मवेशियों पर करोड़ों रुपया खर्च कर रही सरकार, फिर भी किसान परेशान

मवेशियों पर करोड़ों रुपया खर्च कर रही सरकार, फिर भी किसान परेशान

prakash prabhaw news

मवेशियों पर करोड़ों रुपया खर्च कर रही सरकार, फिर भी किसान परेशान

सरकार जिम्मेदारों पर उठाए कोई ठोस खत्म

लखनऊ मोहनलालगंज विकासखंड की ग्राम पंचायतों में लाखों रुपया गौशालाओं में खर्च होने के बावजूद भी मवेशी आवारा घूम रहे हैं जिससे किसान बहुत ज्यादा परेशान हैं। लेकिन जिम्मेदार बेखबर बने हुए हैं इस समय सभी ग्राम पंचायतों में धान की रोपाई 80% हो चुकी है और जो 20 प्रतिशत धान की रोपाई रह गई है। उसमें किसान जी जान लगाकर धान की रोपाई करने में लगे हुए हैं।

लेकिन आवारा मवेशी आकर धान की फसलों को नष्ट कर रहे हैं जिससे किसान बहुत ज्यादा परेशान और चिंतित हैं। जबकि हर महीने सरकार लाखों रुपए गौशालाओं को देकर आवारा जानवरों को उस में रखकर खाने पीने की पूरी व्यवस्था का खर्च देती है। लेकिन इसके बावजूद भी ज्यादातर गौशालाओं में मवेशी बिल्कुल नहीं है और जो मवेशी हैं। अभी उनको खाने पीने की उचित व्यवस्था भी नहीं हो पाती है। जिससे आए दिन मवेशी उन्हें गौशालाओं में दम तोड़ रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद भी सभी जिम्मेदार आला अधिकारी चुपचाप हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं। ज्यादातर किसान दिन रात एक कर के अपने खेतों की रखवाली करने में लगे रहते हैं। और उन्हीं खेतों में अपना दिन-रात समय बिताते रहते हैं। लेकिन थोड़ी चूक होने के बावजूद भी आवारा जानवर आकर फसलों को नष्ट कर देते हैं जिससे किसान बहुत ज्यादा परेशान और चिंतित रहते हैं।

गांवो  में सैकड़ों घूम रहे आवारा मवेशी

निगोहा क्षेत्र के ग्रामीणों ने बताया कि हम लोग रात दिन एक करके सिर्फ अपनी फसलों को आवारा मवेशियों से बचाने में लगे रहते हैं। लेकिन इसके बावजूद भी थोड़ी सी चूक होने के कारण आवारा पशु आकर फसलों को नष्ट कर देते हैं। जिससे हम लोगों को बहुत ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हम लोग दिन रात एक कर के अपने बच्चों का पालन पोषण हो सके इसके लिए अपनी फसलों को बचाने के लिए दिन-रात अपने खेतों में ही रहना पड़ता है।

लेकिन थोड़ी सी नींद अगर लग जाती है उसी बीच में आकर मवेशी फसलों को नष्ट कर देते हैं। अगर इसी तरीके से फसलें नष्ट होती रहे तो एक दिन ऐसा आ जाएगा कि किसान अपने बच्चों का पालन पोषण भी नहीं कर पाएगा। और वह अपने बच्चों की पढ़ाई किस तरीके से कर पाएगा यह तो आने वाला समय ही तय करेगा। इसलिए किसानों ने सरकार से मांग की है। कि वह जल्द से जल्द इन आवारा मवेशियों की उचित व्यवस्था करें जिससे किसानों की फसलें सुरक्षित बच सकें।

