आत्मनिर्भर बनने में मोदी-योगी से तो उम्मीद, सिस्टम भरोसे लायक नहीं
पीलीभीत न्यूज
आत्मनिर्भर बनने में मोदी-योगी से तो उम्मीद, सिस्टम भरोसे लायक नहीं
पीलीभीत(नीलेश चतुर्वेदी): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को विकास के पथ पर अग्रसर करने के लिए यूपी में ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ की एक दिन पहले शुरूआत की है। इस योजना से प्रवासियों समेत अन्य बेरोजगारों में भी बहुत उम्मीद बंधी है, मगर अधिकांश लोगों को सरकारी सिस्टम पर भरोसा नहीं है। इसके पीछे बेरोजगारों का मानना है कि बैंक से लेकर तमाम सरकारी विभागों में रिश्वत दिए बिना न तो कोई मदद मिलती है, न ही लोन मिल पाता है। ऐसे में देश के अंदर हर किसी को आत्मनिर्भर बनाने की मुहिम उसी हद तक कामयाब होगी, जहां तक सरकारी मिशनरी उसे ईमानदारी से आगे बढ़ा ले जाएगी। कोविड- 19 महामारी के चलते मार्च में पूरे देश के अंदर 70 दिनों के लिए लॉकडाउन किया गया था। इससे उद्योग-धंधे ठप हो गए। महानगरों में कारखाने बंद होने से बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार होकर अपने घरों को लौट आए। बाहर रहकर अच्छी नौकरी करने वालों के घर वापस लौटने पर उन्हें काम नहीं मिला तो परिवार के भरण पोषण की चिंता सताने लगी।
तराई बेल्ट के पीलीभीत में 25 हजार से अधिक प्रवासी श्रमिकों और कामगारों ने घर वापसी की है। प्रशासन का दावा है कि इसमें 10 हजार से अधिक प्रवासियों को मनरेगा में काम दिलाया गया है। हालांकि इस दावे की हकीकत तो सब जानते हैं। दूसरी ओर बेरोजगार होकर घरों में बैठे लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘आत्मनिर्भर उत्तरप्रदेश अभियान’ की शुरूआत की। इस योजना की शुरूआत होने से प्रवासियों के अलावा अन्य गरीब भी उम्मीद भरी नजर से देखने लगे हैं। प्रवासियों को लगता है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान में उन्हें कुछ न कुछ सरकारी मदद मिलेगी, जिससे वह अपना रोजगार खड़ा कर सकेंगे। आगे चलकर स्वयं का रोजगार करके वह न केवल अपने परिवार का पालन पोषण कर पाएंगे, बल्कि दूसरों को रोजगार भी दे सकेंगे। पीएम मोदी की इस मुहिम से प्रवासियों और कामगारों को उम्मीद तो है, मगर सरकारी सिस्टम जिस तरह से काम करता है, उससे लोग चिंतित है। उनका कहना है कि जरूरत पड़ने पर लोन लेने के लिए बैंकों में कागजी खानापूरी के नाम चक्कर लगाने पड़ते हैं। बगैर, कमीशन के लोन नहीं मिलता। पहले भी सरकार ने तमाम योजनाएं चलाईं, मगर बैंकों के सहयोग न करने के चलते ये कामयाब नहीं हो पाईं। खराब सिस्टम के चलते अधिकांश पात्रों को सरकार की इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
क्या कहते हैं प्रवासी
प्रवासी मजदूरों को मनरेगा में मजदूरी मिले, इसके लिए प्रयास किए गए हैं। मगर, मजदूरों को तो चक्कर काटने पड़ रहे है। मजदूरी न मिलने पर प्रवासी फिर दूसरे शहरों को जा रहे हैं। आत्मनिर्भर बनाने की योजना ठीक है। मगर, बैंकें मदद करें तभी यह योजना सफल हो सकती है। -रामकुमार, प्रवासी कसंगजा।
पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरूआत की है तो सब कुछ ठीक हो जाएगा, ऐसी उम्मीद है। मगर, सरकारी सिस्टम पर भरोसा नहीं है। अफसर गरीबों को सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिलने देते। लोन दिलवाने के नाम पर गड़बड़ी होती है। कमीशन मांगा जाता है, इसलिए संदेह है। -नवीन चंद, कसगंजा।
क्या कहते हैं सीडीओ
बेरोजगारों को रोजगार दिलाने के लिए स्किल मैपिंग का काम पूरा हो चुका है। 1.26 लाख लोगों को मनरेगा से जोड़ा गया है। खादी ग्रामोद्योग से ऋण देने की प्रक्रिया भी चल रही है, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। कुशल श्रमिकों की पंजीकरण प्रक्रिया सेवायोजन विभाग और पंचायतों की मदद से जल्द शुरू होने जा रही है। ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार देने के प्रयास चल रहे हैं। इसमें प्रवासियों को वरीयता मिलेगी। -श्रीनिवास मिश्र, सीडीओ
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