पोषण अभियान का होगा उद्देश्य 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों में सुधार लाना है

पोषण अभियान का होगा उद्देश्य 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों में सुधार लाना है

प्रकाश प्रभाव न्यूज़

लखनऊ

पोषण अभियान का होगा उद्देश्य 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों में सुधार लाना है

लखनऊ : 01 अगस्त 2020

प्रदेश की महिला कल्याण एवं बाल विकास सेवा  एवं पुष्टाहार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वाति सिंह ने बताया  कि पोषण अभियान (राष्ट्रीय पोषण मिशन)  का उद्देश्य 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों में व्याप्त कम वजन (underweight) बौनापन (stunting) एवं व्याप्त एनीमिया की दरों में प्रति वर्ष 2-3 प्रतिशत की दर से सुधार लाना है।

इसमें सुधार लाने के लिये समस्या की पहचान करना अत्यन्त आवश्यक है और यह कार्य आई०सी०डी०एस० व स्वास्थ्य विभाग के फील्ड कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पोषण अभियान (राष्ट्रीय पोषण मिशन) के मुख्य लाभार्थी 0-2 वर्ष तक के बच्चे, गर्भवती व धात्री महिलायें तथा 10-19 वर्ष की किशोरियां है।

श्रीमती सिंह ने बताया कि पोषण स्तर की पहचान कुपोषण की रोकथाम का पहला चरण है और इसका उत्तरदायित्व आंगनबाड़ी कार्यकत्री का है। पोषण स्तर की पहचान के पश्चात ही लाभार्थियों तक सेवायें पहुचाने का कार्य संपादित किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि वर्तमान में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों द्वारा 0-5 वर्ष तक के बच्चों का वजन लिया जाता है तथा आयु के अनुसार वजन के ग्रोथ चार्ट को देखते हुये बच्चे का सामान्य, मध्यम अल्प वजन व गंभीर अल्प वजन की श्रेणी में रखा जाता है।     

श्रीमती  सिंह ने बताया  कि पहली बार भिन्न प्रकार के कुपोषण की पहचान के लिये प्रदेश सरकार द्वारा 04 ग्रोथ मॉनिटरिंग डिवाईस उपलब्ध करायी जा रही है। प्रदेश के 1,88,219 आंगनबाड़ी केन्द्रों हेतु भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार 4 प्रकार के ग्रोथ मानिटरिंग डिवाइस क्रय करने की प्रक्रिया पूर्ण कर ली है और शीघ्र ही यह आंगनबाड़ी केन्द्रों में वितरित किये जायेंगे।

यह 4 डिवाइस हैं जिसमें पहला डिवाइस छोटे बच्चों के वजन लेने हेतु वजन मशीन, दूसरा  डिवाइस कास्क महिलाओं हेतु वजन मशीन, तीसरा डिवाइस  स्टेडियोमीटर (02 वर्ष के ऊपर आयु के बच्चों की ऊँचाई लेने हेतु) तथा चौथा डिवाइस इन्फैन्टोमीटर (02 वर्ष से कम आयु के बच्चों की लम्बाई लेने हेतु) इन 04 डिवाइस के क्रय के पश्चात ग्राम स्तर से तीनों प्रकार के कुपोषण की पहचान बच्चों में की जा सकेगी। साथ में गर्भवती महिला के पोषण स्तर की भी जानकारी मिल सकेगी।

उन्होंने बताया कि इन डिवाइस का प्रयोग कर आंगनबाड़ी कार्यकत्री मासिक रूप से अपने क्षेत्र के बच्चों की पोषण स्थिति की निगरानी कर सकेगी। प्रदेश सरकार को कुपोषण की सही स्थिति की भी जानकारी प्राप्त हो सकेगी जिससे आवश्यक रणनीति बनायी जा सकती है। इस पहल से कुपोषण की रोकथाम में प्रदेश को अपेक्षित सफलता प्राप्त होगी। आगामी 03 माह में चरणबद्ध तरीके से उपकरणों के आपूर्ति का कार्य पूर्ण हो जाएगा।

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