उत्तर प्रदेश की जेलों में जेल कर्मचारी बॉडी वॉर्न कैमरा धारण करके करेंगे ड्यूटी

उत्तर प्रदेश की जेलों में जेल कर्मचारी बॉडी वॉर्न कैमरा धारण करके करेंगे ड्यूटी

Prakash prabhaw news

रिपोर्टर-सुरेंद्र शुक्ला


उत्तर प्रदेश की जेलों में जेल कर्मचारी बॉडी वॉर्न कैमरा धारण करके करेंगे ड्यूटी 


महामहिम राष्ट्रपति ने मंजूर की राशि


लखनऊ । देश के महामहिम राष्ट्रपति द्वारा भारत के चार राज्यों राजस्थान तेलंगाना पंजाब और उत्तर प्रदेश की जेलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत बॉडी वॉर्न कैमरा प्रयोग किए जाने हेतु आवश्यक धनराशि मंजूर कर दी है और उत्तर प्रदेश को इस कार्य हेतु 80 रूपये लाख मिलेंगे। इस धनराशि से उत्तर प्रदेश की जेलों में  निरुध्द बन्दियों के कार्यव्यवहार की रिकॉर्डिंग हेतु वीडियो कैमरे, डिस्प्ले यूनिट्स, वीडियो प्रोडक्शन  करने के उपकरण, शॉर्ट वीडियो क्लिप बनाने और उनका विश्लेषण करने के लिए जरूरी उपकरण खरीदे जाएंगे। इनसे प्राप्त  विजुवल्स का अध्ययन करने और सुझाव देने हेतु मनोवैज्ञानिकों मनश्चिकित्सकों, विधि -फॉरेंसिक  और जेल सुधार विशेषज्ञों की सेवाएं ली जाएंगी . कारागर मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार जेल के स्टाफ यह कैमरे ड्यूटी के दौरान अपने शरीर पर धारण करेंगे और इससे प्राप्त फीड का मनोवैज्ञानिकों, मनोचिकित्सकों, विधि- फॉरेंसिक विशेषज्ञों और जेल सुधार विशेषज्ञों द्वारा विश्लेषण किया जाएगा इससे जेल में निरुध्द बंदियों की मनःस्थिति समझने में मदद मिलेगी. इन विशेषज्ञों द्वारा जेल में बन्दियों के व्यवहार का अध्ययन करके सुझाये गए उपायों का उपयोग बन्दियों को अपराध से दूर करने हेतु प्रेरित करने में किया जाएगा. कारागर मुख्यालय के जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि जेल में मिलने आने वाले बंदियों के परिजनों और शुभचिंतकों को इन कैमरों से प्राप्त वीडियो दिखाया जाएगा जिससे कि वे बन्दियों को अपराध की दुनिया से दूर करने के प्रयासों में जेल प्रशासन की मदद कर सकें और बन्दियों को अपराध से दूर रहने हेतु प्रेरित और उत्साहित कर सके. चूंकि जेल का स्टाफ बॉडी वार्म कैमरा धारण करके ऐसे सभी स्थानों पर ड्यूटी करेगा जहां पर बंदीगण उपस्थित रहते हैं और विभिन्न कार्य करते हैं. जैसे कि जेल की फैक्ट्रियां जेल के मुलाकात स्थल, जेल अस्पताल बैरकें आदि. ऐसे में ये कैमरे जेल में बन्दियों द्वारा की गई हिंसक  आपराधिक कार्यवाही, उपद्रव, नशे की समस्या आत्महत्या और जेल की सुरक्षा संबंधी समस्याओं का निदान  सुझाने और रोकने में बेहद मददगार साबित होंगे. इसके अलावा जेल स्टाफ ड्यूटी पर आने के बाद इन कैमरों को धारण करेगा और तत्काल ऑन कर लेगा एक बार ऑन होने के बाद ये यह कैमरा उस कर्मचारी की ड्यूटी समाप्ति के समय ही बंद किए जाएंगे.  विशेष परिस्थितियां जबकि बन्दियों या कर्मचारी को निजता की आवश्यकता हो जैसे वाशरूम जाने हेतु ही थोड़ी देर को कैमरे बंद कर सकते हैं किन्तु इसकी सूचना जेल के कर्मचारी को कंट्रोल रूम को देनी पड़ेगी.यह भी जानकारी दी गयी कैमरे की बैटरी का बैकअप 4 से 5 घंटे तक होगा और आवश्यकता पड़ने पर एक अतिरिक्त बैटरी की भी व्यवस्था रहेगी जिससे कि रिकार्डेड डेटा सुरक्षित रहे. बंदियों और स्टाफ की निजता बनाए रखने हेतु जेल अधीक्षक  रिकार्डेड डेटा की गोपनीयता सुनिश्चित करेंगे। 

बॉडी वार्म कैमरे  के कुशल संचालन और स्टोरेज और सॉफ्टवेयर के उपयोग और रखरखाव के लिए जेल के बंदी रक्षकों और अधिकारियों की ट्रेनिंग साथ साथ होगी। कैमरे के संचालन, मॉनिटरिंग, रिकॉर्डिंग, स्टोरेज आदि के लिए एक कंट्रोल रूम की स्थापना संबंधित जेल में की जाएगी जेल के किसी वरिष्ठ अधिकारी को इस कंट्रोल रूम का इंचार्ज बनाया जाएगा. ख्याति प्राप्त गैर सरकारी संस्थाओं और चैरिटेबल इकाइयों के माध्यम से मोटिवेशनल क्लिप्स बनवाकर बंदियों और उनसे मिलने आने वाले शुभचिंतकों परिजनों को यह क्लिप्स दिखाई जाएंगी जिससे कि वे बंदियों को अपराध से दूर करने हेतु प्रेरित कर सकें। बन्दियों की गतिविधियों की रिकॉर्डिंग तथा मोटिवेशनल क्लिप्स बन्दियों के परिजनों और शुभचिन्तकों को जेल के आगन्तुककक्षों, मुलाकात घरों ,ऑफिस आदि स्थानों पर TV लगाकर  दिखाया जाएगा। यह महत्वाकांक्षी योजना जेल में निरुद्ध बंदियों द्वारा  जेल में किये गए कार्य व्यवहार की विजुअल रिकॉर्डिंग और उनकी  विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा अध्ययन करके बंदियों को अपराध से दूर रखने के उनके सुझाव के क्रियान्वयन से संबंधित होने के कारण अपनी  ऐतिहासिक और उपयोगी  पहल साबित होगी .

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