सुप्रीमकोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद नूपुर ही नहीं भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व अब देश से करे क्षमा याचना-- प्रमोद तिवारी

सुप्रीमकोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद नूपुर ही नहीं भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व अब देश से करे क्षमा याचना-- प्रमोद तिवारी

प्रतापगढ 



01.07.2022



रिपोर्ट-- मो.हसनैन हाशमी



सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद नूपुर ही नहीं भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व अब देश से करे क्षमा याचना- प्रमोद तिवारी



प्रतापगढ़। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के द्वारा नूपुर शर्मा के दिये गये बयान को गैर जिम्मेदाराना ठहराये जाने की तल्ख प्रतिक्रिया को केन्द्रीय गृह मंत्रालय के लिए गंभीर नसीहत कहा है। बकौल कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के दौरान जिस तरह से नूपुर शर्मा के दिये गये बयान को गैर जिम्मेदाराना के साथ विधि व्यवस्था के क्षेत्र में आपत्तिजनक करार देते हुए साफ कहा कि उदयपुर जैसी घटना के लिए भी नूपुर शर्मा के ही उत्तेजक बयानबाजी जिम्मेदार हुई है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से इस मामले में केन्द्रीय गृह मंत्री के अधीन दिल्ली पुलिस को समुचित कार्रवाई न करने के लिए फटकार लगायी है उससे भी यह साफ हो गया है कि भाजपा की केन्द्र सरकार ने नुपूर के बयान पर कडी कार्रवाई करने से जानबूझ कर परहेज किया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी के बाद तस्वीर पूरी तरह साफ हो गयी है कि राजस्थान के उदयपुर की घटना भी अब पूरी तरह से नुपूर शर्मा के बयान की ही देन है।  श्री तिवारी ने कहा कि ऐसे मे अब सुप्रीम कोर्ट की ताजा टिप्पणी के बाद सिर्फ नूपुर शर्मा को ही नहीं बल्कि भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व को देश को नफरत के माहौल में खड़ा करने के लिए जनता के बीच जाकर खुलकर माफी मांगनी चाहिए। मीडिया प्रभारी ज्ञानप्रकाश शुक्ल के हवाले से शुक्रवार को यहां जारी बयान में राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने मणिपुर में हुए आकस्मिक भू-स्खलन से प्रादेशिक सेना के सात जवानों की शहादत को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने भू-स्खलन में मलबे के नीचे बड़ी संख्या में लोगों के फंसे होने की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार से त्वरित सहायता के लिए हर बंदोबस्त किये जाने पर भी जोर दिया है। वहीं कांग्रेस संासद प्रमोद तिवारी ने रसोई गैस की कीमतों में भी केन्द्र द्वारा एक हजार रूपये से अधिक की बढ़ोत्तरी को रोजाना उपभोग के क्षेत्र में महिलाओं के लिए सरकार की सबसे बड़ी असहनीय मार भी करार दिया है।

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