नौकरशाहों की मनमानी से गरीबों को नहीं मिल पा रहा है न्याय

नौकरशाहों की मनमानी से गरीबों को नहीं मिल पा रहा है न्याय

प्रतापगढ 


25.03.2021


रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी 



नौकरशाहों की मनमानी से गरीबों को नहीं मिल पा रहा है न्याय 

  


प्रतापगढ जनपद के  विकासखंड मांधाता क्षेत्र के गंभीरा ग्राम सभा में केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार  के द्वारा लाई गई समस्त स्कीमो में जमकर भ्रष्टाचार देखने को मिला है।  पीड़ित प्रार्थी संतोष कुमार पटवा शिकायती पत्र दे दे कर बिल्कुल हताश चुका है। मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर दर्जनों शिकायत  डाल चुका है इसके साथ-साथ जिला अधिकारी मुख्य विकास अधिकारी परियोजना अधिकारी को भी शिकायती पत्र दे दे कर थक गया अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।  जनपद के जिम्मेदार अधिकारी कार्यालय पर बैठकर आख्या लगा देते हैं।

 पीडित  संतोष कुमार पटवा के पिता के नाम आवास 2011- 12 में आया था, उस दरमियान ग्राम विकास अधिकारी  ओम प्रकाश सरोज थे। पीड़ित का पैसा उसके खाते से निकलवा कर सोहराब ईट उद्योग पर स्वयं को पार्टनर बताकर  जमा कर दिए। जिसकी रसीद पीड़ित के पास आज भी मौजूद है। ईट न मिलने के कारण पीड़ित के पिता को हार्ट अटैक आने से मृत्यु हो गई। जिसका प्रकरण आज भी उपभोक्ताफोरम मे लंबित है। पीड़ित की  आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण केस नहीं लड सका। दूसरा प्रकरण 2018-19 का।  पीड़ित संतोष कुमार पटवा का आवास आया था।  जिसका क्रमांक  43 आईडी संख्या  u.p. 38 19402 पर अंकित था, किंतु प्रधान और अधिकारियों द्वारा  धन उगाही के चक्कर में सीता के नाम एलाट कर दिया गया। जानकारी होने पर  पीड़ित संतोष कुमार पटवा ने इसकी लिखित शिकायत माननीय मुख्य मंत्री श्री आदित्यनाथ योगी सहित जनपद के जिम्मेदार अधिकारियो से की।  किंतु दुर्भाग्य गरीबी और लाचारी का। आज तक नही मिल पाया पीड़ित संतोष कुमार पटवा को आवास। जनपद प्रतापगढ के जिम्मेदार अधिकारीगण शिकायत का निस्तारण बडी होशियारी के साथ गुणवत्तापूर्ण करते आ रहे हैं। कभी इन्दू देवी के नाम से कभी अज्ञात के नाम से आख्या लगाई जाती है।  जो की ऐसे ब्यक्ति से पीड़ित परिवार से कोई ताल्लुक ही नही है।  अधिकारियों एवं प्रधान की करतूत से क्षुब्ध हो कर पीड़ित की माॅ को दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई। जिसकी मेडिकल रिपोर्ट साक्ष्य के तौर पर अभी भी मौजूद है। सबसे बड़ा सवाल आखिर इतनी घटनाएं पीड़ित  के साथ घटित  हुई इसका जिम्मेदार कौन है। - ?  क्या उत्तर प्रदेश सरकार तीसरी घटना घटने का इंतजार कर रही है। शौचालय लिस्ट में नाम होते हुए भी आज तक शौचालय नहीं दिया गया। साथियों हम आपको कहानी नही पिछले 2011-12 से 2021 तक का कड़वा सच बता रहे  है। पीड़ित संतोष कुमार पटवा भूमिहीन है ए पी एल सूची में है एवं  पन्नी तान कर  अपने परिवार के साथ किसी तरह गुजारा करने पर मजबूर है। कुछ दिन पूर्व का मामला आप को बता दे कि पीड़ित संतोष कुमार पटवा ने बताया कि मैं अपनी शिकायत लेकर परियोजना निदेशक श्री आर सी शर्मा के कार्यालय में पहुंचा शिकायती पत्र देते हुए निवेदन किया। सत्ता एवं पद के नशे में चूर महोदय शिकायती पत्र पर कार्रवाई करने के बजाय उल्टा शिकायतकर्ता पर ही भड़क उठे  बोले ऐसे करोगे शिकायत तो आगे भी नाम कट जाएगा । आगे आप सभी आम जनमानस को बताता हूं कुछ दिन पूर्व  मानवाधिकार जन कल्याण जन सेवा मंडल एनजीओ से उत्तर प्रदेश (अध्यक्ष) श्री बालेंद्र प्रताप सिंह  उक्त प्रकरण को लेकर महोदय के समक्ष उपस्थित हुए थे। साक्ष्य के साथ कडवा सच कहने पर कुपित होकर बोले मुकदमा करवा दो मुझपर। फिर अध्यक्ष  ने कहा मेरी क्या  हिमाकत आप पर मुकदमा करवा पाऊॅ। आप एक कृपा कीजिए दोषियों पर कार्रवाई कीजिए लाभार्थी को उसका लाभ दिलवाईए। उन्होने कहा जाॅच करके कार्रवाई की जाएगी। अब देखना यह है कि क्या कार्रवाई मननीय पी,डी,आर,सी,शर्मा करते हैं। अब सोचने वाली बात यह है कि 2011-12 से 2021 तक सिर्फ जांच चल रही है। जो कि अभी भी पूरी नही हुई। ऐसे में बड़ा सवाल कैसे होगा विकास जब जिम्मेदार शिकायतकर्ता पर हाय पर होकर मामले को रफा-दफा कर  देते हैं । और ग्राम विकास अधिकारी अखिलेश कुमार यादव से बात करने पर उन्होंने कहा कि पीड़ित का नाम आवास नंबर सूची नंबर 5 में है नियमानुसार आवास दिया जाएगा जबकि शिकायती पत्र आंख्या में उन्होंने बताया कि शिकायतकर्ता का नाम 17 नंबर पर है। अब आप लोग ही बताइए क्या ये न्याय संगत रिपोर्ट है पीड़ित के पक्ष मे। ऐसे में सीधा सवाल माननीय उत्तर प्रदेश सरकार से  आखिर कैसे पूरा होगा 2022 का सपना पूरा जब- जनपद के जिम्मेदार अधिकारी करते रहेंगे  लूट खसोट।ऐसे में  जिलाधिकारी महोदय  को चाहिए कि  उक्त प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए ग्राम सभा की 2015 से 21 तक संपूर्ण जांच कराकर  दोषियों पर  संतोषजनक कार्रवाई निश्चित करें और पीड़ित को न्याय दिलाने की कृपा करें। जिससे सबका साथ सबका विकास धरातल पर कायम रहे।

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