी तबाही मचाने के साथ साथ भारत मे 32 लोगों की मौत और लगभग चौदह सौ लोग संक्रमित होने के बावजूद लोग इस वायरस को गम्भीरता से नहीं ले रहे। सरकार के बार बार विश्वास दिलाने के बावजूद लाखों की संख्या में मजदूरों के पलायन ने सरकार के ब्यवस्था तंत्र को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है ऐसी स्थिति में लोग यह भी कहने लगे कि सरकार ने लॉकडाउन करने से पहले क्या होमवर्क किया था। क्या सरकार को पता नहीं था कि बॉम्बे, दिल्ली, हरियाणा, गुजरात आदि में यूपी बिहार व झारखंड का लाखों की संख्या में दिहाड़ी मजदूर पड़ा है जो प्रत्येक दिन जब काम करता है तब ही कुछ खा पाता है। माना जा रहा है कि मजदूरों के सामने पलायन के अलावा कोई रास्ता नहीं था। मजदूरों का कहना है कि वायरस से तो बाद में मरेंगे पहले तो भूख ही मार डालेगी। ऐसे में लाखों की संख्या में पलायन कर रहा मजदूर बिना साधन के पैदल ही nh2 हाइवे पर अपने गांव की ओर चलता ही जा रहा है। हालांकि योगी सरकार के सख्त निर्देशो के बावजूद फ़तेहपुर में जिला प्रशासन ऐसे लोगों की कोई खास ब्यवस्था नहीं कर पाया है। कुछ लोगों को छोड़कर जिले में हजारों की संख्या में अन्य प्रदेशों से आये लोग गांवों में बिना जांच के पहुंच गए हैं। जिससे गांवों में भी वायरस का खतरा मडराने लगा है। गम्भीर यह है कि अगर यह वायरस गांवों में फैला तो इसको वाकई भारत मे महामारी बनने से कोई नहीं रोक पायेगा। हालांकि फिर भी सैकड़ो की संख्या में दूसरे प्रदेशों से आये जागरूक लोग जिला अस्पताल जांच के लिए पहुंच रहे हैं जिनकी समुचित जांच करने के बजाय सिर्फ उनका नाम व गांव लिखकर पर्चा बनाकर दे दिया जाता है। दूसरे प्रदेश से आये हुए कई लोगों ने जिले के स्वास्थ्य प्रशासन पर प्रश्नचिन्ह उठाते हुए कहा कि ऐसे महामारी के दौर में भी जिले की स्वास्थ्य ब्यवस्था धड़ाम है। किसी तरह की जांच नहीं की जा रही, न ही संदिग्ध लोगों को एडमिट किया जा रहा है। सिर्फ नमक पानी का गरारा करने और 14 दिन अलग रहने को कहकर चलता कर दिया जाता है। लोगों का मानना है कि ऐसे में महामारी को रोकना असम्भव सा नज़र आ रहा है। जबकि जिला चिकित्सालय के कर्मियों जिनसे इस बुरे दौर में सबसे अधिक उम्मीद है वह अपनी जिम्मेदारी में खरे नहीं उतर रहे हैं। स्वास्थ्य टीमें भी गांवों में नहीं पहुंच रही हैं जिससे गांवों में आये हुये लोगों को जांच कर क्वारनटाईन करना सपने जैसा प्रतीत हो रहा है। गांवों में दूसरे प्रदेशों से वापस आये हुए मजदूर 14 दिन तक अलग रहने के बजाय परिवार व मोहल्ले में घुल मिल रहे हैं और घूम रहे हैं जो भविष्य के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसे लोगों की गांव गांव पहुंचकर स्वास्थ्य टीम को निगरानी करनी चाहिए। मगर टीमो के न पहुंचने से स्थिति बिगड़ी हुई है जिले में गांवों के अन्य लोग डरे हुए हैं। कई लोग इसकी शिकायत भी अधिकारियो से व 112 नम्बर में कर रहे हैं मगर जिम्मेदारो का इस ओर गम्भीर न होना पूरी प्रशासनिक ब्यवस्था पर गम्भीर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहा है। 
