कोरोना के कारण स्थगित हुआ पट्टी का मेला, एएसपी ने समिति के पदाधिकारियों संग बैठक में लिया निर्णय

कोरोना के कारण स्थगित हुआ पट्टी का मेला, एएसपी ने समिति के पदाधिकारियों संग बैठक में लिया निर्णय

प्रतापगढ


11.11.2020



रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी



कोरोना के कारण स्थगित हुआ पट्टी का मेला, एएसपी ने समिति के पदाधिकारियों संग बैठक में लिया निर्णय



प्रतापगढ जनपद के पट्टी नगर में तैयारियों के बीच मंगलवार को दशहरा मेला पर ब्रेक लग गया। कोरोना संक्रमण के कारण तीन दिवसीय ऐतिहासिक दशहरा मेला का आयोजन नहीं किया जाएगा। आयोजक श्रीरामलीला समिति के पदाधिकारियों के साथ अधिकारियों की बैठक में यह निर्णय लिया गया। डाक बंगला में मंगलवार को एएसपी पूर्वी सुरेंद्र प्रसाद द्विवेदी, एसडीएम डीपी सिंह, तहसीलदार विनोद कुमार गुप्ता, कार्यवाहक सीओ डॉ. अतुल अंजान त्रिपाठी ने श्रीरामलीला समिति के पदाधिकारियों के साथ बैठक की। अध्यक्ष जुग्गीलाल जायसवाल ने बताया कि बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि कोरोना संकट के कारण इस बार 22 से 24 नवंबर तक प्रस्तावित पट्टी का दशहरा मेला स्थगित कर दिया गया है। 22 को कस्बे में भगवान श्रीराम की शोभा यात्रा व शाम को मेला ग्राउंड में रावण वध के साथ 25 नवंबर को सुबह सादगी से भरत मिलाप होगा।एएसपी ने मेला स्थगित किए जाने पर पट्टी थाना प्रभारी नरेंद्र सिंह को माइक के माध्यम से ग्रामीणांचलों में प्रचार-प्रसार का निर्देश दिया है, जिससे लोग मेले में न आएं और भीड़ न हो। बैठक में महामंत्री अशोक श्रीवास्तव, रामचरित्र वर्मा, चंद्रकेश सिंह, सुरेश जायसवाल, रामप्रकाश जायसवाल, रामचंद्र जायसवाल, बृजेश सिंह, अतुल खंडेलवाल, रमेश सोनी, सजीवन सोनी आदि मौजूद रहे।समिति के फैसले की एएसपी ने की प्रशंसा--मेला स्थगित किए जाने के फैसले पर एएसपी ने श्रीरामलीला समिति के पदाधिकारियों की प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए रावण वध व अल्प समय में सांकेतिक रूप से भरत मिलाप संपन्न कराया जाएगा। झूला आदि के जो भी व्यापारी मेले में आ चुके हैं, उनकी क्षतिपूर्ति के लिए डीएम व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह (मोती) से अनुरोध किया जाएगा‌। 110 साल बाद टूटेगी मेले की परंपरा--पट्टी के दशहरा मेला की शुरुआत वर्ष 1910 में तत्कालीन थानेदार सेवाराम सिंह ने कराई थी। तब से हमेशा पट्टी के मेले का आयोजन होता रहा है। यह पहला ऐसा अवसर है जब 110 साल पुरानी परंपरा टूटेगी। हालांकि मेले को छोड़कर बाकी सभी परंपराओं का निर्वहन किया जाएगा।

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