लाखों खर्च के बावजूद भी खुल्ला घूम रहे मवेशी 

जिम्मेदारों ने बताया कि सरकार हर महीने इन गौशालाओं के लिए लाखों रुपए खर्च करती है। लेकिन इसके बावजूद भी गौशालाओं में खाने पीने की उचित व्यवस्था नहीं होती है। जिससे मवेशी भूख और प्यास से आए दिन गौशालाओं में दम तोड़ते रहते हैं। और इन गौशालाअो में आने वाला पैसा जिम्मेदार हजम कर जाते हैं। जिससे इन गौशालाओं में बंद मवेशियों को खाने पीने की उचित व्यवस्था नहीं हो पाती है। इसी कारण आए दिन मवेशी गौशाला में दम तोड़ते रहते हैं। और जिम्मेदार बेखबर बने रहते हैं लेकिन सरकार को चाहिए कि इन गौशालाओं की जांच कराकर खाने-पीने की पूरी उचित व्यवस्था मवेशियों के लिए कराए। जिससे मवेशियों को भरपेट खाना मिल सके।

किसानों का दर्द भी समझे सरकार

किसानों ने सरकार से गुहार लगाई है कि किसानों का दर्द सरकार समझे और इन आवारा मवेशियों की उचित व्यवस्था कराएं जिससे किसानों की फसलें बच सके। किसानों ने सरकार से मांग की है कि जो भी आवारा मवेशी इधर-उधर घूम रहे हैं। उनको जल्द से जल्द सरकार गौशालाओं में बंद कर आए जिससे किसानों की फसलें बच सकें। और किसान अपने बच्चों का पालन पोषण कर सके और अपने बच्चों को उचित शिक्षा दिला सके इसलिए किसानों ने सरकार से मांग की है। कि वह जल्द से जल्द इन आवारा मवेशियों को गौशालाओं में बंद कराया और जो भी मवेशी दर-दर घूमते नजर आए। और अगर कहीं ज्यादा मवेशी नजर आए तो सरकार जिम्मेदारों पर कड़ा एक्शन ले तभी शायद इन आवारा मवेशियों से किसानों को राहत मिलेगी। अब देखने की बात यह होगी कि सरकार किसानों के प्रति कब जागती है। और इन आवारा मवेशियों को कब गौशाला में बंद कर आती है। जिससे किसानों को इन आवारा पशुओं से कुछ निजात मिल सके यह तो आने वाला समय ही बता पाएगा।

ग्राम प्रधान व सचिवो सहित ब्लाक के जिम्मेदार अधिकारी भी बने लापरवाह 

 ग्रामीणों की माने तो गौशालाओं के देख रेख से लेकर सभी कार्यो में ग्राम पंचायत के प्रधान व सचिवो सहित बी.डी.अो. की प्रमुख जिम्मेदारी होती है। और इन्ही लोगो की देखरेख में पशु आश्रय केंद्रों की देखरेख भी होती है। वही कभी कभी एसडीएम भी पहुच जाती है निरीक्षण करने लेकिन ग्रामीणों को इन सब बातों का बहुत कम पता चल पाता कि गौशाला का निरीक्षण करने कब कौन अधिकारी आया। लिहाजा सभी कार्य प्रधान व सचिव के चिर परिचित लोग ही करते है। और वही वहां पर उपस्थित होते है भला ऐसी सूरत में सच्चाई कैसे उजागर हो सकती है।

जब अन्य ग्रामीण व पूर्व प्रधानों को भी औचक निरीक्षण के दौरान सचिवो को सूचना देकर बुलाना चाहिए तब दूध का दूध और पानी का पानी सामने खुद ब खुद आ जायेगा । और पंचायत के सभी पंचों को जिन्हें किसी प्रकार की कोई जानकारी ही नही होती है। और उन्हें कोई किसी प्रकार की जानकारी देना उचित भी नही समझता । बस प्रधान व सचिव जो कहे सब सही ये ग्रामीण जनता की मांग है। और सरकार व प्रशाशन के उच्चाधिकारियों को जनता की इस मांग पर विचार करना चाहिए अन्यथा गौशालाएं सिर्फ कागजों पर चमचमाती रहेंगी। और उनमें बन्द  बेजुबान मवेशी शायद अपनी पीड़ा किसी से बया नहीं कर सकेंगे। और उनकी पीड़ा का अंत शायद हो सके ये बात जिम्मेदारों को व सरकार को अमलता में लानी होगी। अन्यथा पशु आश्रय केंद्रों की बदहाली शायद कभी दूर नहीं हो सकेगी । ये बात जनता में जोरो पर है ।

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