           सातों निवासी एक शिकायतकर्ता ने बताया कि उनके गांव में अन्य प्रदेशों से आये लग़भग तीन दर्जन लोगों में एक दर्जन लोग दिन भर गांव में घूमते देखे जा सकते हैं जिससे गांव के लोग चिंतित हैं। जबकि उनको कम से कम 14 दिन अलग रहना चाहिए। उन्होंने बताया कि इसकी शिकायत उन्होंने कंट्रोल रूम के नम्बर, 112 आदि पर भी की मगर सभी ने डिटेल लिखकर टीम भेजने की बात की मगर कई दिन हो गए कोई नहीं आया। ऐसे में सरकारी दावों पर विश्वास करना मुश्किल हो रहा है। हालांकि आपको बता दें कि सोमवार सुबह कई रोडवेज बसों से अन्य प्रदेशों से आये हुए लोगों को शहर के किनारे नौआबाग में ही रोक दिया गया और उन्हें लाइन से खड़ा करके हाथ धुलवाते हुए टेम्परेचर मशीन से स्वास्थ्य टीम द्वारा स्क्रीनिंग की कई। फिर सभी को 14 दिन अलग रहने की हिदायत देते हुए घरों के लिए रवाना कर दिया गया। उधर फिर योगी सरकार के सख्त निर्देश के बाद जिले के डीएम एसपी पूरे दिन छिवली सीमा पर डटे रहे और लोगों को सीमा पर ही रोकने का प्रयास किया गया। मगर प्रवासी मजदूर इधर उधर से नदी पारकर जिले में दाखिल हो रहे हैं और दूसरे रास्तों से अपने गंतव्य में पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। योगी सरकार के गम्भीर होने के बावजूद जिले का प्रशासन इस ओर गम्भीर नहीं नजर आ रहा। लगातार हाइवे से सैकड़ों की संख्या में लोग पूर्ववत पलायन करते हुए मंगलवार को भी देखे गये। 
         आपको बता दें कि अभी तक तो जनपद की स्थिति सामान्य थी। यहां कोई कोरोना का मरीज अब तक नहीं मिला। मगर जिले में बाहरी प्रदेशों से आई हुई हजारों की नई भीड़ ने यहां की आबोहवा को बिगाड़ दिया है। जिले के प्रत्येक गांव में बाहरी प्रदेशों से लोग आए हैं। मगर जिला प्रशासन सिर्फ विदेश से आये हुए लोगों पर गम्भीरता दिखा रहा है। जबकि वायरस तो किसी मे भी और किसी के माध्यम से पहुंच सकता है। इस बात को केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में माना है कि पलायन के बाद गांवों में पहुंच रही भीड़ में से दस में तीन इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। यानी इस नई भीड़ पर गम्भीरता से नज़र रखने की जरूरत है और इनकी जांच के साथ साथ कड़ाई से इन्हें 14 दिन क्वारनटाईन करने की जरूरत है। जिसमे अभी तक जिले का स्वास्थ्य प्रशासन पूरी तरह फेल नज़र आ रहा है। जबकि जिला प्रशासन ने मंगलवार को भी एक चेतावनी जारी करते हुए कहा कि जो लोग अपनी विदेश यात्रा छुपा रहे हैं वह कंट्रोल रूम या जिलाधिकारी कार्यालय में बता दें अन्यथा उन लोगों पर कोरोना का संक्रमण पाए जाने पर या उनके द्वारा कोई संक्रमित होने पर उनके खिलाफ विधिक कार्यवाही की जाएगी। यानी जिला प्रशासन को पूरा फोकस विदेश से आने वालों पर है। जबकि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका के दौरान यह माना है कि पलायन करके गांवों में पहुंच रहे लोगों में बड़ी संख्या में संक्रमित होने की आशंका है।

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