मौसम के प्रकोप से आलू के पिछेती झुलसा रोग से के उपाय

मौसम के प्रकोप से आलू के पिछेती झुलसा रोग से  के उपाय

PRAKASH PRABHAW NEWS 

रिपोर्ट-अभिषेक बाजपेयी



मौसम के प्रकोप से आलू के पिछेती झुलसा रोग से  के उपाय







रायबरेली--आलू एक नकदी फसल के साथ-साथ अत्यन्त संवेदनशील फसल है, जिस पर मौसम की प्रतिकूलता का प्रभाव शीघ्र हो जाता है विगत कई दिनों में तापमान में गिरावट आयी है शीत लहर का प्रकोप चल रहा है, जिसके कारण पाला पड़ने की सम्भावना बढ़ गयी है। ऐसी स्थिति में पाला पड़ने पर आलू फसल को काफी क्षति होने की सम्भावना बनी हुई है, क्योंकि पौधें की शिराओं में पानी जम जाता है, जिससे उसका आयतन बढ़ता है और शिराय फट जाती है। शिराओं के फटने से ऊपर का भाग सूख जाता है एवं सलने लगता है। ऐसी स्थिति होने पर किसान ‘‘आलू फसल में प्रत्येक सप्ताह सिंचाई करते रहे तथा खेत के पश्चिमी किनारे पर आग सुलगाकर घुंआ करते रहे,‘‘ जिससे आलू की फसल पर पाले का प्रभाव न पड़ने पाये।
इसके अतिरिक्त पिछेती-झुलसा रोग के नियन्त्रण हेतु किसान मैन्कोजेब/प्रोपीनेब/क्लोरोलोंनील युक्त फफूंदनाशक दवा का रोग सुग्राही किस्मों पर 2-25 किग्रा0 दबा 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़लाव तुरन्त करे। साथ ही साथ जिन खेतों में बीमारी प्रकट हो चुकी हो उनमें किसी भी फफूंदनाशक - साईमोक्सेेनिल $ मैन्कोजेब का 3.0 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर (1000 लीटर पानी) की दर से अथवा फेनोमिडोन $ मैनकोजेब का 3.0 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर (1000 लीटर पानी) की दर से अथवा डाईमेथोमार्फ 1.0 किलोग्राम $ मैन्कोजेब का 2.0 किलोग्राम (कुल मिश्रण 3.0 किग्रा0) प्रति हैक्टेयर (1000 लीटर पानी) की दर सेे छिड़काव करें, यदि बारिश की सम्भावना बनी हुई है, तो फूदनाशक के साथ स्टिकर (चिपचिपा) को 0.1 प्रतिशत की दर से मिलाकर छिड़काव करें। किसानों को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि एक ही फफूॅदनाशक का बार-बार छिड़काव न करें।

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