पुत्रदा एकादशी के व्रत से होती है पुत्र की प्राप्ति--धर्माचार्य ओमप्रकाश पांडेय

पुत्रदा एकादशी के व्रत से होती है पुत्र की प्राप्ति--धर्माचार्य ओमप्रकाश पांडेय

प्रतापगढ 


 24.01.2021


रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी 



पुत्रदा एकादशी के व्रत से होती है पुत्र की प्राप्ति-- धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडेय 


  24 जनवरी दिन रविवार को पुत्रदा एकादशी है।  धर्मराज युधिष्ठिर के पूछने पर भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि पौष मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहते हैं ।समस्त कामनाओं तथा सिद्धियों के दाता भगवान नारायण इस तिथि के अधिदेवता है।  पूर्व काल की बात है। भद्रावती पुरी में सुकेतुमान नाम के राजा राज्य करते थे। उनकी रानी का नाम चंपा था ।राजा को बहुत समय तक कोई पुत्र नहीं प्राप्त हुआ इसलिए दोनों पति-पत्नी चिंतित रहते थे। राजा के  पितर उनके दिए हुए जल को शोकोचछवास से गर्म करके पीते थे।राजा और उनकी पत्नी  दोनों बहुत दुखी रहते थे एक दिन राजा घोड़े पर सवार होकर गहन वन में गया। उसने किसी को कुछ बताया नहीं जंगल में जाकर देखा कि एक उत्तम सरोवर के निकट बहुत से मुनि बैठे हुए हैं और जो आश्रम की शोभा बढ़ा रहे हैं।राजा का उसी समय दाहिना नेत्र और दाहिना हाथ फड़कने लगा सरोवर के तट पर मुनि वेद पाठ कर रहे थे।

        राजा ने उन सब को अस्तवन किया बार-बार दंडवत करके मुनियों से बोला हे मुनिवर श्रेष्ठ हम पर कृपा कीजिए। आप कौन हैं ?उन्होंने कहा कि हम लोग विश्वदेव है यहां स्नान के लिए आए हैं।माघ मास निकट आया है।आज से पांचवे दिन माघ मास का स्नान प्रारंभ हो जाएगा। 

        आज ही पुत्रदा नाम की एकादशी है, जो व्यक्ति इस एकादशी का व्रत करेगा उसको पुत्र प्राप्त होगा। राजा ने कहा हे विश्व देवगण यदि आप प्रसन्न हैं तो मुझे पुत्र दीजिए। राजा ने उस दिन एकादशी का व्रत किया और द्वादशी के दिन पारण करके मुनियों के चरणों में बारंबार मस्तक झुकाकर प्रणाम किया। तदंतर घर आने पर रानी ने गर्भ धारण किया और उसे एक उत्तम पुत्र  की प्राप्ति हुई ।

       पुत्रदा एकादशी का जो व्रत करता है वह  इस लोक में मृत्यु पाने के पश्चात स्वर्गगामी होता है। इस महात्म्य  को पढ़ने और सुनने से अग्निष्टोम यज्ञ का फल मिलता है।

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